एक प्रसिद्ध सॉफ्ट ड्रिंक के ऐडवरटीजमेंट में आपने एक डायलॉग सुना होगा जिसमे एक लड़का कहता है “डर सबको लगता है और गला सबका सूखता है” बहरहाल गले का सूखना पता नहीं पर डर तो हर किसी को किसी ना किसी चीज से लगता हीं है।
आप चाहे कितने हीं निडर क्यों ना हो आपको किसी ना किसी चीज से डर जरूरी लगता होगा। वो कोई भी जीव, परिस्थिति, या वस्तु हो सकती है जो आपको डरा सकती है। इसी फेहरिस्त में एक डर होता है कुत्ते का डर।
कई लोग कुत्ते से बहुत ज्यादा खौफ खाते हैं। कुत्ते का थोड़ा सा भोंक देना भी उनमे डर की स्थिति पैदा कर देने के लिए काफी होता है। अगर आप थोड़ी पड़ताल करेंगे तो पायेंगे की कुत्ते से डरने वाले ज्यादातर लोगों को कुत्ते ने कभी काटा नहीं होता है।
कुत्ते के द्वारा नहीं काटने के बावजूद इन व्यक्तियों के अंदर एक डर सा बैठ जाता है और वक़्त के साथ ये डर कई बार बढता भी चला जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ कुत्तों से लगने वाले डर की इसी स्थिति को साइनोफोबिया नाम की बीमारी के नाम से जाना जाता है। आज के लेख में पढ़ें Cynophobia in Hindi.
Cynophobia in Hindi: साइनोफोबिया क्या है जाने इसके लक्षण और उपचार
साइनोफोबिया क्या है (What is Cynophobia)
- साइनोफोबिया दरअसल कोई बीमारी नहीं बल्कि एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति होती है जिसमे इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति बिना किसी कारण के कुत्तों से बहुत ज्यादा डरने लग जाता है।
- इस प्रकार का डर असल में बिलकुल हीं तर्कहीन होता है हमेशा बना रहने वाला होता है इसके कारण व्यक्ति ना सिर्फ कुत्तों के भौंकने से बल्कि कुत्तों के उसके आसपास आ जाने से भी बहुत हीं ज्यादा असहज अनुभव करने लग जाता है।
- बच्चों की तो बात समझी जा सकती है पर इस समस्या से पीड़ित वयस्क रोगी इस बात को भली भाँती जानते हुए भी की उनका डर अनुचित और तर्कहीन है फिर भी वे अपने इस डर को अपने अंदर से निकाल नहीं पाते हैं।
- साइनोफोबिया से पीड़ित लोग ज्यादातर कुत्तों के आसपास से दूर रहने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार के डर की शुरुआत अधिकतर बार 10 से 13 वर्ष की आयु के मध्य होना शुरू होता है।
- सामान्यतया ऐसा देखा जाता है की ऐसा डर पुरुषों के बजाय महिलाओ के अंदर अधिक देखने को मिलता है।
साइनोफोबिया के कारण (What causes fear)
- अगर आपने कभी भी कुत्तों से जुड़ा कोई बुरा अनुभव फेस किया हो तभी अधिकतर यह समस्या होती है।
- इन बुरे अनुभवों में कुत्तों से संबंधित किसी भी तरह की कोई दर्दनाक घटना हो सकती है जैसे कभी कुत्ते के द्वारा हमला किया गया हो या फिर उसने काट लिया हो।
- इसके अलावा अगर आपने किसी दूसरे व्यक्ति पर किसी कुत्ते को हमला करते हुए भी देख लिया हो तो ऐसी स्थिति में भी साइनोफोबिया की समस्या आपको परेशान कर सकती है।
- कुछ लोगों में तो कुत्तों द्वारा की गई किसी ऐसी घटना के बारे में सुन लेने के बाद भी साइनोफोबिया की परेशानी हो जाती है।
