HIV Vaccine: अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा, जल्द आ सकता है एचआइवी से बचाव का टीका

HIV Vaccine: अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा, जल्द आ सकता है एचआइवी से बचाव का टीका

एड्स एक ऐसी घातक बीमारी है जिसने आज तक लाखों लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है और आखिरकार उसकी जान भी चली गई है। एड्स का नाम सुनते हीं लोगों के अन्दर एक डर बैठ जाता है, ये डर इसलिए भी है क्योंकि एड्स का इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है।

एड्स जिसका कारण होता है HIV (Human Immunodeficiency Virus) दरअसल एक लाइलाज बीमारी होती है। पर अब कई शोधों के बाद इस बीमारी के इलाज के मुमकिन होने की उम्मीदें जाग गई हैं। ये उम्मीदें जगाई हैं इसके इलाज पर शोध कर रहे कुछ वैज्ञानिकों ने।

बहुत सारे वैज्ञानिक बहुत सालों से इस बीमारी के उपचार पर शोध कर रहे थे, कई बार वो उपचारों के नजदीक भी पहुंचे पर आखिर में कुछ ना कुछ समस्याएं रह हीं गई। इसीलिए आजतक मार्केट में इसका कोई सटीक इलाज नहीं आ पाया है।

इन्हीं वैज्ञानिक शोधों में नया आयाम अब आया है जब कुछ वैज्ञानिक इसके सटीक इलाज के तरफ बढ़ गए हैं और इनका मनना है की अब वो दिन दूर नहीं जब हम HIV AIDS पर काबू पा लेंगे। पढ़ें HIV Vaccine.

HIV Vaccine: जाने कब तक आ सकता है एचआइवी के प्रभाव को खत्म करने वाला टीका

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कुछ चिकित्सा वैज्ञानिकों ने अभी कुछ दिनों पहले ही में HIV Infection से मुकाबला करने के लिए एक विशिष्ट प्रकार की इंजेक्शन को बना लेने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है। हालांकि अभी इसमें और भी बहुत सारे परीक्षण बाकी है पर इस कदम को चिकित्सा की दुनिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

वैज्ञानिकों ने बनाया HIV and AIDS का इंजेक्शन

  • आस्ट्रेलिया के कुछ चिकित्सा वैज्ञानिकों ने एड्स के इलाज की बाबत यह दावा कर दिया है कि उन लोगों ने एक इंजेक्शन का निर्माण कर लिया है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार इस इंजेक्शन से मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान की जाएगी, उनका मानना है की यह इंजेक्शन इंसान की इम्यून सिस्टम को ताकत देने का काम करता है।
  • एचआइवी-एड्स हो जाने पर पीड़ित का इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है। अगर पीड़ित के इम्यून सिस्टम को हमेशा मजबूत रखा जा सका तो एड्स कभी भी नुकसान नहीं कर पायेगा।

