पृथ्वी मुद्रा सयंम और सहनशील बनाएं - जाने विधि और लाभ
पृथ्वी मुद्रा (Gesture of the Earth) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने भौतिक अंतरत्व में पृथ्वी तत्व को जाग्रत करता है और शरीर में बढ़ने वाले अग्नि तत्व को घटाने में मदद करता है, इसलिए इसे अग्नि शामक मुद्रा भी कहते है| इस मुद्रा को करने से पृथ्वी तत्व बढ़कर सम हो जाता है| यह तत्व महत्वपूर्ण घटक है हमारे शारीरिक ऊतकों के लिए जिनमे शामिल हे हड्डियां, उपास्थि, त्वचा, बाल, नाखून, मांस, मांसपेशियों और आंतरिक अंगों के लिए|
इस मुद्रा के अभ्यास से नए घटक बनते है और मजबूत होते है दूसरे शब्दों में कहें तो, इस मुद्रा के प्रभाव से जीवन शक्ति, ताकत और सहनशक्ति बढ़ाई जा सकती है| पृथ्वी मुद्रा की मदद से सूंघने में परेशानी आना, ज्यादा कफ बनना या पित्त जैसी बीमारियो का भी नाश हो जाता है|
योगियों ने मनुष्य शरीर में दो मुख्य नाड़ियां बतलाई है एक है सूर्य नाड़ी और दूसरी चन्द्र नाड़ी| पृथ्वी मुद्रा करने के दौरान अनामिका अर्थात सूर्य अंगुली पर दबाव पड़ता है, जिससे सूर्य नाड़ी और स्वर को सक्रीय होने में सहयोग मिलता है|
अनामिका उंगली तथा अंगूठे के सिरे को यदि परस्पर मिलाया जाये तो पृथ्वी मुद्रा बनती है| अनामिका एक महत्वपूर्ण उंगली है| अंगूठे की तरह इससे भी तेज का विशेष विद्युत प्रवाह होता है| दरहसल योग शास्त्र के अनुसार ललाट पर द्विदल कमल का आज्ञाचक्र स्थित है| उस पर अनामिका और अंगूठे के द्वारा शुभ भावना के साथ विधिवत तिलक करके कोई भी व्यक्ति अपनी अदृश्य शक्ति को दूसरे में पहुंचाकर उसकी शक्ति में बढ़ोत्तरी कर सकता है, जिसे शक्तिपात कहते हैं| मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है। आइये विस्तारित रूप से जानते है Prithvi Mudra in Hindi.
Prithvi Mudra in Hindi: जानिए पृथ्वी मुद्रा की विधि, लाभ और सावधानियाँ
पृथ्वी मुद्रा करने की विधि
- पृथ्वी मुद्रा के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं|
- अब दोनों हाथ घुटनों पर रख लें|
- अब तर्जनी ऊँगली (छोटी ऊँगली) को मोड़कर अंगूठे के अग्रभाग से स्पर्श कर दबाएं|
- तर्जनी आपकी छोटी ऊँगली को कहा जाता है|
- अब बच गई तीनों उंगलियों को ऊपर की ओर सीधा तान कर रखें|
- कुछ समय इसी अवस्था में रहें|
- इस तरह बनने वाली मुद्रा को पृथ्वी मुद्रा कहते है|
- इस प्रक्रिया को दोनों हाथों से करे|
Prithvi Mudra Benefits in Hindi: पृथ्वी मुद्रा के लाभ
- इस आसन को करने से सहनशीलता और धैर्य बढ़ता है|
- यह मुद्रा शरीर में घटकों के अनुपात को बनाये रखती है|
- लकवा और पोलियो जैसी बीमारियों से दूर रखता है|
- पीलिया और बुखार से राहत मिलती है|
- पृथ्वी मुद्रा के चिकित्सीय लाभ के साथ साथ आध्यातिक लाभ भी है|
- इस मुद्रा को करने से मन में वैराग्य भाव उत्पन्न होते है|
- यह मुद्रा रोग मुक्त ही नहीं तनाव मुक्त भी करती है|
- चेहरे की त्वचा साफ और चमकदार बनती है|
- पृथ्वी मुद्रा को करने से शरीर में कमजोरी, धकान व् दुर्बलता दूर होती है|
- ऑस्टियोपोरोसिस अस्थिमृदुता (कम अस्थि घनत्व), रिकेट्स बढ़ाने में मदद करता है|
- शरीर को जोड़ कार्टिलेज (अध: पतन) या ओस्टेओ-आर्थराइटिस से बचाते है|
- पृथ्वी मुद्रा शरीर को आंतरिक मजबूत, दिमाग को तरोताज़ा और स्मरण शक्ति बढ़ाती है|
- यह एक फायदेमंद Yoga Mudra for Weight Loss है| इसकी मदद से वजन कम किया जा सकता है|
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पृथ्वी मुद्रा आसन करने का समय व अवधि:-
- प्रतिदिन 30 से 45 मिनट तक पृथ्वी मुद्रा आसन का अभ्यास कर सकते है
- पहले प्रतिदिन 10-15 इस मुद्रा को करें, कुछ दिन पश्चात् समयावधि बढ़ा दें
- यह आसन आप किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते है, मगर सुबह-सुबह इस आसन को करने से शरीर में एक नयी ताजगी महसूस करेंगे|
पृथ्वी मुद्रा करते समय रखे सावधानियाँ:
- पृथ्वी मुद्रा करते समय पद्मासन में बैठकर, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें|
- जिन व्यक्तियों को कफ की समस्या है वो इस आसन को किसी योग सलाहकार की मदद से करें|