जाने सिफलिस जैसी यौन संक्रमण बीमारी से बचने के घरेलू उपचार

जाने सिफलिस जैसी यौन संक्रमण बीमारी से बचने के घरेलू उपचार

मनुष्य शरीर रोगों का घर है यह तो जगजाहिर है। कब किसे कौन-सी बीमारी या रोग हो जाये, बताना मुश्किल है। आज के बदलते खानपान और स्वास्थ्य का ठीक तरह से ध्यान न रखना भी इसका एक कारण हो सकता है। परंतु कुछ रोग ऐसे होते है जो हमारी पूरी लाइफ बर्बाद कर सकते है, अगर उनका समय रहते सही इलाज न किया जाये।

आज हम आपको ऐसे ही एक रोग के बारे में जानकारी दे रहे है जिस सिफलिस, सुजाक और आतशक (उपदंश) आदि कई नामो से जाना जाता है। यह एक यों संक्रमण रोग है। जो उन लोगो को होता है जो ऐसे स्त्री-पुरुष के संपर्क में हो, जो पहले से इस रोग से ग्रस्त है।

इस रोग को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य यौन सम्बंधित रोग से मिलते-जुलते होते है। पराई स्त्री या पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाने वाले लोगों के अलावा यह रोग उन्हें भी हो सकता है। जो इस रोग से पीड़ित लोगों के वस्त्र पहनते है या उनसे बहुत ज्यादा संपर्क में रहते है। यह रोग वंशानुगत भी हो सकता है। आइये अब हम विस्तार से जानते है Syphilis Treatment in Hindi.

 

Syphilis Treatment in Hindi: जाने उपचार के तरीके 

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सिफलिस को बहुत आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है कि वो इस बीमारी से ग्रस्त है। यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाये तो भविष्य में आपकी आँखे जा सकती है अर्थात आप अंधे हो सकते है, मानसिक संतुलन खो सकते है और आपकी मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए सही समय पर इसका उपचार बहुत आवश्यक है। इस रोग की तीन अवस्थाएं होती है जिन्हें जानना और समझना बहुत जरुरी है।

 

सिफलिस प्राथमिक अवस्था

जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है और अगर ऐसे व्यक्ति के साथ कोई स्त्री या पुरुष सम्भोग करता है तो यह 15-20 दिन के भीतर उसे भी हो सकता है। जिसे भी यह रोग होता है उसके जननेन्द्रियों पर मटर के दाने के समान फुंसियां हो जारी है। यश फुंसी कठोर और लाल रंग की होती है, लेकिन इसमें किसी तरह का दर्द नहीं होता है। इसकी एक खास बात यह है कि यह सामान्य फुंसी की तरह नहीं होती है। इसके बिच का भाग अंदर की तरफ तथा बाहरी किनारे उठे हुए होते है। यह फुंसी फुटकर घाव में तब्दील हो जाती है और इसमें पस पड़ने लगता है। इस घाव को कैंकर कहते है।

 

माध्यमिक अवस्था

कुछ समय बाद यह घाव सूखने लगता है। जिससे ऐसा लगता है कि वो ठीक हो रहा है परंतु ऐसा नहीं है 5-6 सप्ताह बाद पुनः इसके लक्षण दिखने लगते है। इस बीच में सिफारिस का प्रभाव रक्त के साथ शरीर के अंदर फ़ैल जाता है और मुंह व् गले में छाले, सर तथा हड्डियों में दर्द और गुदाद्वार के आसपास मस्से होने लगते है। इसके अलावा त्वचा पर लाल चट्ठे पड़ना, टॉन्सिल्स का सूजन, मुंह में लार का भरा रहना व दुर्गध आना आदि लक्षण दिखाई देने लगता है।

 

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अंतिम अवस्था

अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह रोग बहुत गंभीर स्थिति में पहुँच सकता है। इस अवस्था में नाक की शरीर की हड्डियां गलने लगती है, नाक चपटी या पिचकने लगती है, शरीर पर गांठ पड़ जाती है तथा अंडकोषों का आकर बढ़ने के साथ-साथ वो कठोर होने लगते है। जब इस रोग के पीड़ित व्यक्ति को ये सब होने लगता है तो इस स्थिति में उपचार होना असंभव हो जाता है।


ध्यान रखें

संभोग करते समय हमेशा कंडोम का प्रयोग करें
अपनी और अपने साथी की सिफलिस की जांच कराये
इसका इलाज कराते समय डॉक्टर की अनुमति के बिना दवाओं का सेवन ना रोकें
इस रोग का इलाज समाप्त हो जाने पर रक्त की जाँच करवाकर तसल्ली जरूर कर लें

 

सिफलिस या उपदंश का घरेलू उपचार

यह बात तो आप भी जानते है कि कैसा भी रोग क्यों न हो उसका कोई न कोई घरेलु उपचार जरूर होता है। यहाँ हम आपको सिफलिस रोग को ठीक करने के कुछ आसान उपचार बता रहे है। लेकिन यह इलाज एक हद तक ही संभव है।

  • आंवले के चूर्ण को जलाकर उसकी राख को दिन में एक बार घाव पर लगाए। इस प्रक्रिया को 20-25 दिनों तक आजमाने से प्रारंभिक अवस्था में इस रोग को नष्ट किया जा सकता है।
  • अमलतास, देशी नीम, हरड, बहेड़ा, देशी आंवला तथा चिरायता इन् सभी को मिलाकर काढ़ा बनाये और उसमें खैरसार व विजयसार मिलाकर पीने से यह रोग नष्ट हो जाता है।
  • नीम की पत्तियों को पानी में मिलाकर अच्छी तरह उबालें और इसे घाव पर लगाए आराम मिलेगा।
  • अरंडी के तेल की 15 से 20 ग्राम की मात्रा को गिलोय के काढ़े में मिलाकर पीने से उपदंश में काफी लाभ मिलता है।
  • निम्बू का रस व् नमक रहित चावल के मांड का सेवन करने से सूजाक, मसूरिका, चेचक व् अन्य मूत्र विकार दूर होते है। यदि सामान्य चावल की जगह आप शालि चावल का प्रयोग करे तो ओर भी अच्छा होगा।
  • त्रिफला की राख बनाकर उसमें शुद्ध शहद मिलाकर घाव पर लगाने से उपदंश में फायदा होता है। इसके अलावा त्रिफला के काढ़े को घाव को धोकर लगते है तो भी यह असरकारी होता है।
  • धनिया और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका चूर्ण बना लें और इसकी 5 ग्राम मात्रा को रोजाना सुबह के समय ठन्डे पानी के साथ एक सपाट तक लेने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है। साथ ही पेशाब करने वाली नहीं में होने वाला दर्द, सिफलिस व् सुजाक रोगों से भी छुटकारा मिलता है।
 

आज हमने आपको बताए है Syphilis Treatment in Hindi. यह एक ऐसा रोग है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है इसलिए इसके लक्षण और उपचार को समझना बेहद जरुरी है ताकि समय रहते इसका उपचार कर आप स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सके।

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