Negative Impacts of Technology: जाने टेक्नोलॉजी के नकारात्मक परिणाम

Negative Impacts of Technology: जाने टेक्नोलॉजी के नकारात्मक परिणाम

आज का ज़माना टेक्नोलोजी का है, हमारे आस पास हर जगह टेक्नोलोजी ने घेर रखा है। अगर थोड़ी देर के लिए भी हमारे आस पास की टेक्नोलजी काम करना बंद कर देती है तो तो हमारे सारे काम ठप्प पड़ जाते हैं।

ज़रा सोचिये किसी दिन आपका कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदि काम करना बंद कर दे या फिर खराब हो जाए तो आपकी स्थिति कैसी हो जायेगी? ऐसी सोच के आने पर भी आपको परेशानी होने लग जाती है।

ये भी नहीं है की ऐसा केवल आपके साथ हीं हटा है बल्कि यह आजकल लगभग हर किसी के साथ होता है। मोबाइल लैपटॉप हीं नहीं हमारे रसोई में ओवन मिक्सर आदि मशीने, हमारे बाथरूम का गीजर इसके अलावा आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से जुड़ी तमाम टेक्नीक ने हमें और हमारे जीवन को मानो अपने कैद में कर लिया है।

अगर ऐसा कहें की आज की टेक्नोलोजी चाहे वो इंटरनेट हो या कुछ और इनके प्रयोग ने हमें अपना गुलाम बना लिया है तो ये गलत नहीं होगा। एक तरह से इसने हमारे जीवन को हैक कर के रख लिया है। इन पर कई रिसर्च भी हुए हैं जिसके परिणाम हैरान कर देने वाले आये हैं। एक रिसर्च में बहुत सारी बीमारियों का पता चला जो अत्यधिक इटरनेट और इंटरनेट के इस्तेमाल से होता है। पढ़ें Negative Impacts of Technology.

Negative Impacts of Technology: टेक्नोलॉजी की लत आपको पहुंचा सकती है नुकसान

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इंटरनेट एडिक्शन

  • Impact of Technology on Human Life के अंतर्गत इंटरनेट एडिक्शन आज के वक़्त की एक बड़ी समस्या बन गयी है। इसके आंकड़े को जान कर आप चौंक जायेंगे। अगर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो विश्व की करीब 6% आबादी इस इंटरनेट एडिक्शन की समस्या से ग्रसित है।
  • लंदन स्थित एंटी किअर्नी ग्लोबल प्रेस्पेकटिव मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म के द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार 53 फीसदी इंडियन हर घंटे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
  • यहीं नहीं आप ये जान कर चौक जायेंगे की हर घंटे इंटरनेट इस्तेमाल करने के वैश्विक आंकड़े से भी ज्यादा भारत के आंकड़े हैं। जहाँ 53% भारतीय हर घंटे इंटरनेट यूज करते हैं वही विश्व के परिपेक्ष में यह आंकड़ा 43% है।
  • इस रिसर्च के अनुसार इंटरनेट एडिक्शन जो अब एक घातक बीमारी बन चूका है दरअसल भारत के लिए सबसे ज्यादा खतरे पैदा कर रहा है क्योंकि भारत के लोग बाकी दुनिया के किसी भी देश से सबसे ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करने लग गए हैं।
  • अगर बात दुसरे देशों की करें तो चीन में इस एडिक्शन का आंकड़ा 36% है तो वहीं जापान में ये आंकड़ा 39% है।
  • कुछ दस देशों पर किये गए इस शोध से यह साबित हुआ की अब इंटरनेट एडिक्शन एक मेंटल बीमारी की शक्ल लेता जा रहा है।
  • अमेरिका जैसे देशों में इंटरनेट एब्यूज डिसऑर्डर को एक घातक मानसिक बीमारी के तौर पर मान्यता दे दी गई है। हमें भी Negative Effects of Technology को समझने की जरुरत।

फैंटम वाईब्रेशन सिंड्रोम

  • इस बीमारी के होने का सबूत तब मिलता है जब आपको अक्सर इस तरह का भ्रम होने लगे की आपके पौकेट में रखा फ़ोन या फिर आपके बैग में रखा फ़ोन वाइब्रेट तो नहीं कर रहा।
  • इस बीमारी पर जोर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी के शोधकर्ताओं ने शोध किया और पता लगाया की इस शोध में शामिल मोबाइल उपभोक्ताओं में से करीब 99 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ता इस तरह के वाइब्रेशन को महसूस करते हैं।

