Homosexuality in Hindi: समलैंगिकता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारियां
एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य से प्यार करना स्वाभाविक होता है। हर मनुष्य को अपने जीवन काल में एक साथी की आवश्यकता होती है जिसके साथ वह अपने दिल की बात को शेयर कर सके साथ ही जीवन के पलों का आनंद ले सके।
समलैंगिकता को अंग्रेजी भाषा में होमोसेक्सुअलिटी कहा जाता है। समलैंगिकता में मनुष्य एक ही प्रकार के सेक्स की तरफ आकर्षित होता है। जैसे एक महिला दूसरी महिला की तरफ और एक पुरुष दूसरे पुरुष की तरफ आकर्षित होता है।
पुरुष का पुरुष की तरफ आकर्षण को अंग्रेजी में गे (पुरुष समलिंगी) और महिला का महिला के प्रति आकर्षण को अंग्रेजी में लैस्बियन (महिला समलिंगी) के नाम से जाना जाता है।
इस आधुनिक युग में समलैंगिकता को लेकर कई विवाद भी जारी है जिसके कारण कुछ देशों में इसे कानूनी मान्यता भी मिल चुकी है और कुछ देश अभी भी इसका विरोध किया जा रहा है। अब जानते हैं विस्तार से Homosexuality in Hindi.
Homosexuality in Hindi: जाने यह क्यों होती है, इसके प्रकार, कारण, लक्षण और उपचार
लैंगिकता के प्रकार
समलैंगिकता
- इसमें व्यक्ति एक ही प्रकार के सामान सेक्स की तरफ आकर्षित होता है। इसे होमोसेक्सुअल/ लेस्बियन भी कहा जाता है।
बाइ-सेक्सुअल
- कुछ लोग ऐसे भी होते है जो की पुरुष और महिला दोनों की तरफ आकर्षित होते है। ऐसे लोग हेट्रोसेक्सुअल भी कहलाते हैं और होमोसेक्सुअल भी कहलाते हैं। ऐसे लोगो को बाइ-सेक्सुअल के नाम से जाना जाता है।
विषमलैंगिकता
- इसे हेट्रोसेक्सुअलिटी भी कहा जाता है।
- इसमें दो विपरीत लिंगो के प्रति आकर्षण होता हैं। जिसे समाज में मान्यता भी प्राप्त है। लोग इसे असमलैंगिकता के नाम से भी जानते है।
- इस प्रकार के सम्बन्ध को प्राकृतिक माना जाता है।
क्यों होती है होमोसेक्सुअलिटी?
- होमोसेक्सुअलिटी एक प्रकार की रोग है जो की मानसिक कारणों की वजह से उत्पन्न होती है।
- आपको बता दे की मानव के दिमाग के अंदर पिट्यूटरी नामक ग्रंथि पायी जाती है।
- यह ग्रंथि सेक्स हार्मोंस के रिलीज होने को नियंत्रित करती है। जब भी इन हार्मोन्स की मात्रा कम या ज्यादा होती है तो विपरीत सेक्स के तरफ आकर्षण उत्पन्न होता है।
- दिमाग के भीतर किसी भी नयूरोंस में खराबी आने से हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण होमोसेक्सुअलिटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
समलैंगिकता के कारण
- समलैंगिकता के सही कारणों का सही पता अभी तक नहीं चल पाया है परन्तु जन्म से पहले के हार्मोन का असर और आनुवंशिकी इसके कारण होते है।
- कभी कभी वातावरण का प्रभाव भी इसका कारण बन जाता है।
- मॉडर्न साइंस की माने तो उनका कहना है की समलैंगिकता की अभिवृत्ति जन्मजात होती है।
- यह भी पाया गया है की जिस परिवार में माता पावरफुल होती है और पिता कम पावरफुल होते है उन परिवारों में होने वाली संतानों को समलैंगिकता की समस्या आती है।
