डीएनए टेस्ट में DNA Analysis करने के बहुत सारे प्रकार होते हैं। चिकित्सा विज्ञान में ऐसे लगभग 1200 प्रकार से डीएनए टेस्ट होते हैं। पर मुख्य रूप से डीएनए टेस्ट का उपयोग अनुवांशिक रिश्तों का पता लगाने के लिए हीं किया जाता है।
इसके माध्यम से संपत्ति के सही उत्तराधिकारी का पता लगाया जाता है। माता-पिता, दादा-दादी, वंश, खानदान आदि का पता लाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। आजकल तो छोटे बच्चों की भी डीएनए टेस्ट होने लगी है ताकि बच्चे के जींस के दोषों और समस्याओं का पता लगाया जा सके।
बहुत मौकों पर आपराधिक मामलों में अपराधियों की भी डीएनए टेस्ट की जाने लगी है। इससे उसकी पहचान को सुरक्षा कारणों से सुरक्षित रखा जाता है और बाद में इस्तेमाल किया जाता है।
नए टेस्ट करने के लिए आम तौर पर व्यक्ति के ब्लड, हेयर, स्किन और एम्नियोटिक फ्लुइड का नमूना लिया जाता है। इन सैम्पलों में एम्नियोटिक फ्लुइड दरअसल गर्भावस्था में भ्रूण के चारों तरफ रहने वाला तरल होता है। सामान्यत: इस डीएनए टेस्ट का परिणाम आने में करीब 15 दिन का वक़्त लग जाता है। आज के इस लेख में पढ़ें DNA Testing.
DNA Testing: जानिये डीएनए टेस्ट से जुड़ी मत्वपूर्ण जानकारियाँ
डीएनए क्या है What is DNA
सबसे पहले डीएनए की खोज एक वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रान्सिस क्रिक के द्वारा साल 1953 में हुई थी। इसी बड़े खोज के लिए in दोनों वैज्ञानिक को साल 1962 में नोबेल प्राइज भी मिला था। यह डीएनए, लिविंग सेल्स के क्रोमोजोम में पाए जाने वाले तंतुनुमा मौलुकुल को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल कहते हैं। डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल DNA full form होता है इसमें हीं अनुवांशिक कोड जुड़े रहते है।
डीएनए के अणु का स्ट्रक्चर एक घुमावदार सीढ़ीनुमा होता है। डीएनए की एक सिंगल अणु चार भिन्न रासायनिक वस्तुओं (अडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन) से बनता है जिन्हें हम न्यूक्लियोटाइड के नाम से जानते है, यह नाइट्रोजन युक्त एक वस्तु होता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन को दरअसल एक फॉस्फेट का अणु आपस में जोड़ देता है। डीएनए हर एक लिविंग सेल्स का एक अभिन्न अंग होता है।
डीएनए दरअसल एक क्रोमोसोम के रूप में मौजूद होता है। एक कोशिका के अन्दर क्रोमोजोम के सेट अपने जीनोम का निर्माण करता है। चिकित्सा विज्ञानं के तथ्यों के अनुसार मानव जीनोम में 46 क्रोमोजोम की व्यवस्था में डीएनए के करीब 3 अरब जोड़े है। यह जीन आनुवांशिकता की एक मुख्य शारीरिक यूनिट होती है। जो एक पीढ़ी दर पीढ़ी में लोगों में स्थानांतरण होती है। अर्थात यही हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की सारी जानकारियां रखता है, इनमे हमारे बालों का कलर कैसा होगा, आंखों का कलर क्या होगा या हमें किस तरह की बीमारी हो सकती हैं। ये जानकारियां आम तौर पर माता-पिता से उनके संतानों में डीएनए के जरिये स्थानांतरित होता है। इसी कारण से ये भी माना जाता है कि मानव डीएनए असल में अमर होता है जो एक जेनेरेशन से दूसरी जेनेरेशन में ट्रांसफर होता रहता है।
डीएनए टेस्ट क्या है?
