Molar Pregnancy: गर्भावस्था की सबसे संवेदनशील अवस्था, जानिए प्रमुख जानकारी

Molar Pregnancy: गर्भावस्था की सबसे संवेदनशील अवस्था, जानिए प्रमुख जानकारी

गर्भधारण करना हर महिला के लिए बहुत ही ख़ुशी का अनुभव होता है। लेकिन 9 महीनो तक अपने पेट में बच्चे की देखभाल करना भी कोई सरल काम नहीं है। गर्भधारण के समय कई समस्याएं भी आती है जिनमे से एक है मोलर गर्भधारण।

मोलर गर्भधारण, गर्भावस्था की एक दुर्लभ बीमारी होती है। जो की बहुत ही असाधारण होती है। इस अवस्था को गर्भावस्था की सबसे संवेदनशील अवस्था भी माना जाता है। जिसमें क्रोमोसोम महिला के निषेचित अंडे पर नहीं होता है।

एक सामान्य गर्भावस्था में निषेचित अंडे में पिता और मां दोनों के 23-23 क्रोमोजोम उपस्थित होते हैं। परन्तु एक संपूर्ण मोलर गर्भाधान में निषेचित अंडे में माता का कोई क्रोमोजोम नहीं पाया जाता है, किंतु पिता के शुक्राणुओं की संख्या दोगुनी हो जाती है।

मोलर गर्भधारण को हाइडेटिडिफॉर्म मोल भी कहा जाता है। जो गेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक ट्यूमर्स नाम की कई स्थितियों के समूह का एक हिस्सा होता है। आइये विस्तार से जानते है Molar pregnancy के बारे में।

Molar Pregnancy in Hindi: जानिए यह क्या है और कैसे होती है?

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मोलर गर्भधारण को कैसे जाने

  • इस अवस्था में आरंभिक में आपको गर्भावस्था के कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते है लेकिन कुछ समय पश्चात् थोड़ा-थोड़ा रक्तस्राव शुरू हो जाता है।
  • इस रक्तस्राव का रंग हल्का लाल या गहरा भूरा होता है, जो लगातार या रूक-रूक कर, हल्का या फिर भारी मात्रा में भी हो सकता है।
  • इसमें तेज उल्टी तथा उदरीय सूजन भी हो सकती है।
  • संपूर्ण मोलर गर्भधारण का पता अल्ट्रासाउंड स्कैन से चलता है साथ ही रक्त जांच द्वारा एचसीजी के स्तर का निर्धारण कर इस मोलर गर्भधारण का पता लगाया जा सकता है।
  • आपको बता दे की आंशिक मोलर गर्भधारण का पता लगाया जाना थोड़ा कठिन हो सकता है।
  • यह रक्तस्राव आपकी गर्भावस्था के छ्ठे हफ्तों से लेकर 16वें हफ्तों के मध्य शुरू हो सकता है।
  • गर्भावस्था में स्रावित होने वाले हॉर्मोन- ह्युमैन कॉरियोनिक गोनैडोट्रोपिन (एचसीजी) का स्तर सामान्य से काफी ज्यादा हो जाता है।

मोलर गर्भधारण से पड़ने वाले प्रभाव

  • मोलर गर्भधारण का पता चलने के बाद विषेश परिस्थिति के अनुसार मोलर गर्भधारण का 6 महीने तक विषेश ध्यान रखना आवश्यक होता है।
  • इसका कारण होता है की मोलर गर्भधारण की थोड़ी मात्रा भी तेजी से बढ़ सकती है और कई बार यह इलाज के कई महीने बाद भी हो सकता है।
  • यदि एचसीजी स्तर बढ़ना आरंभ हो जाता है या फिर ऊंचा रहता है तो इसकी सूचना दी जाती है।
  • मोलर गर्भधारण होने पर त्रुटिपूर्ण ऊतकों का गुच्छा निर्मित होने लगता है जिसका पता अल्ट्रासाउंड के जरिये आसानी से देखा जा सकता है।
  • बी रक्त वाली महिलाओं में मोलर गर्भधारण की सम्भावनाये ज्यादा होती है।

मोलर गर्भधारण का पता चलने पर डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करे। आपको बता दे की मोलर गर्भधारण के उपचार के बाद दोबारा गर्भधारण के लिए कुछ समय का अंतराल का होना आवश्यक होता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर ही पुनः गर्भधारण के बारे में विचार करे।

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