Asthma in Pregnancy: क्या करें जब गर्भावस्था में अस्थमा परेशान करे

Asthma in Pregnancy: क्या करें जब गर्भावस्था में अस्थमा परेशान करे

अस्थमा को एक दीर्घकालीन श्वसन सम्बंधित बीमारी माना जाता है, जो शरीर के वायुमार्ग पर असर करता है, इसी की वज़ह से उनमें सूजन तथा संवेदनशीलता बढ़ जाती है। शरीर में वायु प्रवाह के कम हो जाने से सांस का फूलना, सांस लेने में परेशानी, खांसी तथा छाती में जकड़न की समस्या बढ़ जाती है।

जब यही अस्थमा की समस्या की गर्भवती महिला को होती है तो उसे इसका ख़ास ध्यान देने की जरुरत होती है। आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 8% से 10% गर्भवती महिलाएं अस्थमा से पीड़ित होती हैं। यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली फेफड़ों से जुड़ी एक सबसे आम सी परेशानी होती है।

ऑस्ट्रेलिया में हुए हाल हीं में हुए एक शोध में ऐसा पता चला है कि अस्थमा के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाइयां गर्भवती महिला को प्रभावित कर देती हैं। ऑस्ट्रेलिया के युनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड किये गए इस शोध में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैण्ड तथा आयरलैंड की 5000 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था।

बहरहाल आज के इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान अस्थमा की परेशानियों से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते बताने जा रहे हैं। पढ़ें Asthma in Pregnancy.

Asthma in Pregnancy: अस्थमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं का रखें ज्यादा ध्यान

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गर्भवती महिलाओं में अस्थमा के दौरे का खतरा

  • गर्भावस्था धारण करने से पहले अगर आपको अस्थमा की समस्या थी तो गर्भावस्था के दौरान ये कोई भी मोड़ ले सकता है ।
  • इस दौरान Effects of Asthma देखने को मिल सकते हैं और यह अधिक बढ़ भी सकता है और इसमें सुधार होने की संभावना बन सकती है, कुछ मौकों पर यह जस का तस भी बनी रह सकती है ।
  • इस दौरान चिकित्सक आपकी हालत के हिसाब से दवाएं तय करेंगी। यह भी हो सकता है वे हर कुछ हफ्तों में आपकी अस्थमा की स्थिति का निरिक्षण करें और जरुरत पड़ने पर दवा बदले ।
  • अगर इस दौरान आपके अस्थमा के लक्षण ज्यादा गंभीर हो जाएँ तो ऐसा अक्सर दूसरी या तीसरी तिमाही पर होने की संभावना रहती है।
  • गर्भ धारण के छठे महीने में यह परेशानी अपनी उच्च सीमा तक पहुंच जाती है।
  • एक अध्ययन के अनुसार जिन महिलाओं में अस्थमा के लक्षणों में ज्यादा तेजी दिखती है, उनमें ऐसा कुछ 24 से 36 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच में होता है।

गर्भावस्था के समय अस्थमा की दवाओं का सेवन कितना सुरक्षित है?

  • आम तौर पर अस्थमा के इलाज में ली जाने वाली दवाएं गर्भावस्था में सुरक्षित मानी जाती है।
  • पर कुछ विशेष दवाओं के लेने खासकर के स्टेरॉइड जैसी दवाओं की गोलियों की सुरक्षा को लेकर अलग अलग विशेषज्ञों की राय में बहुत अंतर है।
  • हालांकि ये बात तो सब मानते हैं की अस्थमा के गंभीर अवस्था में आने वाले दौरे के समय मुंह से खाई जाने वाली स्टेरॉइड्स (स्टेरॉइड टैब्लेट्स) के फायदे ज्यादा हैं और नुकसान कम हैं।
  • सारे विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि गर्भावस्था में अस्थमा का गंभीर दौरा गर्भ में पल रहे बच्चे लिए खतरनाक हो सकता है।
  • अगर आप अस्थमा से परेशान है तो आपको इसके लक्षणों, दौरों की बारंबारता तथा प्रबलता के बारे में अपने चिकित्सक के साथ विस्तार से बात करनी चाहिए ताकि डॉक्टर आपकी गर्भ में पल रहे बच्चे का ध्यान रखते हुए उन लक्षणों को कम करने तथा दौरों को अचानक बढ़ने से रोक देने के लिए सही दवाएं दे सके।

गर्भावस्था में अस्थमा के दौरे को आने से कैसे रोकें ?