- यदि आपके परिवार के सदस्यों में कोई भी कुत्ते के डर से पीड़ित होता है तो इसकी वज़ह से उनके बच्चे भी इस डर के प्रति कुछ ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
- बच्चों के माता-पिता और अन्य रिश्तेदार अनजाने में हीं खुद अपने बच्चों के मन में कुत्तों का भय भर देते हैं जिससे बच्चा भी साइनोफोबिया का शिकार हो जाता है।
साइनोफोबिया के लक्षण (Cynophobia Symptoms)
साइनोफोबिया होने के लक्षणों में निम्नलिखित लक्षण मुख्य रूप से शामिल होते हैं।
- चक्कर आने की समस्या होना
- बहुत अधिक पसीने का निकलते रहना
- भय की वज़ह से कांपने लगना
- मुँह का सूखना शुरू हो जाना
- पेट ख़राब होने की स्थिति हो जाना
- कुत्ते को देखकर बिलकुल स्थिर हो जाना
- रोने और चिल्लाने लगना
- सुसायडल टेंड़ेंसी आना
- बहुत ज्यादा घबराहट महसूस करना
साइनोफोबिया का निदान
- अगर आपके अंदर कुत्ते का किसी प्रकार का भी डर है और यह आपके हेल्दी लाइफ को अस्थिर कर रहा है साथ हीं यह समस्या आपको छह महीने या फिर उससे भी ज्यादा वक़्त से महसूस हो रहा है तो आपको इस बारे में डॉक्टर या किसी मनोचिकित्सक से राय लेनी चाहिए।
- आपका मनोचिकित्सक आपके सामाजिक तथा मनोरोग के पूरे इतिहास के अध्ययन करने के बाद इसी के आधार पर आपकी साइनोफोबिया की समस्या का निदान करने के लिए उपचार बताएगा।
साइनोफोबिया का उपचार (Cynophobia treatment)
- अलग अलग प्रकार के मेडिकल टेक्नीक तथा मेडिसिन के माध्यम से साइनोफोबिया का चिकित्सीय उपचार किया जाता है। यह हम कई प्रकार से कर सकते हैं। आइये जानते हैं।
डिसेन्सीटैजेशन और आराम
- यह उपचार टेक्नीक कुत्तों से होने वाले भय के लेवल को कम कर देने पर आधारित होता है।
- इस उपचार विधि में कुत्ते के भय से पीड़ित व्यक्ति को एक कमरे में एक कुत्ते के संग होने की अवस्था की कल्पना करने को कहा जाता है।
- डॉक्टर इस दौरान इस बात का निरीक्षण करता है कि पीड़ित व्यक्ति पर डर की स्थिति कैसी नजर आती है और फिर इसी के आधार पर वह अलग अलग प्रकार के आराम और विश्राम टेक्नीक को सिखाता है।
बिहेवियर थेरेपी
- बिहेवियर थेरेपी की इस टेक्नीक के माध्यम से भय के मुख्य कारक अर्थात रूट काउज को जानने और फिर उसी के मुताबिक़ पोजेटिव चेंजेज ले कार आने में सहायता की जाती है।
- यह थेरेपी आपके अंदर बैठी तमाम नकारात्मक सोच तथा कुत्तों से होने वाले डर से जुड़े विश्वासों को पहचान करने पर हीं केंद्रित होती है।
- साइनोफोबिया के कुछ गंभीर मामलों में कुत्तों से होने वाले डर और चिंता को कंट्रोल करने के लिए बीटा ब्लॉकर्स या फिर सिडेटिव मेडिसिन की सहायता भी लेनी पड़ सकती है।
आज के लेख में आपने कुत्तों से डर की समस्या जिसे साइनोफोबिया के नाम से जाने हैं के बारे में बहुत सारी महत्वपूर्ण बाते जानी। आपने जाना की इस समस्या के क्या कारण और लक्षण हो सकते हैं। अगर आप कुत्तों से भय खाते हैं और इस डर की वजह से आपके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है तो आप इसके बारे में डॉक्टर से ज़रूर राय ले और उसके बताये उपचार को ज़रूर करें।