सेल्फाइटिस की समस्या

  • सेल्फाइटिस भी एक आज के टेक जेनेरेशन की गंभीर समस्या बन गई है। ये समस्या मोबाइल में मौजूद सेल्फी कैमरे के कारण बढ़ी है।
  • लोग आजकल हर समय अपनी सेल्फी तस्वीर खीचने में लगे दिख जाते हैं, यह आदत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है की आगे चल कर समस्या का रूप ले लेती है।
  • लंदन के नॉटिंघम टेंट महाविद्यालय में हुए एक रिसर्च में रिसर्चर्स ने ये पाया की जो व्यक्ति 4 से 5 सेल्फी ले कर संतुष्ट नहीं हो पाते हैं वो सेल्फाइटिस की समस्या से गर्सित हो सकते हैं।
  • लन्दन के अलावा इसी विषय पर भारत के तमिलनाडू स्थित त्यागराज स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में हुए शोध में यह खुल कर सामने आया की सेल्फाइटिस की समस्या से ग्रसित लोग अपना मूड ठीक करने, दूसरों पर धाक जमाने के लिए या फिर दूसरों से आगे हो जाने के लिए कई कई बार अपनी सेल्फी तस्वीर खींचते हैं।
  • शोध के दौरान सेल्फाईटिस की समस्या के तीन लेवल पाए गए जिसके अंतर्गत पहले लेवल में व्यक्ति को 3 से अधिक सेल्फी लेने की आदत होती है पर वो इन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करता हैं।
  • वहीं इस शोध में सेल्फाईटिस के दूसरे लेवल में सेल्फी ले कर उसे हमेशा सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहना होता है और इसके बाद आता है तीसरे लेवल का इसमें हर कुछ देर पर सेल्फी खिंच कर उसे सोशल मीडिया पर अपडेट करना होता है।

नामोफोबिया की समस्या

  • नामोफोबिया एक ऐसी समस्या है जिसमे फोन की लत लगने के बाद फोन साथ ना होने पर दुनिया में कुछ बुरा हो जाने का अंदेशा होने लग जाता है।
  • इसके कारण इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति बार बार अपने फोन को चेक करता रहता है और साथ हीं फोन पास में ना होने पर बेचैनी भी महसूस करता है।
  • इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण यही है की मोबाइल के बगैर एक पल भी नहीं रह पाना।

फेसबुक डिप्रेशन

  • यह समस्या फेसबुक के अत्यधिक इस्तेमाल से होता है। इसके होने पर आपको फेसबुक पर किये अपने पोस्ट पर कम लाइक और बुरे कमेंट्स का अंदेशा सताने लगता है।
  • इसके अलावा जब आपको फेसबुक पर कम लाइक्स मिलते हैं तो आपके अंदर एक हीन भावना भी जन्म लेने लगती है जिससे आप धीरे धीरे डिप्रेशन में चले जाते हैं।
  • Social Impact of Information Technology के दौर में ऐसी समस्याएं आजकल बहुत ज्यादा देखने को मिल रही हैं।

हिकिकोमोरी

  • इस समस्या में तकनीक का इतना ज्यादा एडिक्शन हो जाता है की इससे पीड़ित व्यक्ति सामाजिक ज़िंदगी से काट कर खुद को टेकनिकल वर्ल्ड से जोड़ लेता है।
  • अनुमानों के मुताबिक़ वर्तमान में इस समस्या से करीब 2 लाख लोग पीड़ित हैं।
  • इस परेशानी से ग्रसित हो जाने के बाद पीड़ित को इससे निकलने में कई साल लग जाते हैं।

आज के इस लेख में आपने आज के जेनेरेशन में बढ़ रही टेक्नोलोजी के प्रति आत्मनिर्भरता से होने वाले कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के बारे में विस्तार से जाना साथ हीं जाना की Impact of Technology हम सब पर क्या असर छोड़ रही हैं। अगर आपको भी लगता है की आप इनमे से किसी समस्या से परेशान है तो आप के प्रति जागरूक हो जाएँ और ज्यादा गंभीर होने से पहले इसके लिए किसी मनोचिकित्सक से राय ले लें।

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