Nasal Cancer: नाक के कैंसर से बचाव कर के रहें हमेशा स्वस्थ्य
नाक मनुष्य के शरीर का एक बेहद संवेदनशील अंग है। श्वसन तंत्र से जुड़े होने के कारण इसका महत्व और ज्यादा बाद जाता है। इसीलिए हमें अपने नाक का ख़ास ख्याल रखने की जरुरत पड़ती है।
आम तौर पार नाक से जुड़ी समस्यायों को हम ज्यादा महत्व नहीं देते है और इसे छोटी मोटी बीमारी समझ कर नजरअंदाज करते रहते हैं। पर यही छोटी मोटी बीमारिया आगे चल कर खतरनाक रूप धारण कर लेती है इसीलिए हमे इस पर शुरूआती अवस्था से हीं ध्यान देने की जरूरत होती है।
इन्हीं छोटी छोटी समस्यायों का एक खतरनाक रूप है नाक के कैंसर का। नाक का कैंसर एक बहुत हीं खतरनाक और घातक बीमारी होती है। इस बीमारी के लक्षण भी इतने ज्यादा विशिष्ट नहीं हैं इसीलिए आपको लगेगा की कोई और बीमारी है पर यह नाक का कैंसर भी हो सकता है। यही कारण है की ज्यादातर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं और डॉक्टर के पास जांच के लिए नहीं जाते हैं।
आज के इस लेख में हम इसी नाक के कैंसर से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने की कोशिश करेंगे ताकि अगर इसके शुरूआती लक्षण भी आपमें दिखे तो आप इसका इलाज तुरंत शुरू कर पाए। पढ़े Nasal Cancer.
Nasal Cancer: जाने नाक के कैंसर के लक्षण और कारणों को
नाक का कैंसर मुख्य रूप से अफ्रीका महाद्वीप और पूर्वी एशिया के देश लोगों में ज्यादा देखने को मिल जाता है। पर ऐसा भी नहीं है की यह दुनिया के बाकी हिस्सों में नहीं हो सकता है, यह कहीं भी किसी को भी हो सकता है।
क्या है नेजल कैंसर
- वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि नाक का कैंसर एपस्टीन बार वायरस के साथ पीड़ित के पहले के किसी संक्रमण रोग की वज़ह से भी हो सकता है।
- इसके अलावा ऐसा भी देखा गया है की जो नमकीन खाद्य पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं उनमे भी नाक के कैंसर के होने की संभावना ज्यादा होती है।
- इन सब वजहों के अलावा एक और वजह है जिससे नाक का कैंसर हो सकता है और वो वज़ह है जेनेटिक पूर्वाग्रह, अर्थात अगर आपके परिवार में कोई इस समस्या से पीड़ित रहा हो तब आपको भी इस समस्या के होने की संभावना बढ़ जाती है है।
- वैसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके होने का कारण क्या है, अगर आपको यह समस्या हो गई है तो इसका जल्द से जल्द इलाज करवाना सबसे जरुरी हो जाता है।
नाक के कैंसर के लक्षण
- इस घातक बीमारी के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है गर्दन में मौजूद लिम्फ नोड्स का विस्तार होना है। इस संकेत का मतलब होता है कि यह बीमारी पहले से ही आपके लिम्फ नोड्स तक फैल चुकी है।
- दूसरे लक्षणों में सांस लेने में समस्याएं पैदा होना भी आता है । इस दौरान कुछ भी भी निगलने में कठिनाइयों का सामना करना पद सकता है।
- सामान्य सर्दी या जुकाम के दौरान भी नाक इसके संक्रमण से संक्रमित हो सकता है इसलिए अगर व्यक्ति को इस दौरान नाक के माध्यम से सांस लेने में परेशानी हो और आवाज बदली बदली सी लगे तो यह नाक का कैंसर हो सकता है।
- नाक में होने वाला कंजेशन और स्टीफ़नेस जो धीरे धीरे बढता जा राह हो यह भी Nose Cancer Symptoms हो सकता है।
