Surrogacy In Hindi: सरोगेसी प्रक्रिया के अंतर्गत किराए की कोख से पाएं अपनी संतान

Surrogacy In Hindi: सरोगेसी प्रक्रिया के अंतर्गत किराए की कोख से पाएं अपनी संतान

आज भी इस दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्होंने सरोगेसी नाम तो सुना है पर उन्हें इसका मतलब आज तक नही पता है। क्या आप जानते है ऐसे दम्पति जो किसी भी कारण-वश अपनी संतान को इस दुनिया में लाने में असमर्थ है उनके लिए सरोगेसी के जरिये अपनी संतान को जन्म देना अब संभव हो गया है। Surrogacy ऐसे दम्पति के लिए एक वरदान है जो आज भी अपने बच्चे की चाह रखते है।

जी हाँ हमारे विज्ञान ने ऐसी तकनीक की खोज कर ली है जिसमे अगर कोई माँ नौ महीने अपनी कोख में रखकर अपने बच्चे को जन्म देने में असमर्थ है तब भी वो अपने बच्चे को इस दुनिया में ला सकती है। और ऐसा सम्भव हो पाया है सरोगेसी पद्धति से।

आप जानते ही है करण जौहर, तुषार कपूर, अमीर खान जैसे सेलेब्रिटी ने सरोगेसी के जरिये ही अपनी संतान को जन्म दिया है। सरोगेसी के जरिये न सिर्फ एक दम्पति बल्कि एक सिंगल महिला या पुरुष भी संतान के सुख को भोग सकता है।

सरोगेसी पर अब हमारे कानून द्वारा कुछ नियम बनाये गये है जिसमे ये साफ़ कर दिया गया है की अब अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल और समलैंगिक कपल भी अब से सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते है। पर सरोगेसी पद्धति विवाहित दम्पति के लिए आज भी किसी वरदान से कम नही है जिसके जरिये वो अपने माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सकते है। साथ ही परिवार में रहने वाली सिंगल महिला भी इसके लिए आवेदन कर सकती है। जानते है Surrogacy In Hindi.

Surrogacy In Hindi: जाने यह क्या होती है, इसे करने का तरीका और इसके प्रकार

Surrogacy-In-Hindi

Surrogacy Kya Hai?

सरोगेसी में एक महिला और ऐसे दम्पति जो सरोगेसी से संतान सुख चाहते है उनके बीच एक अग्रीमेंट होता है जिसमे वो महिला उस दम्पति के बच्चे को नौ महीने अपनी कोख में रखकर जन्म देती है बच्चे के जन्म के बाद उसे उस दम्पति को सौंप दिया जाता है। क़ानूनी रूप से वो बच्चा सिर्फ उस दम्पति का ही रहता है। उस महिला का उस बच्चे पर कोई अधिकार नही रहता इसे सरोगेसी कहा जाता है। अपने बच्चे को किसी किराये की कोख में रखकर इस दुनिया में लाना सरोगेसी पद्धति कहलाती है।

Surrogate Mother

जो महिला पूरे नौ महीने तक किसी दम्पति के बच्चे को अपनी कोख में रखती है और बच्चे के जन्म के बाद उसे दम्पति को सौंप देती है ऐसी महिला सरोगेट मदर कहलाती है। भारत में ऐसी बहुत सी गरीब महिलाएं है जो आसानी से सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती है इसलिए ये सरोगेसी तकनीक भारत में बहुत प्रचलित हो रही है। सरोगेट मदर के लिए भी कानून बनाये गये है। ऐसी महिला जो सरोगेट मदर बनने को तैयार हो जाती है उसका पूरे नौ महीने विशेष ध्यान रखा जाता है साथ ही बच्चे के जन्म के बाद उसे एक बहुत बड़ी रकम भी अदा की जाती है इसलिए गरीब और असहाय महिला के लिए सरोगेट मदर बनना आसान हो जाता है।

सरोगेसी की मदद कब ले सकते है?

