प्रतिवर्ष लाखों बच्चे गंभीर संक्रामक रोग जैसे पोलियो, खसरा, टेटनस, काली खांसी, गलघोंटू, क्षय रोग, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाईटिस बी, तपेदिक, मोतीझरा आदि के कारण मर जाते है। इन रोगों से शिशुओं को बचाने की आवश्यकता है। इन रोगों से बचने का एकमात्र इलाज टीकाकरण है।
टीकाकरण की मदद से समय रहते ही बच्चों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसलिए बच्चों को बारी बारी से टीका लगवाना आवश्यक होता है।
बच्चों को बीमारियों से दूर और एक अच्छी सेहत प्रदान करना हर माता पिता चाहते है। इसलिए हर पेरेंट्स को टीकाकरण के चार्ट के बारे में जानकारी होना आवश्यक है ताकि वह समयनुसार बच्चे को सही टीका लगवा सकें।
इस लेख के द्वारा हम आपको संशोधित टीकाकरण चार्ट की जानकारी दे रहे है ताकि आपको इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिल सके। जानिए Baby Vaccination Chart in Hindi.
Baby Vaccination Chart in Hindi: जानिए क्रमानुसार टीकाकरण और इनकी सावधानिया
टीकाकरण चार्ट की जानकारी
शिशु को किस समय कौन सा टीका किस उम्र में लगवाना है इसके लिए एक चार्ट तैयार किया गया है जो की आपके डॉक्टर या फिर अस्पताल में आपको दिया जाता है। जिसके अनुसार आप अपने बच्चे को क्रमानुसार टीके लगवा सकते है। जो की इस प्रकार है-
जन्म के समय लगने वाला टीका
- बी सी जी का टीका
- हेपेटाईटिस बी का टीका - पहली खुराक
- पोलियो वेक्सीन - पहली खुराक
6 सप्ताह में लगने वाला टीका
- डी पी टी - पहली खुराक
- पोलियों का टिका - पहली खुराक IPV1
- हेपेटाईटिस बी का टिका - दूसरी खुराक
- हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा बी - पहली खुराक IPV1
- पोलियो का टीका - पहली खुराक IPV1
- रोटावायरस - पहली खुराक
- न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वेक्सीन - पहली खुराक
10 सप्ताह की खुराक
- डी पी टी - दूसरी खुराक
- पोलियो का टिका - दूसरी खुराक IPV2
- न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वेक्सीन - दूसरी खुराक
- हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा बी (HIB) - दूसरी खुराक
- रोटावायरस - दूसरी खुराक
14 सप्ताह की खुराक
- डी पी टी - तीसरी खुराक
- पोलियो का टिका - तीसरी खुराक
- मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वेक्सीन - पहली खुराक
- न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वेक्सीन - तीसरी खुराक
- हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा बी (HIB) - तीसरी खुराक
- रोटावायरस - तीसरी खुराक
6 महीने की उम्र में लगने वाला टीका
- मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वेक्सीन - दूसरी खुराक
- हेपेटाईटिस बी का टिका - तीसरी खुराक
- इन्फ्लूएंजा I
- इन्फ्लूएंजा II
- इन्फ्लूएंजा III
9 महीने की उम्र में लगने वाला टीका
- खसरे का टीका
- मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वेक्सीन - तीसरी खुराक
10 से 12 महीने की उम्र में लगने वाला टीका
- टायफ़ाईट कंजुगेटेड वेक्सीन (TCV 1) - पहली खुराक
- हेपेटाईटिस ए - पहली खुराक
- थोड़े समय बाद हेपेटाईटिस ए - दूसरी खुराक
1 वर्ष की उम्र में लगने वाला टीका
- कॉलरा
- जापानीज इंसेफेलाइटिस - पहली खुराक
- जापानीज इंसेफेलाइटिस - दूसरी खुराक
- जापानीज इंसेफेलाइटिस - तीसरी खुराक
- वेरिसेला - पहली खुराक
15 से 18 महीने की उम्र में लगने वाला टीका
- एम एम आर (मम्स, खसरा, रूबेला) - पहली खुराक
- वेरिसेला - दूसरी खुराक
- डी पी टी - पहला बूस्टर डोज
- हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा बी (HIB) - बूस्टर डोज
- न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वेक्सीन - बूस्टर डोज
- मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वेक्सीन - चौथी खुराक
- टायफ़ाईड कंजुगेटेड वेक्सीन - दूसरी खुराक
- टायफ़ाईड I
- टायफ़ाईड II
2 वर्ष की उम्र में
- मेनिंगोकोकल
5 वर्ष की उम्र में
- एम एम आर - दूसरी खुराक
- डी पी टी- दूसरा बूस्टर डोज
- मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वेक्सीन - पांचवी खुराक
10 वर्ष की उम्र में
टीडी (टेटनेस और डिफ्थीरिया)
क्यों होते है ये टीके जरुरी
जानते है इन टीको के बारे में कुछ अन्य जानकारी।
डीपीटी का टीका
- बच्चे को परट्यूसिस, डिफ्थीरिया और टिटनेस से बचने के लिए डीपीटी का टीका लगाया जाता है।
- आम भाषा में परट्यूसिस को काली खासी कहते है।
- डिफ्थीरिया की बीमारी से गला प्रभावित होता है।
- टिटनेस होने पर घाव को भरने में समय लगता है।
बीसीजी का टीका
- बच्चे को टीबी से बचाने के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है।
- यह टीके बच्चे के होते ही लगा दिया जाता है।
हेपेटाइटिस बी का टीका
- हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने से बच्चों को जॉन्डिस और हेपेटाइटिस बी की बीमारी से बचाब करने में सहायक होता है।
खसरे का टीका
- खसरा होने से शिशु के शरीर पर दाने आते और साथ ही बुखार भी हो जाता है। इसलिए खसरे का टीका बच्चे को दिया जाता है।
- यह टीका बच्चे को 9 महीने के होने पर लगाया जाता है।
चिकनपॉक्स का टीका
- चिकनपॉक्स जैसी बीमारी से बचाने के लिए चिकनपॉक्स का टीका लगाया जाता है।
इन्फ्लुएंजा का टीका
- इन्फ्लुएंजा एक तरह की साँस की बिमारी होती है। इस बीमारी से बचे को बचाने के लिए इन्फ्लुएंजा का टीका लगाया जाता है।
रोटा वायरस का टीका
- शिशु को रोटा वायरस के कारण दस्त हो सकते है या फिर आंत्रशोथ भी हो सकता है।
हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वैक्सीन
- हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वैक्सीन बच्चे को मस्तिष्कावरण से बचाने के लिए दी जाती है।
एम एम आर का टीका
- टोंसिल्स, रूबेला से बचाने के लिए एम एम आर का टीका बच्चे को दिया जाता है।
टीका लगने के बाद ध्यान रखने वाली सावधानियां
- बच्चों को सारे टीके व ख़ुराक़ वक्त पर जरूर दिलवाए।
- यदि बच्चे को मामूली सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी है तो भी आप टीका लगवा सकते है यह सुरक्षित होता है।
- टीका लगने के बाद यदि बच्चे को दर्द, बुखार और सूजन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते है। इनसे घबराये नहीं।
- डीपीटी का इंजेक्शन लगने के बाद इंजेक्शन वाले स्थान पर सूजन आ सकती है या फिर दर्दरहित गांठ भी हो सकती है यह कुछ दिनों के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है।
- एमएमआर के लगने के 4 से 10 दिनों के पश्चात् शिशु को बुखार भी हो सकता है।
- टीके लगने के बाद यदि ज्यादा बुखार आता है या फिर कुछ अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती है तो डॉक्टर से सलाह ले और फिर ही बच्चे को दवाएं दे इसमें देर न करे।
बच्चो को टीके लगाने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाये है जिनके जरिये वह भयानक बीमारी जैसे पोलियो, टीवी आदि के लिए कार्यक्रम करती रहती है । घर घर जाकर भी पोलियो की खुराक पिलाई जाती है। साथ ही लोगो को टीके के लिए भी जागरूक किया जा रहा है। इस काम में कई आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता भी कार्य करते है।
इसलिए आप भी अपना सहयोग दे और अपने बच्चे को एक सुरक्षित भविष्य प्रदान करे। बच्चे को समय समय पर टीके जरूर लगवाए।