- इसके अलावा आंखों के ऊपर या नीचे दर्द होना, नाक के एक तरफ अवरोध महसूस करना और नाक से खून निकलना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
- नाक से गंदगी निकालने के लिए पुस करने की जरुरत पड़ना भी नेजल कैंसर का लक्षण हो सकता है।
- नाक से किसी प्रकार की गंध को सूंघ पाने की शक्ति में कमी आ जाने से भी आप नेजल कैंसर की समस्या से ग्रषित हो सकते हैं।
- चेहरे के अलग अलग हिस्सों में दर्द और दांतों का ढीला या नुकीला हो जाना।
- लगातार आँखों में पानी का रहना।
- देखने की शक्ति में नुकसान आजा या फिर परिवर्तन हो जाना।
- दोनों कानों में से किसी एक में दर्द या फिर दबाव महसूस होना।
- बहरापन।
- सरदर्द।
- मुंह खोलने में परेशानी।
परीक्षण जिनसे नाक के कैंसर की जांच करते हैं
निम्नलिखित परीक्षण और प्रक्रियाओं का उपयोग नाक के कैंसर का पता लगाने के लिए किया जा सकता है:
शारीरिक परीक्षा और इतिहास: स्वास्थ्य के सामान्य लक्षणों की जांच करने के लिए शरीर का परिक्षण किया जाता है जिसमें बीमारी के संकेतों की जांच शामिल होती है। रोगी की स्वास्थ्य आदतों और पिछली बीमारियों और उपचारों का इतिहास भी लिया जाएगा।
नाक, चेहरे और गर्दन की शारीरिक परिक्षण: इस परिक्षण ने में डॉक्टर एक छोटे और लंबे हैंडल वाले दर्पण से नाक अन्दर के असामान्य क्षेत्रों की जांच करता है, इसके अलावा चेहरे और गर्दन पर के गांठों या सूजन को भी जांचा जाता है।
सिर और गर्दन की एक्स-रे: एक्स-रे एक प्रकार की ऊर्जा बीम है जो शरीर के आर पार चली जाती है और इसके माध्यम से शरीर के अंदर के क्षेत्रों की तस्वीर बन जाती है। इसके जरिये सर और गर्दन की अवस्था की जांच की जाती है।
एमआरआई: एक प्रक्रिया जो चुंबक, रेडियो तरंगों और कंप्यूटर के अंदर क्षेत्रों के विस्तृत चित्रों की श्रृंखला बनाने के लिए एक कंप्यूटर का उपयोग करती है। इस प्रक्रिया को परमाणु चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एनएमआरआई) भी कहा जाता है।
बायोप्सी: इसके अंतर्गत कोशिकाओं या ऊतकों को हटा कर कैंसर के लक्षणों की जांच करने के लिए रोगविज्ञानी द्वारा सूक्ष्मदर्शी के नीचे देखा जाता है।
तीन प्रकार से बायोप्सी की जाती है
एफएनए बायोप्सी: इसमें एक पतली सुई का उपयोग कर ऊतक या तरल पदार्थ को हटाते हैं।
आकस्मिक बायोप्सी: इसमें ऊतक के एक क्षेत्र के हिस्से को हटाया जाता है जो सामान्य नहीं दिखता है।
एक्सीजनल बायोप्सी: इसमें उस ऊतक के पूरे क्षेत्र को हटा दिया जाता है जो सामान्य नहीं दिखता है।
नासोस्कोपी: इसके माध्यम से नाक के असमान्य क्षेत्रों की जांच की जाती है और नाक के अन्दर देख कर परिक्षण किया जाता है। इसमें नाक में एक नास्कोस्कोप डाला जाता है। नासोस्कोप एक पतली, ट्यूब जैसी यंत्र है जिसमें प्रकाश और देखने के लिए एक लेंस होता है। इस विशेष यंत्र से ऊतक के नमूने को निकाला जाता है। ऊतकों के नमूने की बाद में जांच की जाती है की इनमे कैंसर के लक्षण तो नहीं है।
आज के इस लेख में आपने जाना नाक के कैंसर के लक्षणों और कारणों के साथ साथ इसका पता लगाने के लिए किये जाने वाले चिकित्सकीय परीक्षणों के बारे में भी जाना। अगर आप इस तरह की किसी समस्या से परेशान होंगे तो आप इसका निदान शुरूआती अवस्था में हीं कर पायेंगे।