ऐसी महिलाएं जो किसी कारण-वश बच्चे को जन्म नही दे सकती है जैसे अगर किसी महिला की कोख में बार बार बच्चा नही ठहर रहा हो, या महिला को ऐसी कोई बीमारी हो जिससे वो बच्चे को जन्म देने में समर्थ न हो या बार बार महिला का आईवीएफ ट्रीटमेंट फेल हो रहा हो या महिला को गर्भ में किसी प्रकार की विकृति हो आदि किसी भी परेशानी के होने पर वो दम्पति सरोगेसी की मदद से अपनी संतान का जन्म सुनिश्चित कर सकती है। पर ऐसी महिलाएं जो एक बच्चे को जन्म देने में पूरी तरह समर्थ है उसके बावजूद भी अगर वो सरोगेसी का इस्तेमाल करते है तो ये सही नही है। कई बार महिलाएं सिर्फ इसलिए बच्चे को जन्म नही देना चाहती क्योंकि उन्हें ये डर होता है की कहीं उनका फिगर खराब न हो जाये ऐसे में कई अमीर दम्पति सरोगेसी की मदद से बच्चे को जन्म देते है जो सही नही है। जो पूरी तरह स्वयं अपने बच्चे को जन्म दे सकते है उन्हें सरोगेसी की मदद नही लेनी चाहिए। इन कारणों से कई बार सरोगेसी का विरोध सामने आया है। इसे सिर्फ निसंतान दम्पतियों के लिए ही सुरक्षित रहने दे।

सरोगेसी प्रक्रिया (Surrogacy Process in Hindi):

सरोगेसी दो प्रकार की होती है :

ट्रेडिशनल सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी में प्राकृतिक और कृतिम निषेचन किया जाता है। जिसमे बच्चे के पिता के शुक्राणुओं का सरोगेट मदर के अंडाणुओं के साथ निषेचन कराया जाता है, जिसकी वजह से जन्म लेने वाले बच्चे का जेनेटिकली संबंध अपने पिता के साथ होता है।

जेस्टेंशनल सरोगेसी: सरोगेसी की इस प्रक्रिया में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिये मेल करवा कर भूर्ण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप जन्म लेने वाले बच्चे का जेनेटिक संबंध अपने माता और पिता दोनों से समान होता है। इस पद्धति में सरोगेट मदर को ओरल पिल्‍स खिलाकर अंडाणु विहीन चक्र में रखना पड़ता है जिससे बच्‍चा होने तक उसके अपने अंडाणु न बन सके।

सरोगेसी अपनाने के पहले इन बातों का रखे ध्यान

  • सरोगेसी के लिए एक ऐसी महिला का चुनाव करे जो पूरी तरह से स्वस्थ्य हो।
  • सरोगेसी के लिए ज्यादातर ऐसी माँ का ही चुनाव किया जाता है जिसके पहले से बच्चे होते है क्योंकि ऐसी महिला की माँ बनने की पूरी तरह सम्भावना होती है।
  • आप सरोगेसी के लिए जिस भी महिला का चुनाव करे पहले चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें और ये पता कर ले की उस महिला में गर्भवती होने की क्षमता है या नही।
  • सरोगेसी से पहले इसके पूरे खर्च इत्यादि की जानकारी निकाल ले।
  • सरोगेसी से पहले जिस महिला को आपने सरोगेसी मदर के लिए चूना है उससे क़ानूनी तौर पर अग्रीमेंट आदि पूरी क़ानूनी प्रक्रिया कर ले उसके बाद ही सरोगेसी की प्रक्रिया करे।

ऐसे दम्पति जो किसी कारण से माता-पिता बनने में असमर्थ है वो ही इस पद्धति से अपने बच्चे को जन्म दे। अगर कोई महिला सिर्फ अपने फिगर के लिए माँ न बनकर इस तरह किराये की कोख का इस्तेमाल करती है तो ये सही नही है। इस बात का ध्यान रखे।

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