World Environment Day 2018: भारत सहित पूरा विश्व प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ेगा

World Environment Day 2018: भारत सहित पूरा विश्व प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ेगा

प्रकृति ने अपने खजाने में इंसानों को बहुत कुछ ऐसा दिया है जिसका हमें हमेशा शुक्रगुजार रहना चाहिए, लेकिन हम प्रकृति की देन का ख्याल रखने के बजाय उनका दोहन और शोषण शुरू कर देते हैं।

जिस तरह से पृथ्वी की आबादी आये दिन बढ़ रही है वैसे वैसे प्रकृति के मौजूद खजानों का दोहन बढ़ता जा रहा है। इसी दोहन के कारण हमारी प्रकृति दूषित होती जा रही है और चारो तरफ प्रदूषण बढ़ रहा है।

यही प्रदूषण है जिसकी वज़ह से मौसम के बदलाव में अब निरंतरता नहीं रह गई है, कभी अल्पवृष्टि होता है तो कभी अतिवृष्टि। गर्मी बहुत ज्यादा पड़ने लगी है। ऋतुएं कम हो गई है।

आज विश्व पर्यावरण दिवस है आज के दिन आइये ये जानने की कोशिश करते हैं की यह सब आखिर कैसे और क्यों हो रहा है? साथ हीं हम जानेंगे की इसे सही करने के उपाय क्या हैं? पढ़ें World Environment Day 2018.

World Environment Day 2018: जाने विश्व कैसे हराएगा प्लास्टिक प्रदूषण को

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जैसा की आप जानते हैं की June 5 World Environment Day आज पूरी दुनिया मना रही है। पूरी दुनिया आज इस बात पर मनन कर रही है की आखिर कैसे हम अपने पर्यावरण को बचाएं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सम्हाल कर रखें। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का मेजबान हमारा देश भारत बना है और इस बार का World Environment Day 2018 Theme है- ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’।

एक वक़्त पर प्लास्टिक का आविष्कार साइंटिस्ट ने लोगों की सुविधा के लिए किया था, पर अब यह आविष्कार भस्मासुर का स्वरूप ले कर हमारे पर्यावरण के नाश की वज़ह बनती जा रही है। प्लास्टिक की सबसे बड़ी खूबी आज दुनिया के लिए सबसे ज्यादा समस्या पैदा करने वाली बात बन गई है, और वो बात है इसका कभी भी पूरी तरह से नष्ट न हो पाना। इसी वज़ह से आज हमारी धरती की जमीन से लेकर समुद्र तक हर कहीं बस प्लास्टिक ही प्लास्टिक देखी जा सकती है। आज हम पानी के साथ प्लास्टिक पी रहे हैं, नमक के साथ प्लास्टिक खा रहे हैं। हर साल लाखों पानी में रहने वाले जीव जंतु प्लास्टिक के इस प्रदूषण से मर जाते हैं। थाईलैंड में कुछ दिन पहले हीं एक व्हेल मछली 80 से भी ज्यादा प्लास्टिक बैग निगल जाने की वज़ह से मर गई। आज दुनिया की ऐसी बुरी स्थिति हमारे द्वारा की गई गलतियों के कारण हीं हुई है। हम इन गलतियों को दूर करने के विकल्पों की ओर आज भी देखना नहीं चाहते हैं और इसी कारण इस साल World Environment Day की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को ख़त्म करने के लिए “Beat Plastic Pollution’ रखी गई है।

भारत प्लास्टिक के बड़े उपभोक्ताओं में एक

  • अगर भारत की प्लास्टिक उपभोक्ता के तौर पर रैंकिंग देखि जाए तो यह विश्व में पांचवे नम्बर पर है।
  • वही अमेरिका में हर साल औसत व्यक्ति करीब 109 किग्रा प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। इसकी तुलना में भारत में एक औसत भारतीय हर साल 11 किग्रा प्लास्टिक का उपयोग करता है।
  • विनिर्माण के क्षेत्र में प्लास्टिक की आवश्यकता को देखते हुए भारत में प्लास्टिक उद्योग साल 2022 तक प्रति व्यक्ति प्लास्टिक उपयोग को बढ़ा कर दोगुना करने के लिया प्रयासरत है।

क्या है इसके खिलाफ कानून

  • फिलहाल हमारे देश में प्लास्टिक के उपयोग पर लगाम लगाने के लिए बस एक कानून बना हुआ है।
  • इस क़ानून के अनुसार कोई भी प्लास्टिक उत्पादक या फिर दुकानदार 50 माइक्रान से कम मोटी प्लास्टिक उपयोग नहीं कर सकता है।
  • वैसे यह कानून अन्य दूसरे प्रकार के प्लास्टिक बैग पर अभी लागू नहीं हो पाता इसीलिए प्लास्टिक का उपयोग फिलहाल कम होता नहीं दिख रहा है।

