इस प्रकार कि समस्या तब आती है जब दिल रक्त संचार करना बंद कर देता है। जिसे कार्डियक अरेस्ट कहा जाता है। यदि किसी का दिल अचानक काम करना बंद कर दे, सांस ना आ रही हो तो ऐसी परिस्थिति में कार्डियक अरेस्ट ही कारण होता है। ऐसे पीड़ित को फ़ौरन अस्पताल ले जाना चाहिए।
कुछ लोग हृदय से जुड़ी इस प्रकार कि समस्या को हार्ट अटैक समझ लेते है। परन्तु यह हार्ट अटैक से अलग है। और कुछ केसेस में कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक से भी घातक होता है।
अधिकतर कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक के साथ भी हो सकता है। जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी होती है, उनमें कार्डियक अरेस्ट होने की आशंका ज़्यादा रहती है।
कई फ़िल्मी हस्तियाँ भी Cardiac Arrest कि शिकार हुयी है। जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जय ललिता का भी निधन इसी बीमारी के कारण हुआ है।
Cardiac Arrest in Hindi: कार्डियक अरेस्ट के बारे में विस्तार से जाने
कार्डियक अरेस्ट
- किसी समस्या के कारण जब शरीर में हार्ट अचानक कार्य करना बंद कर देता है तो इसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं।
- यह मुख्य रूप से एक इलेक्ट्रिकल समस्या (Electrical problem) है जिससे दिल का धड़कन (Heart beat) अनियमित हो जाती है और हार्ट खून को अच्छी तरह पम्प नहीं कर पाता है।
- जिस कारण ब्लड शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे ब्रेन, लंग आदि तक अच्छी तरह से नहीं पहुँच पाता है।
कार्डियक अरेस्ट के कारण
- कार्डियक अरेस्ट का सबसे बड़ा कारण है असामान्य हृदय गति।
- वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (वीएफ), जब रक्त में अधिक मात्रा में फाइब्रिनोजन पाया जाता तो इस कारण हृदय रक्त का संचार करना बंद कर देता है।
- इससे सांस आना बंद हो जाती है और कार्डियक अरेस्ट का अटैक होता है।
कार्डियक अरेस्ट का उपचार
- जब किसी को कार्डियक अरेस्ट का अटैक आता है, तो उसे तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।
- यदि ऐसा नहीं किया जाए, तो इसमें पेशेंट की जान भी जा सकती है।
- कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को डिफिब्रिलेटर से ही बचने की सम्भावना होती है, वो भी यदि उसे तुरंत उपचार मिल जाए तभी यह संभव है।
- वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन का इलाज है हृदय पर बिजली के झटके देना जिसे देने वाले डिवाइस का नाम होता है डिफिब्रिलेटर ।
- डिफिब्रिलेटर को एम्बुलेंस, हॉस्पिटल में दिया जा सकता है।
- सीपीआर का प्रयोग तुरंत ऑक्सीजन देने के लिए किया जा सकता है।
कार्डियक अरेस्ट से लोगों को बचाया जा सकता है यदि मरीज़ को एक मिनट के अंदर ट्रीटमेंट उपलब्ध करा दिया जाये। यदि इस तरह का कोई मरीज़ मिले तो तुरंत एंबुलेंस को कॉल करे और हो सके तो सीपीआर उपलब्ध कराये।