Pregnancy Calculator in Hindi: गर्भ में पल रहे बच्चे की जन्म तारीख कैलकुलेट करे

माँ बनना दुनिया की किसी भी महिला के लिए एक सौभाग्य की बात होती है। यह एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है, और जैसे ही महिलाओ को यह बात पता चलती है की वे माँ बनने वाली हैं तो उनके दिमाग में सबसे पहला सवाल यही आता है की उसके बच्चे का जन्म कब तक हो जाएगा।

बच्चे के जन्म से जुड़ी जानकारियों के लिए महिलाये सिर्फ डॉक्टर्स की कैलकुलेशन पर ही निर्भर रहती है लेकिन यह ज़रूरी नहीं होता की डॉक्टर्स जो डेट दें बच्चे का जन्म उसी डेट पर हो। डॉक्टर्स भी एक अनुमानित डेट ही बताते है।

वैसे भी बच्चे की निश्चित तारीख बताना थोड़ा मुश्किल ही होता है। इसलिए डॉक्टर्स भी बच्चे की जन्म तारीख की कैलकुलेशन माँ के लास्ट पीरियड डेट के अनुसार ही करते है। वैसे बच्चे का जन्म प्रेगनेंसी के 38 हफ्ते से 40 हफ्ते के बीच और उसके बाद होता है।

इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं की बच्चे की जन्म की तारीख डॉक्टर्स कैसे पता करते है और उनकी कैलकुलेशन का तरीका क्या होता है। इससे आप भी अपने बच्चे की अनुमानित डिलीवरी डेट कैलकुलेट कर पाएंगे। पढ़े Pregnancy Calculator in Hindi

Pregnancy Calculator in Hindi: जाने कैसे कैलकुलेट करते है बच्चे की जन्म तारीख

लास्ट पीरियड्स डेट से कैलकुलेशन करना

  • आप भी अपने बच्चे की जन्म तारीख अपने आखिरी पीरियड की डेट से पता कर सकते हैं ।
  • इसमें आप अपने लास्ट पीरियड के पहले दिन से कैलकुलेट कर सकते है।
  • बहुत सारे डॉक्टर्स भी इस मेथड से कैलकुलेट कर के बच्चे की जन्म तारीख निकालते है।
  • उदाहरण के लिए अगर आपकी लास्ट पीरियड्स डेट 11 फरवरी है तो डॉक्टर्स उसमे 9 मंथ्स जोड़ देते है और साथ ही 7 दिन और ज्यादा जोड़ते है तो ऐसे आपकी डेट 18 नवंबर हो जाती है।
  • इसके अलावा आप अपनी डिलीवरी डेट पता करने के लिए अपने लास्ट पीरियड से 40 हफ्ते जोड़ ले इससे आपको डिलीवरी डेट पता चल जाएगी।

अल्ट्रासॉउन्ड से कैलकुलेशन करना

  • अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन करवाने से भी आपकी डिलीवरी डेट का पता चल जाती है।
  • कई बार बहुत सी महिलाओं को आपने लास्ट पीरियड की डेट याद नहीं होती है।
  • इसलिए कई बार ऐसा होता है की लास्ट पीरियड की डेट से कैलकुलेशन करने पर वह डेट गलत निकल जाती है।
  • अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से बच्चे की स्थिति और साथ ही उसके जन्म लेने की तिथि भी पता चल जाती है।
  • अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन में डॉक्टर्स आपके बच्चे की स्थिति देख कर पता लगा लेते की बच्चा कितना बड़ा है और कितने हफ्ते और बचे है बच्चे के जन्म लेने में।

