योग के अगर सही अर्थ को समझा जाये तो इसका मतलब होता है जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ना या मिल जाना या पूरी तरह से एक हो जाना ही योग कहलाता है। योगाचार्य महर्षि पतंजलि के अनुसार "चित्त या मन को एक जगह स्थिर करना ही योग है।"
ऋषि मुनियों ने योग क्रियाओं के द्वारा मनुष्य के शरीर, मन और प्राणों की शुद्धि के लिए तथा परमात्मा से जुड़ने के लिए आठ प्रकार के साधन बताये है। जिन्हें उन्होंने अस्टांग योग कहा है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि वो निम्न प्रकार है जिनसे मिलकर योग बना है।
आज हम एक आसान के बारे में बताने वाले है। जिसे नियमित कर आप अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध और स्वस्थ रखने में समर्थ हो सकते है। बिना किसी कष्ट के सुखपूर्वक अधिक से अधिक समय तक एक ही स्थिति में बैठने की क्षमता को आसान कहा जाता है। यह शरीर और मन दोनों को शांत रखने का कार्य करता है। इनका अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आज हम जानेंगे आसन की एक क्रिया के के बारे में, तो आइये जानते है Vrikshasana in Hindi.
Vrikshasana in Hindi: जाने इसकी विधि, लाभ और सावधानियाँ
इस आसन के नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह वृक्ष से मिलता जुलता ही आसान होगा। जी हाँ, आप सही समझ रहे है। हम इस आसान का अभ्यास करते है तो हमारे शरीर की आकृति वृक्ष यानी पेड़ के समान दिखाई देती है। इसलिए इस आसान को वृक्षासन नाम दिया गया है। नटराज आसन के समान यह भी हमारे शरीर को लाभ पहुँचाने के साथ-साथ मानसिक सुकून की प्राप्ति भी देता है। चूंकि वृक्ष अंग्रेजी में ट्री कहा जाता है इसलिए इसका एक नाम Tree Pose Yoga भी है। आइये अब हम जानते है इस आसन की अवस्था कैसी रहती है।
वृक्षासन अवस्था
इस आसान को करते समय हमें एक पैर को मोड़ना और दूसरे पैर को दृढ़ता से जमीन से लगाकर रखना होता है। इसके बाद एक पैर पर खड़े रहकर हाथों को सिर के ऊपर लाना होता है। इस अवस्था में अगर आप संतुलन नहीं बने पते है तो जो पैर आपने ज़मीन पर रखा है उस पर शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें। इस स्थिति में आपको महसूस करना चाहिए कि जो पैर जमीन से लगा है वो पेड़ की जड़ है और मानों जैसे वो जमीन की गहराई में स्थित है। जिस पर हमारा शरीया टिका है। फिर सामने की तरह ध्यान को केंद्रित करते हुए किसी बिंदु पर ध्यान स्थापित करना चाहिए और सांस को सामान्य ही रखना चाहिए।
वृक्षासन करने की विधि
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप किसी साफ़ और स्वच्छ स्थान पर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं।
- इसके अपने शरीर के भार को बायें पैर पर डालते हुए दये पैर को ऊपर मोड़ें।
- अब अपने दायें पैर के तलवे को बायें पैर के घुटने के ऊपर लगाने का प्रयास करें।
- बायें पैर पर संतुलन बनाते हुए दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में लेट हुए छाती से लगाए।
- इसके बाद अपने दायें पैर के तलवे से बायें पैर पर दबाव डालें तथा बाये पैर के तलवों को जमीन से दबाये।
- अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में ही सिर से ऊपर की ओर ले जाएं।
- इसके बाद अपने सिर को सीधा रखते हुए सामने की तरह किसी एक वास्तु पर ध्यान केंद्रित करें।
- शुरुआत में इस स्थिति में 10 से 15 मिनट तक रहें। अभ्यासरत हो जाने पर इसे अपनी क्षमतानुसार भी कर सकते है।
- इस आसन को आप दोनों पैरों से 2 से 5 बार तक दोहरा सकते है।
वृक्षासन से होने वाले लाभ
वृक्षासन के अनेक लाभ है लेकिन ऐसा तब होगा जब आप इसका नियमित रूप से अभ्यास करेंगे और इसे करते समय सावधानी भी बरतेंगे। योगाचार्यो के अनुसार अगर इसका अभ्यास सुबह जल्दी उठकर किया जाये तो फायदे जल्दी देखने को मिलेंगे। यह आसान उन लोगो को खासतौर पर करना चाहिए जिन्हें चलने का अधिक काम पड़ता है जैसे सेल्स पर्सन। क्योंकि यह आसान पैरों को मजबूत बनाता है। आइये जानते है इस आसन के फायदे-
- इसे करने से शरीर का संतुलन और दृढ़ता में वृद्धि होती है।
- इसके अभ्यास से शारीरिक तनाव दूर होता है।
- वृक्षासन के अभ्यास से पैरों और घुटने के दर्द में राहत मिलती है।
- आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ती है।
- यह स्नायुमंडल का विकास कर पैरों को स्थिरता और मजबूती प्रदान करता है तथा पैरों और टखनों में लचीलापन आता है।
- इसके अभ्यास से कमर और कूल्हों में जमा अतिरिक्त चर्बी कम होती है तथा दोनों ही अंगो में मजबूती आती है।
सावधानियां
किसी भी आसन को करने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से उसके बारे में जानना और आसन की क्रियाओं को ठीक से समझना बेहद जरुरी है। इसलिए पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें, क्योंकि अगर आप गलत तरीके से इसे करते है तो आपको इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है। इसलिए योगासन की सावधानियों को जानना भी बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा अगर आपको नींद से सम्बंधित कोई समस्या या अनिद्रा का रोग है तो आप इस आसन को ना करें।
आज आपने जाना Vrikshasana in Hindi. इस आसन के नियमित अभ्यास से आप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सुख-शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकते है।