जाने क्षय रोग (टीबी) के लक्षण, प्रकार और इसे रोकने के उपाय

टीबी रोग एक संक्रामक बीमारी है इसे तपेदिक, क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है| हमारे देश में लाखो लोग इस बीमारी से ग्रसित है| यह बीमारी Mycobacterium Tuberculosis नामक जीवाणु कि वजह से होती है। यह जीवाणु ज्यादातर हमारे फेफड़ो पर असर करते है| जब सांस के द्वारा यह जीवाणु आपके शरीर में जाता है तो तब टीबी होने का खतरा होता है|

टी बी बीमारी  को छूत की बीमारी कहा जाता है| रोगी के निरंतर संपर्क में रहने वाले व्यक्ति को भी यह रोग होने की बहुत ज्यादा संभावना होती है| यह बीमारी ज्यादातर कमजोर लोगो को अपने चपेट में लेती है| अगर किसी का प्रतिरोधक तंत्र कमजोर है तो व्यक्ति के इस बीमारी के चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है|

टीबी आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भाग जैसे त्वचा, लिम्फ ग्रंथियां, हड्डियों के जोड़ आदि को भी प्रभावित कर सकता है| यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है| जब भी टीबी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं| तो उनमे उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं।

क्षय रोग के लक्षणों की बात की जाये तो| इसके मरीजों में लगातार खांसी बनी रहती है| कई बार तो खांसी में खून भी आने लगता है| आइये जानते है Tb Symptoms in Hindi इसके और भी कई लक्षणों के बारे में|
 

Symptoms of Tb: इन् लक्षणों से करे तपेदिक की पहचान

 

  तपेदिक से पीड़ित लोगो में निचे दिए गए कुछ या फिर सारे लक्षण देखे जा सकते है| कई बार तो इसके जीवाणु शरीर में होने के बावजूद भी कोई लक्षण नहीं दिखाई देते| दरहसल यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो यह जीवाणु निष्क्रिय रहते है और इस कारण उन्हें कोई बीमारी नहीं होती लेकिन जब किसी कारणवश ऐसे लोगो में प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है, तब यह निष्क्रिय जीवाणु सक्रीय होकर क्षय रोग का फैलाव करते है।
  1. चाहे ठंडी हो या गर्मी, इसके रोगियों को रात के वक्त अधिक पसीना आता है|
  2. अगर 3 हफ्ते से अधिक समय तक खांसी बनीं हुई है और अभी भी ठीक नहीं हुई हो तो बिना देर किये डॉक्टर से संपर्क करे|
  3. खांसी या बलगम में खून आना, एक महीने से ज्यादा समय तक सीने में दर्द बना रहना इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है|
  4. अगर बिना किसी कारण के लगातार आपका वजन कम होते जा रहा है तो यह भी क्षय रोग का शुरुवाती लक्षण हो सकता है|
  5. एक महीने से ज्यादा समय बुखार रहना , भूख ना लगना, पीठ में दर्द और पैरो में कमजोरी महसूस होना भी इस बीमारी के लक्षण है|
  6. टी बी के शुरआती वक्त में थोड़ा सा ही काम करने पर थकावट महसूस होती है| कई बार इस बात पर हम ध्यान नहीं देते| लगातार थकान बने रहने पर अपने डॉक्टर को जरूर दिखाए|
 
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टीबी के प्रकार

क्षय रोग तीन प्रकार के होतें है| तीनो में ही रोगी की अवस्था अलग होती है| हम आपको तीनो के लक्षण बता रहे है, जिससे की आप इसे पहचान सके और तुरंत इसका उपचार कर सके|

पेट का तपेदिक: पेट के टीबी का जल्दी पता नहीं चल पाता| इसमें रोगियों को पेट में दर्द और बार बार दस्त होते है| इसके अलावा कई बार पेट के अन्दर गाँठ भी बन जाती है| लेकिन हम इसे आम समस्या सोचकर नजर अंदाज कर देते है| इसलिए अगर आपको पेट से जुडी कोई समस्या लगातार दिख रही है, तो बिना देर लगाये तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें|

फेफड़े का तपेदिक: फेफड़े के टीबी का पता भी आसानी से नहीं चलता| यह रोग धीरे धीरे शरीर के अंदर ही बढता चला जाता है, और जब बहुत देर हो जाती है तब हमें इसका पता चलता है| यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति हो सकता है| अलग अलग उम्र में इसके अलग अलग लक्षण दिखाई पड़ते है| इन् सब में धडकनों का तेज़ हो जाना, सर में दर्द रहना और कफ बनना आम बात है|

हड्डियों का तपेदिक: ऊपर दिए गए टीबी के प्रकारों की तुलना में से इस वाले टीबी को पहचानना थोड़ा आसान होता है| इसके मरीजों में हड्डियों में दर्द की शिकायत देखने को मिलती है| हड्डियों में कमजोरी और मासपेशियों में दर्द और खिचाव इसके आम लक्षण है| साथ ही शरीर में घाव और फोड़े भी देखने को मिल सकते है|
 

क्षय रोग संक्रमण को फैलने से रोकने के उपाय

  1. टी बी रोग से पीड़ित व्यक्ति को यहाँ वहा नहीं थूकना चाहिए|
  2. इसके मरीजों को अपने हात हमेशा खाने से पहले और खाने के बाद जरूर धोना चाहिए|
  3. क्षय रोग के कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करके जाँच करवानें चाहिए|
  4. इसके रोगी को खासते या चीखते वक्त मुह पर हाथ या रुमाल रखना चाहिए| इस तरह इस संक्रमण से अन्य लोग प्रभावित नहीं होते है|
  5. क्षय रोग से पीड़ित रोगी को अपनी दवा ठीक समय पर और पूरी अवधि तक लेनी चाहिए। वक्त से पहले दवा छोड़ देने से वापिस इस रोग के होने की सम्भावना बन जाती है|
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