Down Syndrome in Hindi: देखभाल और प्यार से आगे बढ़ेंगे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे

Down Syndrome in Hindi: देखभाल और प्यार से आगे बढ़ेंगे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे

हमारे बॉडी में हर क्षण हर पल अनगिनत घटनाएं अपने आप होती हुई रहती हैं जिसकी वज़ह से हमारा शरीर जीवित और स्वस्थ्य बना रहता है पर साथ हीं साथ कुछ ऐसी घटनाएँ भी चलती हैं जिससे शरीर को हानि भी पहुँचती है। इन घटनाओं में बदलाव होने से जिंदगी में भी बहुत सारे बदलाव आते हैं। ये दरअसल बॉडी के गुणसूत्रीय बदलाव होते हैं।

इन्हीं गुणसूत्रीय बदलावों डाउन सिन्‍ड्रोम के नाम से जाना जाता है। ये एक ऐसी अवस्था है जिसकी वजह से लोग एक असमान्‍य जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं, हाँ ये भी है की इसमें सुधार की भी संभावना लगातार बनी रहती है।

डाउन सिंड्रोम बच्चों में होने वाली एक घातक बीमारी होती है, जिसकी वज़ह से बच्चों का सम्पूर्ण बॉडी ग्रोथ बाकी के सामान्य बच्चों के जैसे नहीं हो पाता है। इसकी वज़ह से बच्चे का मस्तिष्क भी आम बच्चों के मस्तिष्क के सदृश कार्य नहीं कर पाता।

कई बार इस सिंड्रोम की वज़ह से बच्चे के व्यक्तित्व में हीं अलग अलग प्रकार की विकृतियां और विसंगतियां दिखाई देने लग जाती हैं। ऐसे बच्चे को आम तौर पर प्यार देकर और अच्छी तरह से देखभाल कर के सामान्य जीवन भी दिया जा सकता है। पढ़ें Down Syndrome in Hindi.

Down Syndrome in Hindi: डाउन सिंड्रोम होने पर बच्चों की कैसे करें देखभाल

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क्या होता है डाउन सिंड्रोम

  • Down Syndrome की बीमारी एक आनुवंशिक बीमारी होती है, जो गुणसूत्र में बदलाव के कारण होती है।
  • सामान्यत: प्रेगनेंसी की अवस्था में भ्रूण को कुल 46 गुणसूत्र मिलते हैं, और इन 46 गुणसूत्र में से 23 माता की तरफ से और 23 पिता की तरफ से होते हैं।
  • लेकिन जिन बच्चे में डाउन सिंड्रोम होती है उस बच्चे के 21वें गुणसूत्र की एक प्रति अधिक हो जाती है, यानी उन बच्चों में कुल 47 गुणसूत्र हो जाते हैं।
  • इसी की वज़ह से वैसे बच्चों का मानसिक व शारीरिक ग्रोथ बहुत ज्यादा धीमा हो जाता है और साथ हीं साथ उन्हें कई सारी समस्याओं का भी सामना करना पड़ जाता है।
  • यह बीमारी मेल बच्चों में अधिक देखने को मिलती है।
  • कुछ विशेषग्य इस संभावना से इनकार करते हैं की अकसर यह वंशानुगत वज़हों से हीं होता है, उनका मानना है की ज्यादातर ऐसे मामलों में ये नहीं होता।
  • फिर ये सवाल उठा है की What Causes Down Syndrome? विशेषज्ञों के अनुसार अंडों की सेल या फिर कई बार शुक्राणुओं की सेल में डिफ़रेंस होने की वज़ह से से गुणसूत्र 21 की दो प्रतियां बनने की बदले तीन प्रतियां भी बन जाती हैं, जिन्हें ट्रायसोमी 21 के नाम से जानते हैं।
  • डाउन सिंड्रोम का यह दूसरा टाइप करीब 95 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है।

बच्चे कैसे आ जाते हैं इसकी जद्द में

  • डाउन सिंड्रोम की समस्या से ग्रसित बच्चों में Down Syndrome Characteristics कभी कभी हल्के तो कभी कभी गंभीर भी देखे जा सकते हैं।
  • ऐसे बच्चे की मसल्स आम बच्चों की तुलना में कमजोर होते है।
  • उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनकी मसल्स में शक्ति धीरे धीरे बढ़ती जाती है, पर ऐसे बच्चे दूसरे आम बच्चों के मुकाबले में बैठना, चलना और उठना आदि सीखने में कुछ अधिक वक़्त ले लेते हैं।
  • इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को हार्ट रिलेटेड डिजीज होने की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है साथ हीं इसकी वज़ह से उनका बौद्धिक, मानसिक तथा शारीरिक ग्रोथ भी बहुत स्लो होता है।

बीमारी के लक्षणों को समझें (Down Syndrome Symptoms)