- परवरिश को भी काफी हद तक समलैंगिकता का जिम्मेदार माना गया है। जो बच्चे को-एड स्कूल नहीं पड़ते है ऐसे लड़कों और लड़कियों का अपने विपरीत लिंग के प्रति झुकाव कम हो जाता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण भी एक बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। बच्चे के परिवार, दोस्त और समाज में होने का अनुभव ही उसकी गतिविधियों को दर्शाता है। इसलिए इसे भी समलैंगिकता का कारण माना जाता है।
समलैंगिकता के लक्षण
- हालांकि आप केवल लक्षणों के आधार पर यह नहीं पहचान सकते है की कौन सा व्यक्ति किस प्रकार का है।
- समलैंगिकता को जानने के लिए अधिकतर यह पाया गया है की ऐसे व्यक्ति जब कभी सेक्स से संबंधित विचार करते है तो उस समय वह सेम सेक्स वालों का ही विचार करते है।
- साथ ही वह सपने भी देखते है तो उनमें भी सेम सेक्स के लोगो का ही वर्णन होता है।
समलैंगिकता के कारण होने वाली कठिनाई
- समलैंगिकता को समाज में पूर्ण रूप से स्वीकृत नहीं किया गया है जिसके कारण समलैंगिक व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- समाज में नौकरी पाना भी उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है।
- इसके अतिरिक्त किराये के घर में रहना मुश्किल होता है।
- सार्वजानिक स्थानों पर भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
- समलैंगिक व्यक्ति के साथ अन्य लोगों का व्यवहार भी अच्छा नहीं होता है उन्हें घृणा की नज़रों से देखा जाता है।
- समलैंगिकता के कारण एड्स की भी सम्भावनाये अधिक हो जाती है। ऐसा पाया गया है की यदि विपरीत लिंग में किसी को एड्स है और वह सम्भोग करते है तो उससे एड्स होने की सम्भावनाये 35 प्रतिशत होती है। जबकि यदि समान लिंग में किसी को एड्स है और वह सम्भोग करते है तो उसके द्वारा एड्स होने की सम्भावनाये 100 प्रतिशत हो जाती है।
- कई समाजों में इसे प्रकृति के नियमो के खिलाफ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की यह वंश को आगे बढ़ाने में भी बाधा उत्पन्न करती है।
समलैंगिकता का उपचार
- समलैंगिकता का उपचार करना संभव नहीं है। यदि कोई व्यक्ति खुद निश्चय करे की उसे अपने में परिवर्तन लाना है तो समलैंगिकता की समस्या को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
- समलैंगिकता के उपचार के लिए कोई तकनीक नहीं विकसित की गयी है क्योंकि यह उनके स्वतंत्रता के अधिकारों के विरुद्ध होता है।
रखे इन बातों का ध्यान
- किसी भी समलैंगिग व्यक्ति की सोच को बदला नहीं जा सकता जब तक की वह स्वयं इसके लिए तैयार न हो। इसलिए आप ऐसे व्यक्ति पर ज़बरदस्ती दबाब ना डाले।
- यदि आपको लगता है की आपके परिवार में भी कोई व्यक्ति समलैंगिकता से ग्रसित है तो उसका विवाह जबरन ना करवाए, और इस बात निरीक्षण करे की उसमे बदलाव आये है की नहीं।
- प्रत्येक व्यक्ति को अपने तरीके से जीने और चीजों को पसंद करने का अधिकार है इसलिए समलैंगिकता का विचार रखने वाले व्यक्तियों पर परिवर्तन के लिए दवाब नहीं डाला जा सकता है।
नोट - समलैंगिकता का होना कोई बुराई नहीं है। इसके लिए भारतीय समाज में भी कई कानून बनाये गए है ताकि उन पर हो रहे भेदभावों पर प्रतिबंध लगाया जा सके साथ ही इसके लिए कई संस्थाएं भी कार्य कर रही है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का पूर्ण अधिकार है जो की उसे मिलना चाहिए।