Health Effects Of Noise Pollution: अत्याधिक शोर बढ़ा देगा आपके आस पास ध्वनि प्रदूषण

बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण सिर्फ हमारे देश की ही नही बल्कि हर देश के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यातायात के साधन और औधोगिक मशीनों से निकलने वाली आवाज़ों ने मनुष्य का जीवन दूभर कर दिया है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण न लोगों को जाने कितनी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर सभी ने मिलकर इस समस्या को रोकने की और कदम नही उठाया तो ये समस्या एक दिन विकट रूप से सामने आएगी इसलिए जरूरी है की इस समस्या के समाधान के लिए सभी मिलकर कदम उठाये।

बढ़ते हुए Dhwani Pradushan से सिर्फ मानव ही नही बल्कि पशुओं के जीवन पर भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। हमारे पर्यावरण को जितनी क्षति जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण से हो रही ही उतना ही पर्यावरण का नुकसान ध्वनि Pradushan भी कर रहा है। कहीं न कहीं ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में मानव का ही हाथ है।

अगर सब लोग इसके रोकने या कम करने की ओर कदम उठाये तो निश्चित ही इसे नियन्त्रण में लाया जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बुजुर्ग ही नही बल्कि युवा वर्ग भी अपने सुनने की क्षमता को कम करता जा रहा है। जानते है Health Effects Of Noise Pollution के बारे में।

Health Effects Of Noise Pollution: जाने ध्वनि प्रदूषण के कारण और इसे रोकने के उपाय

ध्वनि प्रदूषण के कारण: Causes of Noise Pollution

  • Noise Pollution के बढने के कई साधन है। आज कल बड़े बड़े कारखाने आवासीय शहरों में ही बनते जा रहे है जिनमे उपयोग में आने वाली मशीनों से बहुत ज्यादा शोरगुल उत्पन्न होता है जिसकी आवाज़ से आस-पास में रहने वाले लोगो को शारीरिक ही नही बल्कि मानसिक रूप से भी क्षति पहुँचती है।
  • फटाखो की आवाज़ों से भी बुजुर्ग, बच्चों और पशुओं को नुकसान पहुँचता है। आज कल हर समारोह और त्योहारों पर फटाखो की आवाज से Sound Pollution का स्तर बढ़ता जा रहा है।
  • फटाखो से निकलने वाले धुएं के कारण वायु भी प्रदूषित होती है और साथ ही इसकी तेज़ आवाज़ों से ध्वनि भी प्रदूषित होती है गर्भवती महिलाओ पर इसका बहुत गलत प्रभाव होता है इसके असर के कारण गर्भ में पल रहे शिशु की सुनने की क्षमता भी कम हो सकती है।
  • तेज़ आवाज में बजने वाले गाने और संगीत भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। भारत में हर समारोह में निकलने वाली रैलियों और कई धार्मिक आयोजनों में जोर जोर से लाउड स्पीकर बजाये जाते है जो ध्वनि को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका निभाते है।
  • शादी समारोह में भी तेज़ आवाज में ढोल और डीजे बजाये जाते है जिनका भी पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ता है, ये भी पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण को तेज़ी से फैला रहे है।
  • इस शोरगुल से ध्वनि प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ में पढ़ने वाले बच्चों की पढाई पर भी गलत प्रभाव पड़ता है और बच्चे ध्यानपूर्वक पढ़ने में सक्षम नही रहते।
  • वहीं इन आवाज़ों के कारण मरीज़ों और बुजुर्गो को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्पीकर के तेज़ आवाजो के कारण भी सुनने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यातायात के साधन ध्वनि प्रदूषण को मुख्य रूप से बढ़ा रहे है। ट्रेनों, बसों, गाड़ियों से निकलने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाती है।
  • परिवहन के साधनों से ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी जोर-शोर से बढ़ रहा है। मोटर साइकिल, कार, यहाँ तक की वायुयान से भी ध्वनि प्रदूषण दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। इस पर अंकुश लगाना बहुत आवश्यक है।
  • नये निर्माण जैसे मकानों, पुल, नई फैक्ट्रियों के निर्माण में कई तरह की मशीनों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिनसे निकलने वाली आवाज़ों से भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • हमारे देश में हर जगह कंस्ट्रक्शन का काम चलता ही रहता है जो ध्वनि प्रदूषण के साथ साथ वायु प्रदूषण को भी बढ़ा रहा है।
  • औद्योगिक क्षेत्र भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में बहुत आगे है कई फैक्ट्रियों में उपयोग में आने वाली मशीने बहुत पुरानी हो जाती है जो बहुत ज्यादा आवाज़ करने लगती है जिससे पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण जोर शोर से फैलता है।
  • इसके साथ ही इन मशीनों से निकलने वाला धुंआ भी बहुत हानिकारक होता है। इसके चलते इसके आस-पास के लोगो को कई गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इससे निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण कई हानिकारक प्रभाव स्वास्थ्य पर देखने को मिल सकते है। इससे सुनने की क्षमता तो जा ही सकती है साथ ही इससे तनाव, नींद न आने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
  • ध्वनि प्रदूषण से दिल की धड़कन भी कम हो सकती है साथ ही इससे ब्लड प्रेशर का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • बहुत ज्यादा शोरगुल और ध्वनि प्रदूषण के कारण हार्ट अटैक का भी खतरा बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाओं और बीमारी से ग्रस्त लोगो पर ध्वनि प्रदूषण के बहुत सारे गलत प्रभाव देखने को मिल सकते है।
  • आने वाली पीढ़ी के लिए ध्वनि प्रदूषण एक अभिश्राप साबित हो सकता है इसलिए इसे रोकने के लिए सही कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय: Solution of Noise Pollution

  • ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए अगर सही कदम उठाये जाएँ तो इसे कम किया जा सकता है। जैसे फैक्ट्रियों को आवासीय शहरों के बाहर बनाया जाये तो इससे लोगो को कोई नुकसान नही होगा।
  • इसके अलावा इनमे उपयोग में लायी जाने वाली मशीनों का समय पर निरिक्षण किया जाये, ज्यादा पुरानी और आवाज़ करने वाली मशीनों पर प्रतिबंध लगाया जाये तो ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • उसी तरह तेज़ आवाज़ वाले स्पीकर और डीजे पर भी प्रतिबंध लगाया जाये या इसकी ध्वनि स्तर को निर्धारित किया जाये तो इससे भी ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • ज्यादा आवाज़ वाली गाडियों पर भी अंकुश लगाया जाये और ज्यादा शोर करने वाले वाहनों को प्रतिबंधित किया जाये।
  • वाहनों में साईलेंसर का प्रयोग किया जाये। मशीनों और उपकरणों से निकलने वाले शोर पर नियन्त्रण किया जाये।

Paryavaran Pradushan में ध्वनि प्रदूषण भी शामिल रहता है इसलिए इसे कम करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। पर्यावरण को हम जितना प्रदूषण से बचाएंगे हम भी उतना ही सुरक्षित रहेंगे।