जो महिलाओं भावनात्मक रूप से असुरक्षित और परेशान रहती हैं, उन में हार्मोनल इम्बैलेंस की परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है। हमे यह हमेशा याद रहना चाहिए कि भले ही हमारे ऊपर लाख ज़िम्मेदारियाँ आ जाएं लेकिन सबसे पहली ज़िम्मेदारी हमारे स्वास्थ के लिए होनी चाहिए, क्योंकि अगर आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगी तो आप जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगी।
PCOS तब होता है, जब सेक्स हार्मोन में यम् बैलेंस हो जाता है। हॉर्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। इस कंडीशन की वजह से ओवरी में छोटा अल्सर (cyst) बन जाता है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो न केवल ओवरी और फर्टिलिटी पर असर पड़ता है, बल्कि यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले लेती है।
अगर आपको पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) हो गया है तो इसका मतलब है अब आपको अपनी दिनचर्या बदलने की जरुरत है। सुबह जल्दी उठे, टहलने जाए और अच्छा भोजन खाए। इसके आलावा आपको अपने दिमाग को शांत भी रखने के जरुरत है।
पीसीओएस (PCOS) की बीमारी को काबू में रखने के लिये योग आसन भी काफी महत्वपूर्ण होता है। रोज़ योग करने से आपका शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही, दिमाग और मन भी शांत रहने लगेगा। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही योग आसन जिनसे महिलाओं में पीसीओएस की बीमारी अच्छी हो सकती है।
योग से कैसे ठीक करें महिलाओं में होने वाली PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या
भुजंगासन:-
यह आसन करते समय शरीर का आकार फन उठाए हुए सर्प के समान होने के कारण इसे 'भुजंगासन' कहा जाता हैं। इसे करने से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती हैं। गले में खराबी या दमा से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए भी यह आसन लाभदायक है। महिलाओ में प्रजनन और मासिक संबंधी समस्या में लाभ मिलता हैं।
चक्रासन:-
जिस आसन में रीढ़ चक्र के समान आकार ग्रहण कर लेती है, उसे ‘चक्रासन' कहा जाता है। गर्दन, छाती, कमर, बांह, पेट, हाथ, पैर एवं घुटने आदि अंग लचिले बन जाते हैं। अनेक रोगों से मुक्त भी हो जाते हैं। इस आसन के करते रहने से कंधों में ताकत तथा मेरुदंड में लचक आ जाती है। चक्रासन के अभ्यास करते रहने वाली महिलाओं को माहवारी (मासिक धर्म) के समय दुखदायी पीड़ा नहीं होती तथा मासिल चक्र की अनियमितता का सामना भी नहीं करना पड़ता।
भद्रासन:-
भद्र' का मतलब होता है 'अनुकूल' या 'सुन्दर'। यह आसन लम्बे समय तक ध्यान में बैठे रहने के लिए अनुकूल है और इससे शरीर निरोग और सुंदर रहने के कारण इसे भद्रासन कहा जाता हैं। इसे रोज़ करने से कमर और पीठ के निचले हिस्से को ताकत मिलती है। साथ ही यह मासिक धर्म की परेशानी को दूर करने में मदद करता और पाचन तंत्र को भी अच्छा रखता है।
प्राणायाम:-
आलम विलोम में साँस लेने और छोड़ने की विधि को दोहराया जाता है। इसे रोज़ 5 से 10 मिनट करने से क्रोध, चिंता, भय, तनाव और अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारो को दूर करने में मदद मिलती हैं। मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं और स्मरणशक्ति बढ़ती हैं।
कोणासन:-
इस आसन को प्रतिदिन यदि 10 मिनट तक किया जाए तो कमर दर्द से बचाव व कमर दर्द में आराम भी मिलेगा, यही नहीं इसे करने से बाजू, और शरीर के निचले हिस्सों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। साथ ही साइटिका और कब्ज में भी आराम मिलती है।
सुखासन:-
सुखासन बैठकर किया जाने वाला योग है। इस योग से शरीर को सुख और शांति की अनुभूति मिलती है। यह ध्यान और श्वसन के लिए लाभदायक मुद्रा है।