Nephrotic Syndrome in Hindi: कैसे पाएं नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से छुटकारा
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम दरअसल एक सामान्य किडनी की बीमारी मानी जाती है। इस समस्या के वजह से शरीर को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे मूत्र में प्रोटीन का चला जाना, ब्लड में प्रोटीन का स्तर घटने लगना, कोलेस्ट्रॉल का हाई लेवल पर पहुँच जाना और बॉडी फूलने लगना आदि।
वैसे तो माना जाता है की किडनी में होने वाली यह समस्या किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को परेशान कर सकती है पर ज्यादातर ऐसा देखा जाता है की यह समस्या बच्चों को सबसे ज्यादा अपने चपेट में लेता है। इसलिए हमें अपने साथ साथ अपने बच्चों के भी ख्याल रखने की जरुरत पड़ती है ताकि ये समस्या उन्हें परेशान ना कर पाए।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का उपचार सालों तक चलता रहता है क्योंकि ऐसा देखा जाता है की उचित इलाज करवाने से इस समस्या से होने वाला सूजन कुछ वक़्त के लिए घट जाता है पर कुछ दिन के बाद या फिर से दिखने लग जाता है। सूजन के घटते-बढ़ते रहने का ये चक्र बहुत दिनों तक चलता रहता है। ये घटना-बढ़ना इस समस्या की मुख्य विशेषता भी मानी जाती है।
लम्बे समय तक इस समस्या के कारण बार-बार सूजन होते रहने के कारण इस रोग से मरीज़ और साथ में मरीज़ का पूरा परिवार परेशान रहता है। आज इस लेख में जानते हैं नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से जुड़ी जानकारियाँ विस्तार में। पढ़ें Nephrotic Syndrome in Hindi.
Nephrotic Syndrome in Hindi: नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के कारण, लक्षण और उपचार
क्या है नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम?
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की समस्या में दरअसल हमारे किडनी पर असर पड़ता है। किडनी हमारे बॉडी में एक छन्नी की तरह कार्य करता है और इसी की मदद से शरीर के अंदर के अपशिष्ट पदार्थ तथा मूत्र शरीर से बाहर आ पाते हैं।
जब किसी को नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम होता है तब उसके किडनी में मौजूद छन्नी के छिद्र पहले से बड़े हो जाते हैं और इसी वजह से पानी की ज्यादा मात्रा और शरीर के लिए उपयोगी प्रोटीन भी मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है। इसकी वजह से बॉडी के अंदर प्रोटीन की कमी हो जाती है और बॉडी में सूजन होने लग जाती है।
किस कारण होता है नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम?
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के होने का अभी तक कोई निश्चित वजह पता नहीं लगा पाया गया है।
- चिकित्सीय दुनिया में ऐसा मान्यता है की श्वेत-कणों में होने वाले लिम्फोसाइट्स की कार्य-क्षमता में कमी आने के कारण यह बीमारी होती है।
- कुछ लोग इसका कारण आहार में बदलाव और दवाइयों के सेवन को भी मानते हैं पर ऐसा मानना बिलकुल गलत कहा जाता है।
क्या हैं नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लक्षण?
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोग ज्यादातर दो से छह वर्ष के बच्चों में देखने को मिलता है ।
- बाकी दूसरे आयुवर्ग के लोगों में यह बीमारी बच्चों की तुलना में कम देखने को मिलता है।
- ऐसा देखा गया है की इस बीमारी की शुरुआत अक्सर फीवर और खाँसी हो जाने के बाद होती है।
- इस रोग के आरंभिक लक्षणों में से मुख्य है आँखों के निचले हिस्से तथा पूरे चेहरे पर सूजन हो जाना ।
- आँखों के पास सूजन हो जाने पर ज्यादातर लोग इसकी जांच के लिए आँख के चिकित्सक के पास चले जाते हैं।
- जब मरीज सुबह के समय सोकर उठता है तब सूजन की समस्या अधिक दिखती है, यही इस बीमारी की प्रमुख पहचान है।
- सुबह को दिखने वाला ये सूजन जैसे जैसे दिन बढ़ता है वैसे वैसे कम भी होता जाता है और दिन खत्म होते होते बिलकुल खत्म हो जाता है।
- जब ये सिंड्रोम बहुत बढ़ जाता है तब पेट फूलने की समस्या, मूत्र कम होना, और बॉडी वेट का बढ़ना भी देखने को मिलता है ।
- ऐसे में बहुत बार मूत्र में झाग आता है और साथ हीं मूत्र के कारण मूत्र त्याग करने की जगह पर सफ़ेद निशान बन जाता है।
- कभी कभी ऐसा देखा गया है की मूत्र का रंग लाल भी हो जाता हेयर और साथ हीं सांस फूलने की समस्या भी हो जाती है।
जाने नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के उपचार
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के इलाज को आरम्भ करने से पहले पीड़ित की पूरी तरह से जांच जरूर करवा लें। अगर पीड़ित किसी तरह के इंफेक्शन की समस्या से परेशान हो तो सबसे पहले उस इंफेक्शन को कंट्रोल करना ज्यादा जरुरी हो जाता है।
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की समस्या से पीडि़त व्यक्ति को अक्सर सर्दी, फीवर एवं इन जैसे अन्य प्रकार के इंफेक्शन के हो जाने की पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है।
- इलाज के वक़्त अगर इंफेक्शन सामने आ जाता है तो समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। इसीलिए इलाज के वक़्त इंफेक्शन न हो इसका ख्याल पूरी सावधानी के साथ रखना चाहिए।
- साथ हीं इंफेक्शन हो जाने पर तुरंत इसका उपचार करवा लेना चाहिए।
दवा तथा उपचार
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की समस्या का पूरी तरह उपचार तुरंत में तो नहीं हो सकता पर धीरे धीरे इसके लक्षण को दवाओं की मदद से कम करते हुए इसे कुछ वक़्त में खत्म किया जा सकता है।
- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लक्षण से निजात दिलाने के लिए प्रेडनिसोलोन नाम की दवा को फ़ायदेमंद माना जाता है। इसके द्वारा किये जाने वाले इलाज को एक मानक इलाज कहा जा सकता है।
- ज्यादातर पीड़ितों पर इस बताई गई दवा का लाभ नजर आता है और करीब 1 से 4 सप्ताह में सूजन की समस्या तथा मूत्र से प्रोटीन बाहर निकलने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
- शुरुआत में इस दवा का तीन महीने का कोर्स रोगियों को खाना होता होता है।
- इस दौरान कुछ पीड़ितों को दूसरी विशेष दवाएँ भी देनी पड़ जाती है।
- वैसे तो ये दवा बहुत फ़ायदेमंद होते हैं पर इसका सेवन खुद से नहीं करना चाहिए। दवा लेने से पहले डॉक्टर से अपनी जांच ज़रूर करवा लेनी चाहिए और डॉक्टर के बताये गए दवाओं का हीं इस्तेमाल करना चाहिए।
इस लेख में आपने पढ़ा नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से जुड़ी बहुत सारी जानकारियाँ। अगर आपको भी इस बीमारी के लक्षण देखने को मिलते हैं तो लेख में बताये गए उपचार की मदद ले कर इस समस्या से नजात पाए।