- यह एक तरह का मेडिकल टेस्ट है जिसमे क्रोमोजोम, जींस या फिर प्रोटीन हो रहे चेंजेज को पहचानता है।
- शिशुओं के जन्म के तुरंत बाद उनकी जांच की जाती है जिसकी हेल्प से उसके अनुवांशिक समस्याओं का पता लगा लिया जाता है और उसका निदान शुरू कर दिया जाता है।
- किसी स्पेशल अनुवांशिक समस्या का पता लगाने के लिए उस स्पेशल क्रोमोजोम की खोज नैदानिक टेस्टिंग से की जाती है।
- जन्म से पहले भ्रूण के क्रोमोजोम से उनके जींस में हो सकने वाले चेंजेज के बारे में पता करने के लिए जन्म पूर्व टेस्टिंग की जाती है।
- कभी कभी लोग वंशानुगत बीमारी से पीड़ित रहते है। इसका पता लगाने के लिए कैरियर आईडेंटीफिकेशन की मदद ली जाती है।
क्यों होता है डीएनए टेस्ट?
- डीएनए टेस्ट करवाने की कई अलग अलग वज़हें हो सकती हैं।
- शिशुओं के जन्म लेने से पहले उसके भविष्य में हो सकने वाले वंशानुगत समस्याओं की तलाश में ये टेस्ट की जाती है।
- अगर किसी इज=नसान के जीन में कोई बीमारी होती है तो यह उनके संतान में भी हो सकती है, इसका पता भी डीएनए जांच से किया जा सकता है।
- इसके अलावा इस टेस्ट से भ्रूण में होने वाले रोग् की जांच भी की जाती है।
- वयस्कों में रोग के होने से पहले उसके लक्षणों का पता डीएनए टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है।
- अलग अलग व्यक्तियों की इस टेस्ट को करवाने की अलग अलग वजहें हो सकती हैं।
क्या करे डीएनए टेस्ट से पहले?
- वैसे तो इस टेस्ट से पहले किसी स्पेशल तैयारी की कोई जररत नहीं होती है पर टेस्ट से पहले हो सके तो अपनी और अपने परिवार की मेडिकल बैकग्राउंड सम्बंधित हर जानकारी को इकठ्ठा कर लेना अच्छा होता है।
- सारी जानकारियों से टेस्ट करने वाले डॉक्टर को पूरी तरह अवगत करवा देना चाहिए, इससे वो टेस्ट के दौरान होने वाले जोखिम को निम्न कर सकता है।
- टेस्ट से पहले और टेस्ट के बाद दोकात्र से हर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कर लेना चाहिए।
डीएनए टेस्ट के वक़्त
- डीएनए टेस्ट वक़्त डॉक्टर आमतौर पर व्यक्ति के ब्लड का सैम्पल लेता है। सैम्पल लेने का तरीका अलग अलग हो सकता है।
- इन तरीकों में नस से ब्लड लेना, हड्डियों की बायोप्सी कर के सैम्पल लिया जाता है।
- इसके अलावा एम्नीयोसेंटेसिस जिसमे भ्रूण से सैम्पल निकालते हैं का भी तरीका इस्तेमाल करते हैं।
टेस्ट के बाद
- ज्यादातर मौंकों पर जिस दिन डीएनए टेस्ट होता है उसी दिन उस व्यक्ति को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
- पर जब बॉन मेरो से सैम्पल से निकाले जाते हैंतो एक दिन के लिए अस्पताल में रुकना पड़ता है।
टेस्ट के जोखिम
- ज्यादातर मौकों पर ऐसे टेस्ट में किसी तरह की जोखिम नहीं होती है और व्यक्ति आराम से यह टेस्ट करवा लेता है।
- हाँ एम्नीयोसेंटेसिस के टेस्ट के दौरान गर्भवती महिला के मिस्किरेज की मामूली जोखिम का खतरा रहता है।
आज के इस लेख में आपने जाना डीएनए टेस्ट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारिया। अगर आप भी यह टेस्ट करवाने वाले हैं या आपके परिवार में कोई इस तरह का टेस्ट करवाने वाले हैं तो लेख में बताई गई बातों से आपको इसमें जरूर सहायता मिलेगी।