पिलाग्रा, एक प्रकार की बीमारी होती है जो की विटामिन बी 3 की कमी के कारण होती है। इस बीमारी के कारण त्वचा, पाचन तंत्र और नर्व प्रभावित होते है। जिसके कारण डर्मेटाइटिस, मानसिक विकार और दस्त की समस्या उत्पन्न होती है।
यह शरीर में नियासिन या ट्राईपटोफन की कमी या फिर ल्यूसिन की अधिक मात्रा होने के कारण होता है। नियासिन को निकोटिनिक एसिड या विटामिन बी 3 के रूप में भी जाना जाता है।
इस प्रकार की बीमारी शरीर के प्रोटीन मेटाबोलिज्म को भी अव्यवस्थित कर देती है जिस कारण कई बीमारियाँ होती हैं जिनमे से एक है कार्सीनॉइड सिंड्रोम। जो लोग एल्कोहल का ज्यादा सेवन करते है और हरी सब्ज़ियाँ, सी - फ़ूड, मांस और अंडों नहीं खाते है तो उनको पिलाग्रा का खतरा अधिक रहता है।
माध्यमिक पिलाग्रा तब होता है जब पर्याप्त नियासिन का सेवन होता है, लेकिन शरीर द्वारा उसका उपयोग नहीं किया जाता है। माध्यमिक पिलाग्रा अक्सर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के कारण होता है जो नियासिन के अवशोषण को रोकते हैं। विस्तार से जानिए Pellagra Causes and Symptoms in Hindi.
Pellagra Causes and Symptoms: विटामिन बी 3 की कमी से होने वाली बीमारी
पिलाग्रा के लक्षण
पिलाग्रा के मुख्य लक्षणों में दस्त लगना, डर्मेटाइटिस, डिमेंशिया और मृत्यु भी शामिल है। इसके अतिरिक्त अन्य लक्षण है :-
- नर्व डैमेज
- पेट में ऐंठन
- डिप्रेशन
- कमज़ोरी
- भूख में कमी
- सिरदर्द की समस्या
- मुंह के अंदर अल्सर होना
- उल्टी का आना
पिलाग्रा के कारण
- पाचन संबंधी बीमारी का होना।
- खाने में ट्राईपटोफन की कम मात्रा लेना।
- अधिक शराब का सेवन करना।
- शरीर में ल्युसिन की अधिकता जो कि क्विनोलिनेट फोस्फोरिबोसिल ट्रांस्फरस और नियासिन को निकोटिनामाइड मोनोनुक्लेओटाइड में बदल देती है।यह भी पिलाग्रा की समस्या का कारण बनता है।
- जरूरी एमिनो एसिड अर्थात ट्राईपटोफन की कमी, जो मीट, मछली, अंडो और मूंगफली में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जिसे हमारा शरीर खुद ही नियासिन में परिवर्तित कर लेता है। इनकी कमी के कारण भी पिलाग्रा की बीमारी होती है।
दवाइयों के कारण
- दवाईयों के कारण भी पिलाग्रा की समस्या उत्पन्न होती है। जिसमे एंटीबायोटिक दवाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
- साथ ही यदि कुछ कारणों से शरीर नियासिन को अवशोषित नहीं कर पाता है तो इस कारणवश भी यह समस्या उत्पन्न होती है।
पिलाग्रा के उपचार :-
- शोध से पता चला है की यही खानपान पर ध्यान दिया जाए तो पिलाग्रा जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
- खाने में विटामिन बी 3 की मात्रा को बढ़ाये।
- मछली, दाल और मूंगफली आदि में विटामिन बी 3 की भरपूर मात्रा होती है।
- आप चाहे तो इसके लिए नियासिन सप्लीमेंट या मल्टीविटामिन या फिर मिनरल सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
- आपको बता दे की सप्लीमेंट में कम से कम 20 मिलीग्राम नियासिन होना आवश्यक होता है। प्रत्येक दिन एक पुरुष को 16 मिलीग्राम और महिला को 14 मिलीग्राम नियासिन चाहिए होता है।
यदि पिलाग्रा के रोगी का समय पर इलाज न हुआ तो इस बीमारी के कारण 4-5 सालों में मौत भी हो सकती है।