बच्चों और युवाओं में बढ़ रही है नशे की लत, कारण है तनाव और अकेलापन

भारत देश में नशे को हमेशा से बुराई मानी गयी है। लेकिन इसके बावजूद भी आजकल नशा यानी शराब पीना फैशन बनता जा रहा है।

और बड़ों में ही नहीं आजकल युवाओं में भी नशे की लत काफी बढ़ रही है। पहले जहा वे केवल सिगरेट के कश मारते थे अब तो शराब पीकर बेहोश होने का नया चलन भी शुरू हो गया है।

और इसके पीछे के कारणों को जब पता लगाया गया तो विश्वास करना थोड़ा मुश्किल था। बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बेरोज़गारी, अकेलापन और तनाव के चलते युवाओं में भी नशे की लत लग रही थी।

हाल ही में एम्स में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमे देशभर के कई चिकित्सा संस्थानों से पहुंचे डॉक्टरों ने युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर चिंता व्यक्त की है। जानते है Alcohol Addiction in Youth से जुड़ी और बातें।

Alcohol Addiction in Youth: नशे की गिरफ्त में है युवा वर्ग

नशा है एक मानसिक बीमारी

  • एम्स के मनोचिकित्सा विभाग और राष्ट्रीय ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन शुरू किया है।
  • इस सम्मेलन में अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार चड्डा ने कहा की लोग नशे को आदत मानते है और यही कारण की 90% मरीज इसका इलाज भी नहीं कराते।
  • किंतु हकीक़त यह है की नशे की लत एक बीमारी है और नशे के सेवन से और भी कई गंभीर बीमारियाँ होती हैं।
  • नशा अगर आदत होती तो उसे लोग कुछ समय पश्चात छोड़ पाते किंतु देखा गया है कि इसे लोग चाह कर भी छोड़ने में असफल है।
  • हर तरह के नशे के इलाज का तरीका अलग अलग होता है। इसलिए कह सकते है कि यह सिर्फ आदत नहीं बल्कि मानसिक बीमारी है।

पीड़ितों को खानी होगी डॉक्टर के सामने दवा

  • एम्स ने दिल्ली में ऐसे तीन सेंटर की शुरुवात की है जहां नशे की लत के मरीज को क्लीनिक में ही दवा खिलाई जाती है।
  • अर्थात यहाँ इलाज के लिए नशे की लत से पीड़ित को डॉक्टर के सामने ही दवा खानी होगी।
  • आयोजन में नशे की बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सा सुविधा बढ़ाने को लेकर अपील भी की गयी।

नशा करने वालो में शुरू होती है आपराधिक प्रवृत्ति

क्लिनिक में डॉक्टर के सामने ही दवा खिलाने का मकसद नशे की लत से पीड़ित बच्चों व युवाओं को आपराधिक प्रवृत्ति से बचाना है। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोग अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए कुछ भी करते है यहाँ तक की चोरी करने से भी पीछे नहीं हटते है और धीरे-धीरे उनमें आपराधिक प्रवृत्ति विकसित होने लगती है।