Green Building: ग्रीन बिडिंग के ग्रीन होम पर्यावरण के साथ आपको भी रखेंगे स्वस्थ

आजकल के ज़माने में बढ़ते हुए प्रदूषण के घातक प्रभाव को खत्म करने लिए बहुत सारे नए नए आइडियाज को प्रयोग में लाया जा रहा है। इन्हीं नए नए आइडियाज में से एक प्रमुख आइडिया हा ग्रीन बिल्डिंग बनाने का।

प्रदूषण को कम करने के लिये अब यह हरित भवन अवधारणा (Green Building Concept) पर बहुत ज्यादा तबज्जो दिया जाने लगा है। इसके माध्यम से प्रदूषण के खतरे को बहुत हद तक घटाया जा सकता है, और अपने आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ और प्रदूषण रहित रखा जा सकता है।

बताया जाता है की इन बिल्डिंग के माध्यम से बिजली तथा पानी का कम से कम खपत किया जाता है। प्रदूषण कम होने की वज़ह से हीं इस तरह के बिल्डिंग का चलन आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ जाने की भी उम्मीद की जा रही है।

इस तरह के बिल्डिंग में कचरा निस्तारण तथा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए भी कई कारगर उपाय किये जाते हैं। ऐसे मकानों का तापमान अपेक्षाकृत दूसरे सामान्य मकानों की तुलना में 10 डिग्री तक कम रख सकेंगे। आज के इस लेख में पढ़ते हैं Green Building.

Green Building: जानिये कैसे ग्रीन होम्स रखेगा पर्यावरण को सम्हाल कर

आज की दुनिया विकास के साथ साथ खुद को स्वच्छ, प्रदुषण मुक्त और प्रकृति के करीब भी रखना चाहती है, इसीलिए आज कल के विकास की अवधारणा तथा प्राथमिकताओं ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ अच्छे और प्रकृति उपयोगी कार्य किये हैं। प्रकृति तथा पर्यावरण को हो रही क्षति को कम करने की तरफ सबसे उपयोगी साबित हो रही है ग्रीन बिल्डिंग या हरित भवन की नई अवधारणा। आने वाले भविष्य के लिये Green Home सबसे जरूरी कदम है।

कब आई ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा

  • ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा हमारे भारत जैसे देशों के लिये एक नई अवधारणा हो सकती है पर विदेशों में इस तरह के घरों का चलन लगभग 20 वर्ष पहले ही शुरू हो चुका है।
  • कई बड़े बड़े और विकसित देशों ने प्रकृति को नुकसान पहुँचाने के बाद पर्यावरण को हो रहे नुकसान को बहुत पहले समझ लिया था और इसी के निष्पादन के लिए ग्रीन बिल्डिंग और ग्रीन होम की अवधारणा लायी गयी।

भारत की क्या है वर्तमान स्थिति

  • अच्छी बात ये है कि अब हमारे देश के अन्दर भी इस तरफ लोगों तथा बिल्डर्स का ध्यान चला गया है, और लोग ऐसे घर बनाने पर जोर देने लगे हैं।
  • फिलहाल तो दुनिया में भारत ग्रीन बिल्डिंग की इस लिस्ट में बहुत पीछे है। इस लिस्ट में अमेरिका पहले तथा चीन दूसरे नम्बर पर है।
  • बहरहाल वर्तमान में देश के अलग-अलग शहरों में करीब तीन हजार से अधिक ग्रीन बिल्डिंग के प्रोजेक्ट पर कार्य प्रगति पर है।
  • पिछले पाँच सालों में ही भारत के कुछ शहरों जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद, पंचकूला और चंडीगढ़ के साथ साथ इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में भी इस तरह के घरों को लेकर लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ी है।

पर्यावरण के लिए वरदान

  • ग्रीन बिल्डिंग अर्थात हरित भवन विशेष तौर पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हीं बनाए जाते हैं।
  • ये बिल्डिंग पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई हानि नहीं पहुँचाते हैं साथ हीं ये उर्जा की बेतहाशा बर्बादी को भी रोक देते हैं।
  • आजकल बिगड़ते हुए हमारे पर्यावरण के नुकसानों को नजर में रखते हुए इनमें उर्जा तथा पानी को बचाने पर भी बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है।
  • इन घरों के आस-पास में बहुत बड़ी संख्या में पेड़-पौधे को लगाया जाता है जिससे इसके आस पास के क्षेत्र का तापमान नियंत्रित रह पाए।
  • हमारे देश की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञों की राय है की यहाँ हरियाली को लगभग 30 से 35% तक और बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • अगर बात सिंगापुर जैसे छोटे देश की करें तो वहां हरियाली 49% तक है। यहाँ प्रकृति और पर्यावरण को देखते हुए विशेष तौर पर इस बात का ख्याल रखा जाता है कि यहाँ निवास करने वाले लोगों को प्रकाश और स्वच्छ हवा के लिये बिजली तथा अन्य संसाधनों का उपयोग कम से कम करना पड़े।
  • इन मकानों का तापमान भी शीतल बना हुआ रहता है और सबसे मुख्य बात बात तो यह होती है कि इन सब के बावजूद भी इसकी लागत दूसरे सामान्य मकानों की लागत की तुलना में बस 3% ही अधिक होता है मतलब यहाँ अंतर बहुत हीं कम का है।

इन बिल्डिंग की खूबियाँ

  • ग्रीन कंसेप्ट के बिल्डिंग को बनाते समय पर्यावरण को बिना किसी प्रकार का हानि पहुँचाए ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है।
  • ये ध्यान रखा जाता है की सूरज का प्रकाश मकान के ज्यादातर भाग को रोशन कर सके जिससे बिजली की खपत कम से कम हो सके।
  • रात में जहाँ पर जरूरी हो वहाँ पर भी कितने वाट का बल्ब या फिर ट्यूबलाइट जरूरी है साथ हीं जहाँ जरूरी नहीं हो वहाँ खपत कम हो, इसके लिये भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
  • इसी तरह इसमें खिड़कियाँ आदि भी ऐसी बनवाई जाती हैं कि हमेशा हवा मिलती रहे। ऐसे मकानों में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है की प्राकृतिक हवा का प्रवेश और निकास अच्छे तरीके से होता रहे और पंखें, कूलर और एसी आदि चलाए बिना भी आसानी से प्राकृतिक हवा घर के हर कोने में मिलती रहे।
  • ध्यान रखा जाता है की गर्मियों के मौसम में बिना किसी यांत्रिक संसाधन के भी मकान को ठंडा रखने की व्यवस्था भी इसमें होती है।
  • इसके लिए फ्लाई एश की टाइल्स जो अपेक्षाकृत ठंडी होती है लगे जाती है और गर्मियों के दिनों में जब गर्म हवा तथा धूप के कारण मकान की बाहरी दीवारें बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है तो ऐसे समय में भी फ्लाई एश अंदर की तापमान ठंडा बनाए रखती है।
  • इसके अलावा भूमि के जल स्तर को भी बढ़ाने के लिये ऐसे मकानों में प्राकृतिक रीचार्ज जैसे तकनीकों तथा सीवरेज की मॉडर्न तकनीकों का भी इसमें व्यवस्था की जाती है।
  • सबसे मुख्य इनके निर्माण में भूकम्परोधी तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है। इन सभी वजहों से हीं आज कल यह ख़ासा लोकप्रिय हो रहा है।

आज के इस लेख में आपने जाना ग्रीन बिल्डिंग के बारे में, ऐसे बिल्डिंग ना सिर्फ आपके पर्यावरण की रक्षा करते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं।