मन और चित्त को शांति का अहसास कराता है भ्रामरी प्राणायाम

मन और चित्त को शांति का अहसास कराता है भ्रामरी प्राणायाम

आज के समय में हर व्यक्ति की जिंदगी तनाव और चिंता से भरी हुई है। बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी किसी न किसी समस्या से परेशान है। एक ओर जहां बच्चे अपनी पढ़ाई और फ्यूचर को लेकर चिंताग्रस्त रहते है। वही दूसरी तरफ बड़ो को एक नहीं कई समस्याओं को एक साथ झेलना पड़ रहा है। जिस वजह से वो भी चिंता और मानसिक तनाव से घिरे हुए है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कब तक हम इन सबसे घिरे रहेंगे और किस तरह चिंता और तनाव से मुक्त हो पाएंगे। घबराएं नहीं, आज हम आपकी इस चिंता को दूर करने के लिए एक ऐसा सटीक उपाय बता रहे है। जिसके अभ्यास से यह तय है कि मानसिक तनाव आपकी लाइफ से पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा और आप खुशहाल जीवन जी पाएंगे।

अगर आप अपनी लाइफ से चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, भय, शोक और मनोरोग को दूर भागना चाहते है और मन को शांत रखना चाहते है तो योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। यहाँ हम आपकी समस्या को दूर करने के लिए एक प्राणायाम बता रहे है। जिसका नाम है भ्रामरी प्रणायाम। मानसिक तनाव और विचारो को काबू करने में यह अपनी मदद करता है। आइये जानते है Bhramari Pranayama Benefits in Hindi.

 

Bhramari Pranayama Benefits in Hindi: जाने इसकी विधि और लाभ

  bhramari-pranayama-benefits-in-hindi  

भ्रामरी प्राणायाम मन की हताशा और निराशा को दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है। इसे करना बहुत ही आसान होता है। दिन में जब भी आप थोड़ा फ्री हो इसे कभी भी कही भी कर सकते है।

इस प्राणायाम को करते समय भ्रमर अर्थात भंवरे की तरह गुंजन होता है इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता है। अंगेजी में इसे Bee-Breathing Technique के नाम से जाना जाता है। आइये जानते है इसे कैसे किया जाता है।

  • इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान को चुने और चटाई या आसन बिछाकर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। इस स्थिति में मन को शांत रखने के लिए सामान्य साँस लेते रहें।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधों के समान्तर फैलाते हुए, कोहनियों को मोड़कर हाथों को कानों के पास ले जाएं। अब आप आँखों को बंद कर लें।
  • इस स्थिति में आपका सिर, गर्दन और पीठ एकदम सीधी होना चाहिए। अब अपने दोनों हाथो के अंगूठो से कानों को बंद कर लें।
  • इसके बाद अपने हाथ की पहली ऊँगली अर्थात तर्जनी को आँखों की भोहों से थोड़ा ऊपर माथे पर लगाए तथा बाकि बची तीन उंगलियों मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा को आँखों पर लगा दीजिये।
  • इस बात का ध्यान रखें कि हाथों को न तो फ्री छोड़ना है और न ही अधिक दबाव डालना है। अब अपनी तीन उंगलियो की मदद से नाक के आसपास हल्का सा दबाव बनाये।
  • अब अपने दोनों हाथों को ठीक तरह से लगा लेने के बाद मन और चित्त का ध्यान अज्न चक्र सर्थात दोनों आँखों के बीच में केंद्रित करें।
  • इसके बाद अपने मुँह को बंद रखते हुए नासिक के माध्यम से सामान्य रूप से सांस अंदर खींचे। अब नाक के माध्यम से ही भंवरे की तरह आवाज निकलते हुए सांस को बाहर छोड़े। इस पूरी प्रक्रिया में आपका मुँह बंद रहना चाहिए।
  • अगर आप सांस बाहर छोड़ते हुए ‘ॐ’ का उच्चारण करते है तो इस प्राणायाम का लाभ ओर अधिक बढ़ जाता है।
  • श्वास अंदर लेने का समय 3-5 सेकंड तथा बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड का होना चाहिए।
  • भ्रामरी प्राणायाम को आप कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते है परंतु सुखासन या पद्मासन की स्थिति में बैठकर करने से लाभ अधिक मिलता है।

 

आप यह भी पढ़ सकते है:- दिमाग के तनाव को दूर करने में फायदेमंद है बालासन, जानिए विधि

 

भ्रामरी प्राणायाम समय सीमा

सांस अंदर लेने में करीब 3-5 सेकंड
भ्रमर ध्वनी के साथ बाहर छोड़ने में करीब 15-20 सेकंड
तीन मिनट में करीब 5-7 बार भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए

भ्रामरी प्राणायाम के लाभ

  1. भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मन शांत रहता है और मानसिक तनाव दूर होता है।
  2. उच्च रक्तचाप और साइनस से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ मिलता है।
  3. इस प्राणायाम के अभ्यास से कुंडलिनी जाग्रत करने में मदद मिलती है।
  4. गर्भवती महिलाओं को भी डॉक्टर की सलाह के उपरांत भ्रामरी प्राणायाम को करना चाहिए। इसे करने से प्रसव पीड़ा कम होती है और शिशु का जन्म सहज रूप से हो जाता है।
  5. इसके नित्य अभ्यास से स्मरण शक्ति बढ़ती है, बुद्धि का विकास होता है और सोच सकारात्मक होती है।
  6. इसके अभ्यास से दिमाग की नसों को आराम मिलता है तथा भय, अनिद्रा, चिंता, गुस्सा और अन्य मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
  7. थायराइड रोग से पीड़ित व्यक्ति अगर ठुड्डी को गले से लगाकर अर्थात जालंधर बंद लगाकर इस प्राणायाम को करता है तो जल्दी लाभ मिलता है।
 

सावधानियां

  1. इस प्राणायाम को करते समय आँख नाक और कान पर अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए।
  2. वैसे तो इसे कभी भी किया जा सकता है, लेकिन सुबह के समय खली पेट इसका अभ्यास करने से अधिक लाभ मिलता है।
  3. ह्रदय और फेफडों में अधिक समस्या होने पर इस प्राणायाम को करने से बचना चाहिए।
  4. अगर आप इसे शाम के समय कर रहे है तो प्राणायाम और शाम के भोजन के बीच करीब तीन घंटे का अंतर होना चाहिए।
  5. अगर इसे करते समय सिर दर्द, खांसी या चक्कर आने लगे तो इसे बीच में ही छोड़ दें और डॉक्टर से सलाह के बाद ही इसे करें।
 

आज आपने जाना Bhramari Pranayama Benefits in Hindi. ऊपर हमने आपको इस प्राणायाम को करने का तरीका, इसके लाभ और सावधानिया बताई है। आप पहले इसे बहुत अच्छे से समझें और फिर करना शुरू करें। इसे करने के बाद आप भी मानसिक तनाव को बिलकुल भूल जायेंगे।

Subscribe to