  • गर्भावस्था के दौरान दौरे को रोकने के लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकती है, जैसे अगर आप जानती हैं कि आपको किन चीजों के कारण से आपका अस्थमा का दौरा पड़ता है तो आप उन चीजों या स्थितियों से दूर रह कर दौरे को आने से रोक सकते हैं। आइये जानते हैं ऐसी स्थितियों के बारे में-
  • धूल-मिट्टी का संपर्क शायद अस्थमा के दौरे को बढाने के सबसे आम वजहें है। इसलिए जहां तक हो सके आप अपने घर में धूल-मिट्टी को जमा ना होने दें
  • धूल के अन्दर सूक्ष्म कीड़े होते हैं, ये इतने ज्यादा सूक्ष्म होते हैं, कि इन्हें हम अपनी खुली हुई आंखों से देखा भी नहीं जा सकता है। इससे बचाव के लिए बिस्तर की चादर तथा तकिये के कवर को कुछ कुछ दिन पर बदलते रहना चाहिए ताकि डस्ट माइट्स पनप ना पाए।
  • जहां तक हो सके अपने आसपास की स्थानों को घरेलू तथा बाहरी फफूंद से दूर रखें। नमी वाली जगहों की सफाई भी नियमित रूप से करते रहें।
  • बहुत सारे मौकों पर ऐसा देखा जाता है की रोएंदार यानि फर वाले या पंख वाले पालतू जानवरों के संपर्क में रहने से भी अस्थमा का दौरा पड़ना शुरु हो जाता है, तो जितना हो सके इन जानवरों से दूर रहें।
  • कुछ लोगों को कॉकरोच से भी एलर्जी होती है और ऐसे लोगों को कौक्रोज के कारण भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि ये एलर्जी दरअसल इन कीटाणुओं के मल, लार या शरीर के संपर्क में आ जाने की वज़ह से होती है।
  • सर्दी-जुकाम, साइनस इनफेक्शन या फिर फ्लू नही अस्थमा के दौरे को बढ़ा सकता है।
  • कुछ लोगों को फूलों के कारण भी एलर्जी हो जाती है ऐसे लोगों को फूलों के मौसम में अस्थमा के दौरे के खतरे बढ़ जाते है, बताया जाता है की इसके लिए फूलों के पराग कण जिम्मेदार होते हैं।
  • तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव या फिर मौसमी बदलावों के कारण भी अस्थमा के दौरे आ सकते हैं।
  • कभी कभी व्यायाम करने के बाद भी अस्थमा का दौरा शुरु हो जाता है।
  • इसके अलावा हो सकता है की कुछ खाद्य पदार्थों से भी किसी किसी को एलर्जी हो जाए और वो अस्थमा के दौरे का भी कारण बन जाए। कभी कभी धुंआ भी इन दौरे का कारण होता है। इसके अलावा कुछ चीजों की गंध से भी किसी किसी को एलर्जी होती है तो ये भी अस्थमा के दौरे की वज़ह बन जाये।

अस्थमा के दौरे के वक़्त क्या करे?

  • अगर आपको अस्थमा का दौरा पड़े तो सबसे पहले सीधे बैठ जाएं, ध्यान रखें की इस दौरान लेटे नहीं।
  • बैठने के बाद शांत होने की कोशिश करें और हर 30 से 60 सैकंड के भीतर अपने रिलीवर इन्हेलर से एक पफ अन्दर लें, अधिकतम 10 पफ तक।
  • अगर इन्हेलर इस्तेमाल करते समय आपकी स्थिति ज्यादा बिगड़ती हुई लगे या फिर 10 पफ ले लेने के बाद भी आप अच्छा महसूस न करें तो तुरंत आप अपने चिकित्सक से बात करें।

आज के इस लेख में आपने जाना गर्भावस्था के दौरान होने वाली अस्थमा की समस्या का सामना कैसे करना चाहिए और इस दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। यह लेख आपकी मदद जरूर करेगा।

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