Ectopic Pregnancy: समय रहते कर लें एक्टोपिक प्रेगनेंसी की पहचान

प्रेगनेंसी हर महिला के लिए एक सुखद एहसास होता है। साथ ही उसके परिवार वालों के लिए ख़ुशी के पल भी होता है। प्रेगनेंसी के दौरान नन्हे से मेहमान के आने का इंतजार होने लगता है। परिवार वाले उसके आने का दिन गिनना शुरू कर देते है।

गर्भवस्था के दौरान महिला को कई तरह की सावधानी बरतने की सलाह भी दी जाती है ताकि माँ और होने वाला शिशु दोनों ही स्वस्थ्य रहे। साथ ही महिला को उसके खानपान पर भी ध्यान रखने को कहा जाता है।

क्या आप जानते है प्रेगनेंसी भी कई प्रकार की होती है ? जी हाँ प्रेग्नेंसी के भी कई रूप होते है जिसमे से एक है एक्टोपिक प्रेगनेंसी जिसे अस्थानिक गर्भधारण के नाम से भी जाना जाता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी होता है ताकि आप इस प्रकार की प्रेग्नेंसी से बच पाए । आईये इस लेख द्वारा जानते है Ectopic Pregnancy के बारे में विस्तार से।

Ectopic Pregnancy: जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में

क्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी ?

  • बता दे की भ्रूण का सही विकास गर्भाशय के अंदर हीं होता है।
  • परन्तु कभी कभी कुछ कारण वश अंडा गर्भाशय में विकसित ना होकर गर्भाशय के बाहर ही निषेचित हो जाता है। ऐसी स्थिति को अस्थानिक गर्भावस्था यानि एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है।
  • अस्थानिक गर्भावस्था होने से भ्रूण गर्भ के बाहर ही विकसित होना शुरू कर देता है।
  • सरल शब्दों में कहा जाए तो अपने स्थान से हटकर जब गर्भ अन्य दूसरी जगह स्थापित हो जाता है तब उसे अस्थानिक गर्भावस्था कहा जाता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से होने वाले जोखिम

  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के दौरान अंडे का विकास फैलोपियन ट्यूब या फिर पेट के अन्य क्षेत्र में होने लगता है जिसके कारण फेलोपियन टय़ूब को हानि हो सकती है।
  • यदि फेलोपियन टय़ूब में फैलाव होता है तो इससे पेट में ब्लीडिंग या फिर तेज दर्द भी हो सकता है।
  • इसके कारण आंतरिक ब्लीडिंग भी कभी कभी हो सकती है। इसे रोकना बहुत कठिन होता है।
  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को लम्बे समय तक रखना खतरनाक होता है। अंडाणु को जितना जल्दी बाहर निकाला जाए उतना अच्छा होता है क्योंकि यदि गर्भ का विकास पूर्ण रूप से हो गया है तो यह महिला के लिए घातक हो सकता है।
  • डॉक्टर्स ऐसे समय में गर्भपात कराने की सलाह देते है ताकि महिला को कोई क्षति न हो।

किन महिलाओं को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का होता है खतरा:

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी बहुत ही कम महिलाओं में होती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी वैसे तो किसी भी महिला में हो सकती है। परन्तु कुछ महिलाओ में इसके होने की आशंकाएँ ज्यादा रहती है जैसे -

  • जिन महिलाओं के बाँझपन का उपचार जारी हो।
  • जिन महिलाओं के पेडू में सूजन की समस्या होती है और वह 35 वर्ष से अधिक उम्र की हो।
  • जो महिलायें धूम्रपान करती है उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
  • जिन महिलाओं को पहले भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या रह चुकी है उन्हें भी यह दोबारा हो सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षणों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि बहुत ही महिलाओ में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते है। कुछ लक्षणों को जानकर इसका पता किया जा सकता है। जैसे -

  • मासिक धर्म का देरी से होना
  • पानी के सामान रक्तस्रव का होना
  • दर्द व ब्लीडिंग का होना
  • मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द और रक्तस्रव से यह थोड़ा भिन्न होता है
  • शरीर का पीला पड़ जाना
  • उदर में दर्द
  • पेडू में दर्द
  • रक्तचाप कम होना
  • गले वाले भाग में दर्द का होना
  • कंधों में दर्द होना
  • शरीर में कमजोरी का होना
  • आलस आना
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
  • बेहोशी या फिर चक्कर का आना
  • मल त्याग करने में परेशानी का होना

उपरोक्त लक्षणों के देखने पर तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करे और इसकी जाँच कराये।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने का कारण -

  • ट्यूब के आकार में जन्म दोष या असामान्य वृद्धि के कारण असामान्यता उत्पन्न हो जाती है।
  • पहले सर्जरी हो चुकी हो तो भी उस पर भी अंडा चिपक जाता है।
  • यदि पहले ट्यूब में सर्जरी हुई है तो उसके कारण भी अंडे की गति में अवरोध उत्पन्न हो सकता है।
  • फेलोपियन ट्यूब में यदि रुकावट हो जाती है तो तो यह भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण बन सकता है।
  • प्रजनन शक्ति को बढाने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के सेवन से।
  • यदि किसी महिला का अस्थानिक गर्भ पूर्व में भी ठहर चुका हो तो उसे भी यह परेशानी हो सकती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का समय

  • देखा जाता है की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की समस्या गर्भावस्था के 4 से 8 सप्ताह के भीतर ही होती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का उपचार

  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का उपचार महिला की स्थिति और उसके शारीरिक बनावट के आधार पर किया जाता है।
  • इसके उपचार के लिए यह भी पता किया जाता है की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को कितना समय हो चूका है और भ्रूण की स्थिति कैसी है, साथ ही यह भी देखा जाता है की उसका आकार कितना है ।
  • उपरोक्त परिस्थितियों का पता लगा कर ही इसका उपचार शुरू किया जाता है।
  • यदि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता शुरू में ही चल जाए तो उसके उपचार के लिए इंजेक्शन की मदद ली जाती है।इंजेक्शन की मदद से भ्रूण की वृद्धि को रोका जाता है।
  • यदि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता थोड़ा देर से हुआ है और भ्रूण का आकर बड़ा हो गया है तो उस भ्रूण को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से बाहर निकाला जाता है।

कैसे करे इसका निदान

  • अस्थानिक गर्भावस्था यानि एक्टोपिक प्रेगनेंसी का निदान करने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है ताकि इससे अंडे की सही स्थिति के बारे में पता चल सके और उसका सही तरीके से निदान किया जा सके।
  • साथ ही इसके लिए पेल्विक जांच और रक्त जांच भी करवाई जा सकती है।

आपको बता दे की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के मामले बहुत कम सामने आते है। यह 100 महिलाओं में से 1 या फिर 2 महिलाओं को ही होती है। परन्तु इसकी जानकारी होना आवश्यक होता है ताकि इसका समय पर उपचार हो सके। साथ ही महिला की जान को भी बचाया जा सके। यदि आपको भी उपरोक्त संकेत दिखाई देते है तो अपने डॉक्टर से तुरंत ही संपर्क करे और अपनी जांचे पूर्ण रूप से करवाए। ताकि आप और आपका शिशु दोनों ही सुरक्षित रह सके। जानकारी ही बचाव है।