Hellp Syndrome in Pregnancy: गर्भावस्था में होने वाली एक गंभीर समस्या

गर्भावस्था एक ऐसा समय है जो महिलाओं के लिए काफी ख़ुशी वाला होता है लेकिन इस समय में महिलाओं का विशेष कर के ध्यान रखना चाहिए यह एक बहुत ही नाज़ुक समय होता है अगर कोई भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए क्योंकि छोटी छोटी समस्या कई गंभीर समस्याओं का रूप भी ले लेती है।

ऐसे ही कुछ महिलाओं में हैल्प की समस्या देखी गई है। यह समस्या अक्सर महिलाओं को गर्भावस्था में या फिर डिलीवरी के बाद होती है। यह रक्त से संबंधित एक समस्या है। जिसमे शरीर में ब्लड सेल्स में कुछ गड़बड़ हो जाती है।

हैल्प की समस्या में रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स अपने आप ही नष्ट होने लगते है। इसमें महिलाओं को एकदम से झटका लगता है और वे बेहोश हो जाती है। इसलिए इस समस्या को समय पर पहचानने के लिए इसका समय पर उपचार करने से माँ और बच्चे दोनों को इस खतरे से बचाया जा सकता है।

इस ऊपर दिए लेख में आज हम आपको बता रहे की किस तरह से हैल्प सिंड्रोम से बचा जा सकता है और इसके उपचार हेतु क्या करना उचित होगा साथ ही पढ़ें यह किस तरह की समस्या है और इसके लक्षण क्या होते है। इस लेख में पढ़े Hellp Syndrome in Pregnancy.

Hellp Syndrome in Pregnancy: जाने प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हैल्प सिंड्रोम क्या है

हैल्प सिंड्रोम

हैल्प सिंड्रोम एक रेयर समस्या है जो सभी महिलाओं को नहीं होती है। बहुत ही कम महिलाओं में यह समस्या देखी गयी है लेकिन आज कल की लाइफ स्टाइल के चलते यह समस्या हो भी सकती है तो इसका ध्यान रखे क्योंकि यह एक बहुत ही गंभीर समस्या होती है।

  • हैल्प समस्या तीन गंभीर समस्या का कारण बनती है इसलिए इसका नाम हैल्प है। समस्या निम्नलिखत है।
  • हेमोल्य्सिस (H) - इस समस्या में रेड ब्लड सेल्स कम हो जाते या फिर टूटने लग जाते है।
  • एलिवेटेड लिवर एंजाइम (EL) - अगर ब्लड का स्तर बढ़ता है तो इसका मतलब होता है की लिवर में कुछ समस्या है।
  • लौ प्लेटलेट्स (LP) - शरीर में ब्लड क्लॉट होने की समस्या होती है।

हैल्प सिंड्रोम क्या होता है?

  • हैल्प सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है जो की ब्लड, लिवर और ब्लड प्रेशर से संबंधित होती है।
  • इस समस्या का समय रहते इलाज करवाना काफी ज़रुरी होता है अगर नहीं करवाया जाए तो यह गर्भवती महिला और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक होता है।
  • हैल्प सिंड्रोम दो प्रकार की समस्या से जुड़ा हुआ है। एक प्रीक्लेम्पसिया और दूसरा एक्लेम्पसिया।
  • प्रीक्लेम्पसिया समस्या में गर्भवती महिला के शरीर में ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है फिर यह किडनी और लिवर को हानि पहुँचाता है।
  • प्रीक्लेम्पसिया ज्यादातर 20 हफ्ते बाद ही गर्भवती महिलाओं को होता है।
  • प्रीक्लेम्पसिया का समय पर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह एक्लेम्पसिया में बदल जाता है।
  • एक्लेम्पसिया में गर्भवती महिला को दौरे आने लग जाते और हालत और गंभीर हो जाती है।

हैल्प सिंड्रोम दूसरी गंभीर समस्या को पैदा करता है

  • सीज़र (Seizures) की समस्या होना। यह एक मानसिक समस्या होती है जो गर्भावस्था में महिलाओं के लिए ठीक नहीं है।
  • इसी के साथ हैल्प सिंड्रोम की वजह से गर्भावस्था में महिलाओं को स्ट्रोक का भी खतरा रहता है।
  • हैल्प सिंड्रोम का सही समय पर उपचार नहीं करवाया जाये तो लिवर रप्चर की समस्या हो जाती है। इसे लिवर रोग भी कहा जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं में हैल्प सिंड्रोम के कारण प्लेसेंटल की बाधा भी हो जाती है जिसमे बच्चे जन्म लेने के पहले ही गर्भाशय की दीवारों को अलग किया जाता है।
  • प्लेसेंटल की बाधा की वजह से रक्तस्राव की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
  • यह सभी समस्या होने वाले बच्चे को काफी ज्यादा प्रभावित करती है और यह समय के पहले बच्चे के जन्म का कारण भी बनती है।

