Kundalini Yoga: कुंडलिनी योग के माध्यम से जागृत करें अपनी ज्ञानेन्द्रियाँ
कुण्डलिनी योग का मतलब होता है – एक प्रकार के चित्र मिलन मे बिलकुल लीन हो जाना, प्राण का संचार करना, सब कुछ भूल कर ब्रह्म के ज्ञान में लीन हो जाना। इस कुण्डलिनी योग पर ज्यादातर तन्त्र सम्प्रदाय तथा शाक्त सम्प्रदाय का ज्यादा असर रहा है।
अपने चित्त का अपने स्वरूप में खो देना या चित्त की निरूद्ध स्थिति कुण्डलिनी योग के अन्तर्गत आता है, इसे Kundalini Meditation भी कह सकते हैं। जब किसी व्यक्ति के चित्त में चलते, बैठते, सोते और भोजन करते लगभग हर समय ब्रहम का हीं ध्यान रहे तो इसी इसी को कुण्डलिनी योग कहते हैं।
योग के सिद्धांत के मुताबिक़ हर मनुष्य के मेरुदंड के निचले हिस्से में एक ऊर्जा संग्रहीत रहती है जो अगर जाग्रत हो जाए तो उस मनुष्य को स्वयं के ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। इस योग की चर्चा उपनिषदों और शाक्त के विचारधारा के अन्दर बहुत बार किया गया है।
कुंडलिनी योग को नियमित तौर पर करने से मनुष्य को सुख की प्राप्ति हो जाती है और दुःख तथा चिंता जैसे विकार उससे दूर हो जाते है। आज के इस लेख में हम आपको Kundalini Yoga के बारे में बताने जा रहे है। आज हम इस योग के करने की विधि तथा लाभो के बारे में आपको बताएंगे ताकि आप इस योग का अभ्यास कर के अपनी चिन्ताओ और दुखो से निजात पा सकें।
Kundalini Yoga: साकारात्मक ऊर्जा का संचार करे कुंडलिनी योग
कुंडलिनी योग के माध्यम से शरीर की सुप्त शक्तियों को जगाया जाता है और इसके फलस्वरूप आपको काफी ज्यादा ऊर्जा भी प्राप्त होती है।
कुंडलिनी योग दरअसल ध्यान करने का ही एक अलग स्वरुप है जो मन, शरीर तथा ज्ञानेंद्रियों के अलग अलग तकनीकों से हीं बना है। सामान्यतः कुंडलिनी ऊर्जा मानव शरीर के मेरुदंड के अंदर एक घुमावदार सांप की आकृति में सारे चक्रों को जोड़ती हुई महसूस होती है। इस योग के दौरान यौगिक जागृति के लिए रीढ़ तथा एंडोक्राइन सिस्टम दोनों ही हिस्सों पर बहुत ध्यान दिया जाता है। कुंडलिनी योग की सहायता से शरीर में मौजूद सातों चक्रों को जगाया जा सकता है।
कुंडलिनी योग दरअसल एक आध्यात्मिक योग है। यह न सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति देता है बल्कि यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे कर के हम कई प्रकार के रोगों से भी बाख सकते हैं।
कैसे करें कुंडलिनी योग
- कुंडलिनी योग को करने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह के सूर्योदय से थोड़े पहले और थोड़ी देर बाद का होता है।
- इसके अभ्यास को करने से पहले अपने मस्तिष्क को अच्छे से स्थिर और शांत कर लें, और इसके बाद अपनी दोनों भौंहों के मध्य के स्थान पर अपना ध्यान केन्द्रित करना शुरू कर दें।
- इस दौरान पद्मासन या फिर सिद्धासन की अवस्था में बैठे हुए अपने बाएं पैर की एड़ी को अपने जननेन्द्रियों के मध्य ले जाते हुए इस प्रकार से सटाएं कि उसका तला आपकी जांघों को छूता हुआ सा लगे।
- इसके बाद अपने बाएं पाँव के अंगूठे तथा तर्जनी को दाहिने जांघ के मध्य लें जाएँ या फिर आप सीधे पद्मासन की मुद्रा को कर लें।
- अब आप अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नाक को दबाते हुए नाभि से लेकर गले तक की सारी हवा को धीमे धीमे बाहर निकाल दें। इस तरह से आप सारी हवा को बाहर की तरफ छोड़ दें।
- अपनी सांस को बाहर की तरफ छोडते हुए अपनी दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें और फिर अपनी नाक के अगले हिस्से पर अपनी आँखों को केन्द्रित कर के रखें।
- अब इसके बाद प्राणायाम की अवस्था धारण कर के दूसरी मुद्राओं का भी अभ्यास कर लेना चाहिए।
- कुंडलिनी योग के माध्यम से मनुष्य अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए प्रयास कर सकता है। इसके लिए कोई भी निश्चित वक़्त नहीं होता है। कुंडलिनी योगा का नियमित तौर पर कम से कम एक घंटे तक के लिए अभ्यास करना चाहिए।
कुंडलिनी योग के लाभ (Kundalini Yoga Benefits)
- कुंडलिनी योग के नियमित अभ्यास से पाचन, ग्रंथियों, रक्त संचार, लिंफ तंत्रिका तंत्र को अच्छे तरीके से कार्य करने में सहायता करता है।
- इस कुंडलिनी योग का शरीर के ग्रंथि तंत्र पर सीधा और बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिससे मस्तिस्क से तनाव और अवसाद दूर हो जाते है और आँखों की रौशनी भी बढ़ जाती है जिससे देखने की क्षमता बढ़ती है।
- यह योग मनुष्य के ज्ञानेन्द्रियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है, जिससे व्यक्ति के सूंघने, देखने, महसूस करने और स्वाद लेने की शक्ति में इजाफा हो जाता है।
- कुंडलिनी योग के माध्यम से धूम्रपान और शराब जैसी बुरी और शरीर के लिए हानिकारक लत को भी छुड्वाया जा सकता है।
- इस योग के अभ्यास से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ जाता है और इससे मन को शांति और सुकून की प्राप्ति हो जाती है।
- कुंडलिनी योग दरअसल नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है, जिसकी वज़ह से व्यक्ति में सकारात्मक नजरिया और भावनाओं की उत्पत्ति हो जाती है और गुस्सा तथा तनाव कम आता है।
- कुंडलिनी योग से मनुष्यों की रोग-प्रतिरोधकशक्ति भी बढ़ जाती है और इसके कारण शरीर में होने वाली बहुत सारे खतरनाक बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
आज के इस लेख में हमने कुंडलिनी योग के बारे में बहुत सारी बाते बताई। लेख में कुंडलिनी योग को कैसे किया जाता है और इसके क्या लाभ हो सकते है इन सब जानकारियों को समाहित किया गया है। अगर आप भी अपने जिन्दगी में तनाव या दुखों के कारण परेशान चल रहे हैं तो आप भी इस योग का अभ्यास कर सकते है। इस योग के अभ्यास के बाद आपका तनाव दूर हो जायेगा और आप के अंदर एक साकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा जिससे आप अपनी जिन्दगी ज्यादा बेहतर तरीके से जी पायेंगे।