Stretching After Workout: जानिए वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग क्यों है जरुरी

Stretching After Workout: जानिए वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग क्यों है जरुरी

स्ट्रेचिंग का अर्थ होता है मांसपेशियों में खिचाव। स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है और मांसपेशियों में खिचाव आता है।

नियमित रूप स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों और जोड़ों की सक्रियता व् गतिशीलता बरक़रार रहती है। जिस कारण प्रत्येक व्यायाम में स्ट्रेचिंग का बहुत महत्त्व होता है। इसे व्यायाम का एक अहम् हिस्सा भी माना जाता है।

कभी भी एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले वार्मअप फिर एक्सरसाइज और इसके बाद स्ट्रेचिंग अवश्य करना चाहिए। ताकि आपका शरीर लचीचा बना रहे। मांसपेशियाँ स्वस्थ्य रहे और बॉडी पोश्चर में सुधार आ सके। साथ ही शरीर को स्ट्रेचिंग से आराम मिलता है और वह तनाव मुक्त हो जाता है।

एक्सरसाइज के बाद स्ट्रेचिंग कैसे और कितनी देर के लिए करनी चाहिए साथ ही शरीर के किस भाग की स्क्रेचिंग करनी चाहिए इसकी जानकारी भी रखना आवश्यक होता है ताकि आप स्क्रेचिंग का सही लाभ उठा सके। इसके लिए जानते है Stretching After Workout.

Stretching After Workout: जाने इसे करने का सही तरीका और उसके फायदे

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स्ट्रेचिंग करने का सही तरीका

  • कभी भी स्ट्रेचिंग के बाद एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। स्ट्रेचिंग, एक्सरसाइज करने के बाद ही करना चाहिए। तभी इसका सही रूप से फायदा मिल पाता है।
  • आप चाहे तो वार्मअप के बाद भी स्ट्रेचिंग का सकते है। वार्मअप के बाद स्ट्रेचिंग को तेज गति से कर सकते है क्योंकि उस समय रक्त संचार अच्छा रहता है।
  • जब भी स्ट्रेचिंग करे तो इस बात का ध्यान रखे कि स्ट्रेचिंग की किसी भी अवस्था में 15 से 20 सेकंड तक ही रुकना चाहिए। इससे ज्यादा ना रुके।
  • यदि आप सामान्य अवस्था में आ जाते है तो लगभग आधा घंटा रुके और फिर 5 बार स्ट्रेचिंग को दोबारा करे तो यह बहुत लाभदायक होता है।

स्ट्रेचिंग करने के लाभ

रक्त संचार में सुधार

  • स्ट्रेचिंग करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है और रक्त का संचार सही ढंग से होने लगता है।
  • मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो जाती है। जिससे दिमाग भी अच्छा रहता है। मांसपेशियों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते है जिसके कारण मांसपेशियों में दर्द और पीड़ा भी कम हो जाती है।

लचीलापन लाये

  • जैसे जैसे उम्र बढ़ती है मांसपेशियों और जोड़ों में कठोरता आने लगती है। जिससे शरीर का लचीलापन कम होने लगता है।
  • स्ट्रेचिंग का नियमित अभ्यास करने से शरीर में लचीलापन आता है।

तनाव में कमी

  • तनाव और चिंता हाल के दिनों में सबसे आम समस्याओं के रूप में उभरी है।
  • मांसपेशियों में स्ट्रेचिंग होने से तनाव दूर हो जाता है। साथ ही चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती है।

लोअर बैक दर्द से राहत

  • स्ट्रेचिंग, पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। इसके द्वारा पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद मिलती है। साथ ही दर्द और पीड़ा भी कम हो जाती है।

स्ट्रेचिंग के अन्य लाभ

  • स्ट्रेचिंग करने से मसल्स में होने वाला दर्द दूर हो जाता है और बॉडी पोश्चर में भी सुधार आ जाता है।
  • इसके कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है और ह्रदय से सम्बंधित रोगों का खतरा कम होता है।
  • शरीर का नियंत्रण भी स्ट्रेचिंग करने से सही रहता है। स्ट्रेचिंग करने से शरीर में फुर्ती बढ़ती है।
  • स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों की चोट और मोच से भी छुटकारा मिल जाता है। यह मांसपेशियों में आने वाली सूजन को भी दूर करने में मदद करता है।

