Depression during Pregnancy: गर्भावस्था में अवसाद बढ़ाता है गर्भपात का जोखिम
गर्भवती महिलाओ में तनाव का होना अच्छा नहीं होता है, परन्तु गर्भवती महिलाओ को प्रसव से पूर्व और प्रसव के पश्चात तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। इस प्रकार के तनाव को पोस्टनेटल और एनटेनेटल डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है।
गर्भवती महिलाओ में तनाव का होना एक मूड डिसऑर्डर की स्थिति होती है। गर्भावस्था के समय तनाव होना स्वाभाविक होता है। शोध के दौरान पता चला है की लगभग 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती है।
यदि आपकोनींद की कमी या बहुत नींद आना, बिना किसी कारण बार–बार चिल्लाना, अप्रत्याशित व्यवहार का होना और आत्महत्या का ख्याल करना इस तरह के लक्षण दिखाई देते है तो यह अवसाद है इससे निपटने के लिए डॉक्टर से परामर्श ले सकते है।
गर्भवती महिलाओ में तनाव कई कारणों से हो सकता है। तो चलिए जानते है Depression During Pregnancy किन किन कारणों से होता है और इसके उपचार।
Depression During Pregnancy: गर्भावस्था में अवसाद के कारण, उपचार
गर्भावस्था में इन कारणों से हो सकता है तनाव
- परिवार में किसी सदस्य के साथ या फिर पति के साथ सम्बन्धो को लेकर किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न होना।
- किसी कारणवश अलगाव की स्थिति का होना।
- परिवार में इस तरह का कोई पुराना इतिहास होना।
- परिवार में आर्थिक संकट, किसी की मौत, बार–बार अनचाहा गर्भपात आदि दु:खद परिस्थियों का अनुभव होना।
- बार–बार या जल्दी जल्दी गर्भ ठहरने की परिस्थिति में महिलाओं को पहले वाले बच्चे साथ ही होने वाले बच्चे की देखरेख और ज़िम्मेदारी बढ़ने के कारण भी तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
तनाव से उत्पन्न समस्याएं
- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की शिकायत उत्पन्न होना।
- तनाव के कारण अपने आप गर्भपात हो जाता है।
- तनाव के कारण शिशु का समय से पूर्व जन्म भी हो सकता है।
- तनाव होने से आत्महत्या की प्रवृत्ति में वृद्धि भी हो सकती है।
- तनाव होने पर कई महिलाएं शराब और धूम्रपान करने लगती है इसका असर भी गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
इसके उपचार
- इस तरह की समस्या यदि आपको भी नजर आ रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
- तनाव से बचने के लिए आप अपने परिवार के सदस्यों की भी मदद ले सकती है।
- अपनी डाइट, स्वास्थ्य और पर्याप्त नींद लेना न भूले। क्योंकि इसके कारण भी कभी कभी तनाव हो सकता है।
- तनाव को दूर करने के लिए आप हलके फुल्के व्यायाम और योग भी कर सकती है। यह आपके स्वास्थ्य और शिशु दोनों के लिए फ़ायदेमंद होता है।
- आराम करने के लिए समय ज़रूर निकाले।