Diabetes Myths in Hindi: जानें मधुमेह से जुड़े कुछ मिथकों और भ्रांतियों को

Diabetes Myths in Hindi: जानें मधुमेह से जुड़े कुछ मिथकों और भ्रांतियों को

मधुमेह हमारी लाइफस्टाइल से जुड़ी असंगतियों के कारण होने वाला ऐसा मर्ज है जो आज दुनियाभर में लोगों को अपना मरीज़ बना रहा है। आपको तकरीबन हर घर में इस समस्या से परेशान लोग ज़रूर मिल जाएंगे। एक आंकड़े के मुताबिक़ विश्व में हर 12 लोगों में से एक इस समस्या से ग्रसित है।

मधुमेह की समस्या से ग्रसित ज्यादातर लोगों को बहुत समय तक ये पता हीं नहीं चल पाता की उन्हें ये समस्या है। इसके कारण आज विश्व में हर सात सेकेण्ड में किसी ना किसी की मौत हो जाती है।

ज्यादा मीठे पदार्थ का सेवन करने से भी मधुमेह की समस्या हो सकती है। यह समस्या अनुवांशिक भी है अर्थात आपके खानदान में अगर मधुमेह किसी को हो तो ये आपको भी हो सकता है।

मधुमेह रोग को लेकर लोगों में बहुत सारी मिथक और भ्रांतियां भी हैं। इन भ्रांतियों के कारण लोग अक्सर एक संकुचन भरा लाइफ जीने लग जाते हैं। अगर मधुमेह से पीड़ित लोग सामान्य जीवन जीना चाहें तो आराम से जी सकते हैं। बस इसके लिए उन्हें इसकी जानकारी की जरुरत है। जानते हैं Diabetes Myths in Hindi.

Diabetes Myths in Hindi: मधुमेह रोग से जुड़ी भ्रांतियां दूर करें

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भ्रान्ति 1: आप मीठे का सेवन ना करें तो आपको मधुमेह नहीं होगी

  • मधुमेह किस समस्या का इससे कोई लेना देना नहीं है। यह आपको तब भी हो सकता है जब आप मीठा नहीं खाते हो।
  • दरअसल किसी भी व्यक्ति को मधुमेह होने के लिए शरीर में इन्सुलिन के लेवल का कम हो जाना जिम्मेदार होता है।
  • परन्तु इसका अर्थ ये नहीं हुआ की मधुमेह की समस्या होने पर बह आप मीठे का सेवन करते रहें। आप इसका सेवन डॉक्टर से पूछ कर हीं करें।
  • मधुमेह के मरीज मीठे में शुगर की जगह एस्पाट्रेम या सुक्रोलेज का सेवन करें तो यह उनके लिए लाभकारी साबित होगा।

भ्रान्ति 2: मधुमेह की समस्या 3-4 साल के बच्चों को नहीं होती

  • बहुत लोगों को ऐसा लगता है की मधुमेह की समस्या कम उम्र ख़ास कर 3-4 साल के बच्चों को नहीं हो सकती है।
  • पर विशेषज्ञों का मत इस पर भिन्न है। 3-4 साल के बच्चों को भी मधुमेह हो सकता है।
  • इन बच्चों में मुख्य रूप से जिस प्रकार का मधुमेह होता है उसे टाइप वन मधुमेह कहा जाता है।
  • यह समस्या बच्चों में अनुवांशिक तौर पर नहीं बल्कि पेन्क्रियाज के बीटा सेल्स के नष्ट हो जाने के कारण होता है। दरअसल यही बीटा सेल्स शरीर में इन्सुलिन बनाते हैं।
  • बीटा सेल्स के नष्ट हो जाने से इन्सुलिन का लेवल शरीर में कम हो जाता है और इसी कारण मधुमेह हो जाती है।
  • बच्चों में होने वाले इस टाइप वन मधुमेह के समय शरीर में 85% तक इन्सुलिन लेवल घट जाता है।

भ्रान्ति 3: मधुमेह पीड़ित को हार्ट अटैक के अलावा अन्य बीमारियों के होने की संभावना कम