  • इस समस्या से परेशान कई बच्चों के फेस पर इस बीमारी के कारण कई सारे विशिष्ट लक्षण देखने को भी मिल जाते हैं।
  • इस लक्षणों में कान छोटे हो जाना, फेस सपाट हो जाना, आंखों के ऊपर कुछ तिरछापन आ जाना, जुबान बड़ी हो जाना आदि।
  • डाउन सिंड्रोम की इस समस्या से ग्रसित बच्चों की रीढ़ की हड्डी में भी इस बीमारी के कारण कुछ विकृति देखने को मिल सकती है।
  • इसके कारण कुछ बच्चों को पाचनतंत्र से जुड़े परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है, तो वहीं इसकी वज़ह से कई बच्चों को किडनी रिलेटेड बीमारी भी हो सकती है।
  • इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में सुनने और देखने की क्षमता भी बाकी बच्चों से कम हो जाती है।

उपचार के लिए करे देखभाल (Down Syndrome Treatment)

  • शिशु के जन्म ले लेने के बाद इस समस्या का कोई भी संपूर्ण उपचार संभव नहीं हो पाता है।
  • Down Syndrome Cure के लिए ऐसे बच्चे को प्यार और देखभाल की जरुरत होती है।
  • ऐसे बच्चों को एक ऐसा वातावरण उपलब्ध करवाना चाहिए जिसमें बच्चा एक आम जिंदगी जीने की कोशिश कर पाए।
  • ऐसे बच्चे के मानसिक तथा बौद्धिक ग्रोथ के लिए विशेषज्ञों और चिकित्सकों की राय और मदद ली जा सकती है।

बच्चे के साथ सकारात्मक व्यवहार करें

  • डाउन सिंड्रोम की बीमारी से ग्रसित बच्चे क लिए बहुत सारी परेशानियां होती हैं, लेकिन ऐसे बच्चे के साथ अभिभावक सकारात्मक रह कर बच्चे को उत्साहित करते रहना चाहिए
  • बच्चे के शरीर में दिखने वाले Down Syndrome Features के प्रति अगर अभिभावक अजीब व्यवहार ना करे और सकारात्मक रहें तो ये उनकी परेशानियां को कम कर सकती है।
  • बच्चे के आहार में पोषक तत्वों की होने का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। ऐसे बच्चे को अलग अलग प्रकार के खाद्य पदार्थ खिलाना चाहिय, जिससे की बच्चे को संपूर्ण पोषण मिल पाये।
  • ऐसे बच्चे को को बहुत ज्यादा सुरक्षित घेरे या फिर कड़ी निगरानी में नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से उस बच्चे के मानसिक तथा शारीरिक ग्रोथ पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।
  • ऐसा प्रयास करें कि पीड़ित बच्चा भी आम बच्चों की तरह हीं सारे शारीरिक एक्टिविटीज में हिस्सा ले पाए और उनके साथ घुल-मिल सके।
  • किसी भी प्रकार के चमत्कारी उपचार पर बिलकुल भी विश्वास न करें और ना ही ऐसे उपचार को बढ़ावा दें।
  • अगर इस बच्चे के बाद दोबारा गर्भधारण करने क बारे में सोच रहे हों तो अपने चिकित्सक से मिल कर Down Syndrome Test और गुणसूत्र जांच ज़रूर करवा लें।
  • ऐसे बच्चे को कभी भी किसी प्रकार का अपराधबोध ना कराएं और ना ही इस बीमारी के कारण से खुद को बुरा फील करवाए, इसे ज़िंदगी की एक चुनौती समझ कर अपने बच्चे को समाज के मुख्य वर्ग के साथ जोड़ने की कोशिश करें।

अच्छे से करें देखभाल

  • किसी भी प्रकार की शारीरिक या फिर मानसिक समस्या की वज़ह से बच्चों के सीखने की क्षमता कमजोर और धीमी हो जाती है और उसे कोई भी बात सीखने में थोड़ा अधिक वक़्त लगता है।
  • परन्तु ऐसा भी बिलकुल नहीं है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे कुछ सीख हीं नहीं सकते हैं।
  • इसलिए बस ऐसे बच्चे के अभिभावकों तथा समाज के लोगों को उस बच्चे के प्रति थोड़ा सहयोगी नज़रिया रखने की आवश्यकता होती है।
  • ये बच्चे भी वो सारे काम कर सकते हैं, जो दूसरे सामान्य बच्चे किया करते हैं।

आज के इस लेख में आपने बच्चों में होने वाले डाउन सिंड्रोम के बारे में पढ़ा। यह समस्या हो जाने पर बच्चों के अधिक देखभाल की जरुरत पड़ती है। अगर आप ऐसे किसी बच्चे से मिलें तो उसे प्यार दें और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित ज़रूर करें।

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