हैल्प सिंड्रोम होने के कारण

  • अभी तक डॉक्टर भी इसके सटीक कारणों के बारे में पता नहीं लगा पाए है।
  • यह ज्यादातर उन महिलाओं में ही देखा जाता है जिन्हे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है।
  • लेकिन कुछ महिलाओं को यह समस्या सामान्य ब्लड प्रेशर होने पर भी हो जाती है।
  • इसके अलावा महिलाओं की उम्र 35 साल से ज्यादा हो तो भी उन्हें यह समस्या हो जाती है।
  • या फिर महिला के कोकेशियान के समय भी हैल्प सिंड्रोम हो जाता है।
  • महिला ने अगर बच्चे के जन्म के समय के पहले बच्चे को जन्म दिया हो।

Hellp syndrome symptoms: हैल्प सिंड्रोम के लक्षण

  • वैसे यह उन महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है जिन्होंने 20 वर्ष के पहले गर्भधारण किया हो या फिर 35 वर्ष के बाद।
  • इस में गर्भावस्था के दौरान महिलाये अस्वस्थ महसूस करती है।
  • हमेशा शरीर में थकान महसूस होना।
  • आँखों से कभी कभी धुंधला दिखाई देना।
  • जी मचलने जैसी समस्या होना और साथ ही लगातर उलटियो का होना।
  • हमेशा सर दर्द बना रहना।
  • पेट में दर्द का होना खासकर के दाँयी तरफ होना।
  • नाक से खून निकलने की समस्या होना।
  • इसके अलावा चेहरे पर और हाथों में सूजन का आना।

Early pregnancy test: हैल्प सिंड्रोम पर यह जांचे जरुरी

  • हैल्प सिंड्रोम के लक्षण पाते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
  • हैल्प सिंड्रोम में ब्लड की जाँच करवाए।
  • साथ ही देखे की पेट के ऊपर हिस्से में दर्द तो नहीं है।
  • लिवर का साइज बढ़ा तो नहीं है।
  • पैरों में सुजन तो नहीं आयी हुयी है।
  • लिवर में किसी प्रकार का कोई संक्रमण तो नहीं है।
  • शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स कम तो नहीं हो रही।

Hellp syndrome treatment: हैल्प सिंड्रोम के लिए उपचार

  • हैल्प सिंड्रोम के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से चेक अप करवाए।
  • गर्भावस्था में नियमित तौर पर ब्लड प्रेशर की जांच करवाए।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की कोई समस्या हो तो डॉक्टर को ज़रूर बताए।
  • हैल्प सिंड्रोम अगर किसी गर्भवती महिला में पाए जाते है तो बच्चे को जन्म जल्द से जल्द दे देना चाहिए।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड नाम की एक दवा आती है जिसे लेने से बच्चे के फेफड़ों का विकास जल्दी हो जाता है।
  • दौरे की समस्या से राहत पाने के लिए मेडिसिन लें।
  • साथ ही महिला को खून चढ़ाए जिससे खून की कमी ना हो।

गर्भवती महिलाओं को हैल्प सिंड्रोम से बचने के लिए ये सावधानियाँ बरतनी चाहिए

  • हैल्प सिंड्रोम से बचने के लिए अपने आप को हमेशा गर्भावस्था के दौरान और बाद में स्वस्थ रखे।
  • प्रसव के पहले की जाने वाली यात्रा के लिए पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • अगर परिवार में किसी को पहले ऐसी कोई समस्या रही है तो पहले ही डॉक्टर को इसके बारे बताये और हैल्प सिंड्रोम या फिर हाई ब्लड प्रेशर के कोई लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर को बताये।

इस ऊपर दिए लेख में आज अपने जाना की किस तरह से गर्भावस्था में हैल्प सिंड्रोम होने पर क्या करना चाहिए और इससे बचने के लिए किस तरह के उपचार करना चाहिए और गर्भवती महिलाओं को क्या क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।