स्ट्रेचिंग करने के तरीके

पिंडली स्ट्रेच

  • इसमें घुटनो के नीचे पैरों के पीछे के हिस्से में पिंडलियों की मांसपेशियां होती है। इन्हे फ़ैलाने के लिए इस स्ट्रेचिंग को करते है।

क्वाड्रिसेप्स स्ट्रेच

  • क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां जांघ से सामने वाले भाग में पायी जाती है जिसके लिए क्वाड्रिसेप्स स्ट्रेच फ़ायदेमंद होता है। साथ ही इसे करने से पेट की मसल्स भी मजबूत हो जाती है।

हेमस्ट्रिंग स्ट्रेच

  • इसमें हेमस्ट्रिंग (घुटने के पीछे पायी जाने वाली नस) मसल्स की स्ट्रेचिंग की जाती है।

हिप फ्लेक्सोर स्ट्रेच

  • हिप फ्लेक्सोर मांसपेशियां घुटनो को ऊपर उठाने और कमर को मोड़ने में सहायता करती है। जो कि जांघ के ऊपरी भाग और कूल्हे की हड्डियों के नीचे पाए जाते है। इन्हे स्ट्रेच करने के लिए यह स्ट्रेचिंग की जाती है।

आय टी बेंड स्ट्रेचिंग

  • ऊतकों का एक समूह होता है जिसे इलियोटिबल बेंड कहा जाता है। यह कूल्हों के बाहरी भाग, जांघ और घुटनो के आसपास पाए जाते है। इन्हे स्ट्रेच करने के लिए यह स्ट्रेचिंग की जाती है।

नी टू चेस्ट स्ट्रेच

  • इस प्रकार की स्ट्रेचिंग शरीर के निचले हिस्से के पीछे की मांसपेशियों के लिए की जाती है।

स्ट्रेचिंग करने समय ध्यान रखने योग्य सावधानियां

  • ध्यान रखे कि अपने शरीर को अपनी क्षमता से अधिक स्ट्रेच न करे।
  • स्ट्रेचिंग की प्रक्रिया में समय लगता है इसलिए वीक में दो से तीन दिन भी स्ट्रेचिंग करना फ़ायदेमंद होता है।
  • स्ट्रेचिंग करते समय मांसपेशियों में हल्का खिचाव आने दे, ध्यान रखे की इसमें दर्द ना हो।
  • स्ट्रेचिंग को वॉर्मअप समझने की गलती ना करे क्योंकि यदि आप बिना वॉर्मअप किये स्ट्रेचिंग करते है तो आपकी मसल्स को हानि पहुंच सकती है।
  • स्ट्रेचिंग करते समय हमेशा जांघ, पीठ के निचले हिस्से, कूल्हा, गर्दन और कंधे पर ही ध्यान को केंद्रित करना चाहिए क्योंकि शरीर की सबसे बड़ी मसल्स यहाँ पर ही होती है।
  • स्ट्रेचिंग को एकदम धीरे-धीरे ही करना चाहिए। झटके के साथ कभी भी स्ट्रेचिंग ना करे। क्योंकि झटके के साथ मूवमेंट करने पर मांसपेशियों में चोट भी लग सकती है और साथ ही सूजन या जकड़न भी आ सकती है।

स्ट्रेचिंग को बंद करने का संकेत

  • प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की आवश्यकता भिन्न भिन्न होती है। जिस कारण आपको आपके शरीर द्वारा स्ट्रेचिंग को बंद करने के भी संकेत प्राप्त हो जाते है। जब लगने लगे की स्ट्रेचिंग को बंद कर देना चाहिए तो इसे तुरंत रोक दे। यदि स्ट्रेचिंग के दौरान आपको दर्द महसूस हो तो भी स्ट्रेचिंग को तुरंत बंद कर देना चाहिए।

अब तो आप जान ही गए होंगे कि स्ट्रेचिंग का व्यायाम में कितना महत्त्व होता है। इसलिए व्यायाम के बाद स्ट्रेचिंग करना न भूले। यदि आप जिम जा रहे है तो अपने जिम ट्रेनर को भी स्ट्रेचिंग करवाने को कह सकते है।

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