गर्भाशय से आकर से कैलकुलेशन करना

  • कई लोग माँ के बढ़ते पेट को देख कर ही अंदाज़ा लगा लेते है की बच्चा कितना बड़ा है।
  • वैसे भी जैसे जैसे बच्चे का विकास होता जाता है उसी तरह से माँ के गर्भाशय का भी आकार बढ़ता जाता है।
  • जब गर्भ अवस्था के 18 हफ्ते पूरे हो जाते हैं तो गर्भाशय का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से बढ़ जाता है।
  • इसी बढ़ते हुए आकार को देख कर ही कई लोग बच्चे की जन्म की तारीख का पता लगा लेते हैं।
  • वैसे देखा जाए तो गर्भाशय के आकार से बच्चे की जन्म की तारीख निकालना गलत ही होता है। इससे सही तारीख नहीं निकल सकती।
  • क्योंकि माँ के गर्भाशय का आकार कई प्रकार की चीज़ो पर निर्भर करता है।
  • कई बार माँ के पेट का आकर बच्चे की माँ के पेट में क्या स्थिति है उस पर भी डिपेंड करता है।
  • गर्भाशय में यूटेराइन फाइब्रॉयड (गर्भाशय में ट्यूमर) की उपस्थिति पर भी डिपेंड करता है। अगर किसी माँ को यह समस्या होती है तो भी माँ के पेट का आकार बढ़ जाता है।

डायबिटीज वाली महिलाओ के लिए कैलकुलेशन करना

  • गेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस, इसमें प्रेग्नेंट महिला का शुगर लेवल हाई होता है।
  • यह महिलाओं को गर्भ अवस्था में होने वाली डायबिटीज होती है जिससे की इसका असर बच्चे पर भी सीधा पड़ता है।
  • इसमें भी बच्चे के जन्म की कैलकुलेशन तो वैसे ही करते है लेकिन शुगर लेवल को ध्यान में रखते हुए क्योंकि अगर माँ को डायबिटीज है तो बच्चे के अंदर भी डायबिटीज के लक्षण पाए जाते है।
  • इसलिए इससे बच्चे के लिए महिलाओ को अपनी गर्भावस्था में एक सिमित मात्रा में भी शुगर का सेवन करना चाहिए।
  • इस अवस्था कैलकुलेशन के लिए आपकी शुगर लेवल क्या है। बिना कुछ खाए पीए और खाने पीने के 2 घंटे बाद आपका शुगर लेवल क्या है इस पे भी डिपेंड करता है।

ओव्यूलेशन से कैलकुलेशन करना

  • इस कैलकुलेशन में गर्भधारण वाली डेट से कैलकुलेशन की जाती है।
  • इसमें 14 दिन जोड़ कर कैलकुलेशन की जाती है।
  • क्योंकि पीरियड्स के बाद 14वे दिन पर ही ओव्यूलेशन होता है।
  • कई बार यह तरीका सही नहीं होता है क्योंकि कई महिलाओ को समय पर पीरियड्स ना आने की शिकायत भी रहती है।
  • साथ ही इस कैलकुलेशन में 3 महीने और 7 दिन अंडाशय की तारीख से कैलकुलेट करते है।
  • इस कैलकुलेशन में ज़रुरी होता है की महिलाओं को अपनी गर्भधारण की तारीख याद हो।
  • इसमें गर्भधारण की डेट से 38 हफ्ते जोड़ कर भी बच्चे की जन्म तारीख पता की जाती है।

2 महीने एग्जामिन कर के कैलकुलेशन करना

  • इस कैलकुलेशन में आप अपने गर्भाशय का चेकअप करवा कर भी पता लगा सकते है।
  • इस कैलकुलेशन को पेल्विक क्षेत्र से पता लगाया जाता है क्योंकि स्टार्टिंग के 3 मंथ्स तक गर्भाशय पेल्विक क्षेत्र में भी होता है।
  • इस कैलकुलेशन में आपका बच्चा कितना बड़ा है यह पता चल जाता है और उसी के आधार पर बच्चे की जन्म तारीख पता की जाती है।

ऊपर दिए लेख में अपने पढ़ा किस तरह से आप अपने बच्चे की जन्म तारीख पता कर सकते हैं और डॉक्टर्स किस तरह से आपको अपने बच्चे की जन्म तारीख की कैलकुलेशन कर के डेट बताते है। तो अब आप खुद भी ऊपर दिए लेख में पढ़ कर के अपने बच्चे की जन्म तारीख का पता कर सकती है।