  • ऐसा माना जाता है की मधुमेह से पीड़ित लोगों में हार्ट अटैक की संभावना 10 गुना तक कम हो जाती है पर इसके साथ एक मिथ भी जुड़ी है की मधुमेह पीड़ित को हार्ट अटैक के अलावा कोई दूसरी बीमारी नहीं होती है।
  • पर ऐसा बिलकुल नहीं है, मधुमेह के दौरान दूसरी बीमारियाँ भी हो सकती हैं और इसके लिए नियमित तौर पर diabetes test के साथ बाकी टेस्ट भी करवाते रहने चाहिए।
  • माइक्रो एंजियोपैथी के कारण मधुमेह के दौरान हलके हार्ट अटैक्स आते रहते हैं। इसके कारण हृदय के द्वारा खून को पंप करने की शक्ति को भी क्षीण कर देते हैं।

भ्रान्ति 4: मधुमेह एक संक्रामक रोग है

  • बहुत लोग ऐसा सोचते हैं की मधुमेह की समस्या संक्रमण से होती है और यह एक संक्रामक रोग होता है, पर ऐसा बिलकुल नहीं है।
  • यह मूल रूप से अंतःस्रावी ग्रंथि से जुड़ी समस्या मानी जाती है जो कि पैंक्रियाज में बीटा सेल्स द्वारा बनाई जाने वाली इंसुलिन के कारण जन्म लेती है।
  • मधुमेह एक पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने वाली अनुवांशिक बीमारी भी है।

भ्रान्ति 5: मधुमेह पर हल्के नियंत्रण के बाद चिकित्सकीय निरिक्षण की जरूरत नहीं

  • मधुमेह को एक गंभीर बीमारी माना जाता है। इसे काबू करने के लिए आपको (food for diabetics में आने वाले आहार का सेवन व कसरत के साथ हीं दवा भी लेने की जरुरत पड़ती है।
  • आप भले ही शुगर के लेवल को बनाए रखने में सफल हो जाएं पर इससे रेगुलर चेक अप को बंद नहीं करना चाहिए।

भ्रान्ति 6: इंसुलिन की मदद से मधुमेह खत्म हो सकता है

  • लोग ऐसा मानते हैं की इंसुलिन की मदद से मधुमेह का इलाज पूरी तरह हो जाता है।
  • पर ऐसा बिलकुल नहीं है इन्सुलिन चढ़ा देने से बीमारी खत्म नहीं होती बल्कि इसे नियंत्रित किया जाता है।
  • शरीर में एनर्जी प्रोड्यूस करने के लिए इंसुलिन शरीर में उपलब्ध ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है।
  • इस तरह इंसुलिन आपके रक्त में शुगर के लेवल को कंट्रोल में रखता है, लेकिन यह बीमारी के कारकों को खत्म नहीं कर सकता है।

भ्रान्ति 7: मधुमेह के इलाज में टैबलेट्स भी इंसुलिन का एक रूप हैं

  • लोग ऐसा मानते हैं की मधुमेह की समस्या में इस्तेमाल की जाने वाली ओरल खाने वाली भी इन्सुलिन का हीं एक रूप होती हैं। पर ऐसा सच में होता नहीं है।
  • ओरल खाये जाने वाली दवाइयाँ इंसुलिन का किसी प्रकार का रूप नहीं होती हैं।
  • इंसुलिन एक प्रोटीन है जो शरीर के अंदर पेट तथा आंतों में पाए जाने वाली पाचन एंजाइम और एसिड के साथ में पेट के अंदर मिल जाता है।
  • इसलिए इंसुलिन का सेवन सिर्फ इंजेक्शन, इनहेलर या फिर पैच के द्वारा हीं किया जा सकता है।

इस लेख में आपने पढ़ा मधुमेह की समस्या से जुड़ी कुछ प्रसिद्घ भ्रांतियों के बारे में। ये भ्रांतियां आम लोगों में बहुत प्रचलित होती हैं पर असल में ऐसा बिलकुल नहीं होता है। आशा है इस लेख को पढ़ कर इन भ्रांतियों पर आप विश्वास करना बंद कर देंगे।

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