अमेरिकी वैज्ञानिक भी एड्स से निपटने का तरीका ईजाद करने के बेहद करीब हैं

  • अमेरिका के अटलांटा में स्थित इमोरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है कि वो भी बहुत शीघ्र हीं एचआईवी इन्फेक्शन को रोक पाने में सक्षम टीके को हकीकत बनाने के बहुत करीब है।
  • इस शोध में शामिल सभी शोधकर्ताओं का यह मानना है कि ट्रेग कोशिकाएं इस एचआईवी इन्फेक्टेड प्रेग्नेंट लेडीज से उसके भ्रूण में इन्फेक्शन के फैलाव से बचाती है। उनके अनुसार ये कोशिकाएं एक प्रकार की रेगुलेटरी लिंफोसाइट की तरह होते हैं।
  • अटलांटा के इमोरी यूनिवर्सिटी में चल रहे इस पूरे शोध के प्रमुख शोधकर्ता पीटर केसलर का यह कहना है कि महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण के अन्दर एचआईवी का इन्फेक्शन रोक देने के कारण का पता लग जाना एक बहुत बड़ी उपलब्धी है।
  • उनके अनुसार इसकी मदद से उन तरीकों की खोज करने में बहुत ज्यादा आसानी हो जाएगी, जिस से इम्यून सिस्टम को नेचुरल तरीके से मजबूत बनाने का रास्ता तलाशने में सहायता मिलेगी।
  • शोध में लगे सभी वैज्ञानिक बहुत सालों से इस बात से बड़े आश्चर्य में थे कि आखिर एचआईवी इन्फेक्टेड मां से जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के इन्फेक्टेड होने की दर में काफी ज्यादा कमी क्यों है।
  • आज के वक़्त में एंटीरेट्रोवायरल मेडिसिन्स की हेल्प से एचआईवी इन्फेक्शन को सफलतापूर्वक काबू में रखा जा सकता है। हाँ ये बात है की इन्फेक्टेड व्यक्ति को ताउम्र इन मेडिसिन्स का सेवन करना पड़ता है।
  • इन्फेक्शन से बच कर रहना बहुत ज्यादा जरूरी होता है, मगर इसके लिए अभी तक किसी प्रकार की कोई दवा या टीका मौजूद नहीं है।
  • शोधकर्ताओं ने इस बाबत देखा कि एचआईवी इन्फेक्टेड मां से जन्म लेने वाले अनइन्फेक्टेड नवजात शिशु के ब्लड में ट्रेग लिंफोसाइट का लेवेल बहुत ज्यादा था।
  • वहीं इसके ठीक विपरीत इन्फेक्टेड मां से जन्म लेने वाले इन्फेक्टेड नवजात शिशुओं के अन्दर यह स्तर कम देखा गया था।
  • लिंफोसाइट प्रतिरोधक तंत्र की एक कोशिकाएं होती हैं, जो बॉडी को बैक्टीरिया तथा वायरस आदि से बचा कर रखती हैं।
  • ट्रेग कोशिकाएं या फिर रेगुलेटरी टी कोशिकाएं प्रतिरोधक क्षमता के अपने कंट्रोल का तरीका हैं, जो प्रतिरोधक तंत्र में किसी प्रकार के गंभीर रिएक्शन को होने देने से रोकता है और जिससे पीड़ित के उत्तकों को हानि हो सकती है।
  • शोध के दौरान हीं शोधकर्ताओं ने कुल 64 नवजात शिशुओं के खून की जांच करी जो एचआईवी के इन्फेक्शन से पूरी तरह मुक्त थे।
  • उन्होंने एचआईवी इन्फेक्शन के साथ जन्म लेने वाले 28 दूसरे नवजात शिशुओं के भी खून की जांच आरी और फिर उन्होंने ये देखा कि अनइन्फेक्टेड नवजात शिशुओं में ट्रेग सेल्स की संख्या ज्यादा थी।
  • इसके मुकाबले में एचआईवी इन्फेक्टेड नवजात शिशुओं में अन्य लिंफोसाइट के प्रकार सक्रिय और काफी ज्यादा थे।
  • चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि एचआईवी के वायरस केवल सक्रिय कोशिकाओं को हीं संक्रमित करते हैं।
  • इसलिए ट्रेग कोशिकाएं और अन्य लिंफोसाइट्स को सक्रिय होने देने से रोक कर भी लोगों को एचआईवी के इन्फेक्शन से बचाया जा सकता है।
  • इस पूरे शोध को अमेरिकन सोसाइटी फॉर माईक्रोबायोलॉजी (एएसएम माईक्रोब) की हर साल होने वाली बैठक में भी पेश किया गया था।

आज के इस लेख में हमने एड्स और HIV वायरस के बचाव में निकट भविष्य में आ सकने वाले टीके और उपचारों के बारे में जाना। चुकी अभी इन सभी पर शोध के और काम बचे हैं तो अभी इसे कुछ समय और लगेगा मार्केट में उपलब्ध होने में। पर ऐसा माना जा रहा है की यह बहुत जल्द मार्केट में भी उपलब्ध भी हो जायेगा।

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