शिशु की सुरक्षित देखभाल के लिए इन बातों का रखे विशेष ख्याल

शिशु की सुरक्षित देखभाल के लिए इन बातों का रखे विशेष ख्याल

यह बात हम सभी जानते है की दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता माँ और शिशु का होता है। यह रिश्ता प्रेम और स्नेह का प्रतिक होता है| और ऐसा हो भी क्यों ना नौ महीने तक कोख में पालने और असहनीय प्रसव पीड़ा सहने के के बाद माँ के गोद में बच्चे की किलकारियां गूंजती है| इससे ना केवल माँ की बल्कि पुरे परिवार की खुशी दोगुनी हो जाती है।

जब भी कोई स्त्री पहली बार माँ बनती है तो खुशियो के साथ साथ उसके सामने कई तरह की चुनौतिया भी होती है| पहली बार शिशु को जन्म देने वाली माताओं को यह पता नहीं होता कि उन्हें अपने बच्चे की देखभाल कैसे करनी है| क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल नया अनुभव होता है। बच्चों की देखभाल को लेकर नयी माँ के दिमाग में कई प्रकार की शंकाएं, सवाल और उत्सुकता होती है।

छोटे बच्चे का पालन पोषण करना आसान काम नही है। नन्हा शिशु बहुत ही कोमल होता है। छोटी सी लापरवाही भी उसके लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए नवजात की देखभाल रूई के फाहे के समान करनी चाहिए| इसके लिए बहुत जरुरी है की आप अपने बच्चे की आवश्यकताओं को समझें| इसके अतिरिक्त अपने बच्चे की दिनचर्या के अनुसार अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करें। बच्चे की देखभाल से जुडी और जानकारी हासिल करने के लिए आइये जानते है Newborn Baby Care Guide in Hindi.
 

Newborn Baby Care Guide in Hindi: ऐसे करें नवजात की देखभाल

 

Newborn Baby Care Guide in Hindi

  जब भी कोई महिला पहली बार माँ बनती है तो उसे यह नहीं पता होता है कि Newborn Baby Care कैसे करे। उसके मन के कई सवाल होते है जैसे की बच्चे को गोद में कैसे ले, या फिर उसे दूध कैसे पिलाएं, कैसे उसे नहलाएं आदि|

नवजात की देखभाल जीवन की सबसे बड़ी कला है| यदि कोई माँ इसे सिख लेती है तो समझ लीजिए की उसका मां बनना सफल कहलाता है| एक माँ को बच्चे के जन्म से लेकर पांच साल तक काफी सावधानी और समझदारी रखनी पड़ती है|
 

बच्चों का रोना समझे

कई बार देखा गया है की जब भी कोई बच्चा रोने लगता है तो उन्हें चुप करवाने के लिए माए उन्हें दूध पिलाने लगती है| लेकिन आपको अपने शिशु के रोने का मतलब समझना होगा जरुरी नहीं है की जब भी वो रहा हो तो उसे भूख ही लगी है| इसके पीछे का कारण अकेलापन, ठण्ड लगना, पेट में कीड़े होना आदि हो सकता है|
  1. यदि बच्चा धीरे धीरे और बहुत कम रो रहा है| साथ में अपनी उंगली और होठ चाट रहा है तो इसका मतलब है की उसे भूख लगी है|
  2. वही यदि शिशु पहले जोर जोर से रो रहा हो, और बाद में बहुत देर तक सिसकिया भर रहा हो इसका मतलब वो बीमार है और आपको चिकित्सक के पास उसे ले जाने की जरुरत है| इस वक्त बच्चे के रोने की आवाज ऐसी होते है की माँ अपने आप ही पहचान लेती है, वो इसमें भूल नहीं कर सकती है|
  3. यदि हल्की ऊहा-ऊह के बाद जोर से रो कर गुस्सा जाहिर करता है। इसका मतलब हे की वो अकेला बोर हो रहा है और चाहता है की आप उसके साथ खेले| ऐसे में जब भी आप बच्चे को गोद में उठाते है उसके आंसू थम जाते हैं।
 

जोर से झुलाना है नुकसानदायक

जब भी कोई बच्चा रोता है तो कई माता पिता उनका रोना बंद करने के लिए उन्हें जोर जोर से झुलाते हैं। लेकिन हम आपको बताना चाहते है की ऐसा करना बहुत नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि ऐसा करने से शिशु के कई नाज़ुक आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। Infant Care Tips के अनुसार बच्चों को हमेशा धीरे धीरे झुलाना चाहिए।  

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6 महीने तक कम दे पानी की मात्रा

कुछ माता पिता को जानकारी ना होने के कारण वो शिशु को बहुत मात्रा में पानी पिलाते है| उन्हें लगता है की पानी नुकसानदायक नहीं है| लेकिन ऐसा नहीं है विशेषज्ञ कहते हैं कि 6 महीने से कम आयु के शिशुओं को पानी की मात्रा कम ही देनी चाहिए क्योंकि इसके कारण उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन हो सकता है| इसके अतिरिक्त शरीर में बढ़ने वाले सोडियम का स्तर भी कम हो सकता है।  

ना सुलाए पेट के बल

बच्चों को हमेशा पीठ के बल ही सुलाना चाहिए| दरहसल करवट लेकर या पेट के बल सुलाने के कारण उनके शरीर के वायुमार्ग बाधित हो सकते हैं जो की जानलेवा तक हो सकता है।  

अन्य बातें इन्हे भी जानिए:-

  1. नवजात शिशु के लिए उसकी माँ का दूध ही सर्वोत्तम होता है। इसलिए माँ को बच्चे को तब तक दूध पिलाना चाहिए, जब तक बच्चा पूरी तरह से संतुष्ट न हो जाए।
  2. बच्चे को उठाते समय एक हाथ को सिर और गर्दन के नीचे और दूसरे हाथ को पैर के नीचे रखें| बच्चे के सिर और गर्दन को इस तरह पकडे की इन्हे पूरा सपोर्ट मिले|
  3. नवजात को हमेशा नर्म और गर्म कपड़े में लपेटकर रखना सीखें। इससे आपका बच्चा काफी सुरक्षित महसूस करता है। बच्चे को वातावरण के बदलाव का ज्यादा असर ना पड़े इसके लिए 0-2 महीने तक शिशु को जरुर लपेटकर रखें।
  4. बच्चों की मालिश करने से उनका शारीरिक विकास होता है। लेकिन बच्चे की मालिश सावधानीपूर्ण की जानी चाहिए। मालिश के लिए जैतून, बादाम या बेबी ऑइल इस्तेमाल कर सकते है| लेकिन मालिश को हमेशा हलके हाथो से करे|
  ऊपर आपने जाना Newborn Baby Care Guide in Hindi. यदि आप भी जल्द ही माँ बन्ने वाली है तो इन बातो को जानने और समझने का वक्त आ गया है|
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