पानी को बना रहा है जहरीला

  • पृथ्वी पर जीवों के लिए पानी को एक प्रकार से अमृत की तरह माना जाता है पर इस अमृत को अब प्लास्टिक अपने आगोश में ले कर जहरीला बना रहा है।
  • आजकल बोतलबंद पानी का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है और हम इन्हें मिनरल वाटर जान कर बड़े चाव से पीते हैं, पर क्या आपको मालूम है की उस पानी में भी प्लास्टिक के बहुत सारे सूक्ष्म कणों के होने के कई मामले सामने आ चुकी है।
  • न्यूयॉर्क के एक विश्वविद्यालय फ्रेडोनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने हाल हीं में एक शोध किया जिसमे नौ देशों के 19 चुनिन्दा स्थानों की 259 बोतलों पर हुए स्टडी में यह पता चला कि प्रति लीटर पानी में औसतन 325 प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौजूद थे।
  • शोध के दौरान किसी-किसी बोतल में तो प्लास्टिक के इन सूक्ष्म कणों की सांद्रता दस हजार तक भी देखी गई। कुल 259 में से सिर्फ 17 बोतलें प्लास्टिक के कणों से मुक्त मिली।
  • इन बोतलबंद पानी में अधिकतर जो प्लास्टिक कण के प्रकार मिले उन्हें पॉलीप्रोपायलिन कहा जाता हैं। इसी प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग कर के पानी के बोतलों का ढक्कन बनाया जाता है।
  • इस शोध में भारत के अलावा अमेरिका, चीन, ब्राजील, लेबनान, केन्या, इंडोनेशिया, मेक्सिको और थाईलैंड के बोतलबंद पानी को शामिल किया गया था।

पानी के प्रदूषित होने का कारण

  • असल में कभी भी न सड़ पाने वाला ये प्लास्टिक धरती के गर्भ में उपस्थित पानी जिसे भूजल भी कहते हैं को दूषित कर रहा है। इनमे प्लास्टिक के अति सूक्ष्म टुकड़े भूजल में मिल जाते हैं और उसे दूषित कर देते हैं।
  • मिनरल वाटर के नाम से जो बोलतबंद पानी हमे बाजार में मिलती है उसे बेचने वाली कंपनियां दरअसल इसी प्रदूषित भूजल का उपयोग करती है, परन्तु इस पानी की प्रोसेसिंग करते समय इन प्लास्टिक के सूक्ष्म कण को खत्म नहीं कर पाते हैं।

रोकथाम के लिए क्या किये जा रहे हैं

  • प्लास्टिक के प्रदूषण से रोकथाम के लिए विश्व के कई देश आगे आये हैं और इस पर कानून बना रहे हैं ।
  • साल 2016 में फ़्रांस ने प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने का कानून पास किया। इसके तहत प्लास्टिक की प्लेटें, कप और किसी भी प्रकार के बर्तनों को साल 2020 तक पूरी तरह प्रतिबंधित कर देने का योजना बनाया।
  • रवांडा सरकार ने अपने देश से प्राकृतिक रूप से सड़नशील न होने वाले हर तरह के उत्पादों को प्रतिबंधित कर दिया। यह अफ्रीकी देश साल 2008 से हीं प्लास्टिक मुक्त है।
  • स्वीडन में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है बल्कि यहाँ प्लास्टिक को ज्यादा से ज्यादा रिसाइकिल कर के इस्तेमाल किया जाता है।
  • आयरलैंड ने साल 2002 में प्लास्टिक के बैग पर टैक्स लागू कर दिया था जिसके तहत वहां के लोगों को प्लास्टिक के बैग का उपयोग करने पर बहुत ज्यादा टैक्स देना पड़ जाता था। इस कानून के आ जाने के बाद प्लास्टिक बैग के उपयोग में 94% तक की कमी आ गई।

ऐसा बिलकुल नहीं है कि हम इस प्लास्टिक के बढ़ते दखल के बाबजूद बस हाथ पर हाथ धर कर बैठे हुए हैं। बहुत सारे देशों में अलग अलग तरह से इससे निजात पाने के लिए जंग शुरू कर दी है । हमें भी जागरूक हो कर प्लास्टिक का इस्तेमाल खुद से बंद कर देना चाहिए ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक अच्छी पृथ्वी दे कर जाएँ । आप सभी को Happy Environment Day.

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