घुटनों में चोट लगने या फिर आर्थराइटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति आ जाती है। आपके घुटने ठीक से कार्य नहीं करते चलना-फिरना, उठना-बैठना सब मुश्किल हो जाता है।
ऐसी स्थिति में चिकित्सक आपको नी रिप्लेसमैंट यानी घुटनों का प्रत्यारोपण करवाने की सलाह देते है। आपको बतादे की हर वर्ष पूरे विश्व में लगभग 6.5 लाख लोग अपना घुटना बदलवाते हैं और भारत में भी इसका आकड़ा बड़ा है।
घुटना बदलवाने की उपयुक्त उम्र 65 से 70 मानी जाती है। लेकिन यह मरीज की स्तिथि के अनुसार भिन्न भी हो सकती है। इसके बाद मरीज अच्छे से चल फिर पाता है।
लेकिन घुटनों के प्रत्यारोपण से कुछ जोखिम भी जुड़े होते है, इसलिए आपको इसकी जरुरत है या नहीं और इसके जोखिमों का पता कर लेना चाहिए। आइये जानते है Things to Consider Before Knee Replacement.
Things to Consider Before Knee Replacement: सर्जरी से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी
नी रिप्लेसमेंट ऑपरेशन कैसे होता है
इस ऑपरेशन में जांघ वाली हड्डी, जो की घुटने के पास जुड़ती है और घुटने को जोड़ने वाली पैर वाली हड्डी इनदोनों के कार्टिलेज को काट कर उच्चस्तरीय तकनीक से प्लास्टिक फिट किया जाता है।
इस सर्जरी के बाद आपको सामन्य कार्य करने के लिए 6 हफ्ते लग सकते हैं। हालांकि 3-6 महीने तक दर्द और सूजन बनी रहती है।
कब होती है नी रिप्लेसमेंट सर्जरी?
जब व्यक्ति को घुटने में बहुत तेज दर्द, उठने बैठने में तकलीफ, घुटने में कड़ापन, सूजन, चलने में दिक्कत आदि आती है तो चिकित्सक इसके लिए एक्सरे और एम्आरआई करवाता है।
यदि इसमें आपका घुटना या उस के अंदर के भाग अधिक विकार ग्रस्त होते दिख रहे है तो ऐसे में घुटनों का नी-रिप्लेसमेंट ऑपरेशन किया जाता है।
स्किन ग्राफ्ट
- घुटनो के प्रत्यारोपण के पश्चात घावों और घुटनों के पास की त्वचा को ठीक से भरना (Healing) ज़रूरी है।
- यदि यह रिकवरी नहीं होती है तो स्किन ग्राफ्ट की मदद लेनी पढ़ती है।
रक्त के थक्को का गठन
इसमें गहरी नस की घनास्रता अर्थात गहरी नसों (ज़्यादातर पैरों की) में रक्त के थक्कों का गठन हो जाने की समस्या हो जाती है।
द्रव इकठा हो जाना
- कई बार घुटने के पीछे तरल पदार्थ बन सकते हैं।
- हालाँकि यह बहुत गंभीर परेशानी नहीं है और इसे आसानी से बहार भी निकाला जा सकता है।
रक्त वाहिकाओं में चोट
घुटने की सर्जरी करते समय घुटनों के पीछे की नसों में चोट या रक्त वाहिकाओं में चोट लगने के चान्सेस रहते है।
संक्रमण
- सर्जरी के बाद सबसे ज्यादा होने वाला जोखिम है जोड़ों के भीतर संक्रमण विकसित होना।
- संक्रमण के चलते स्तिथि बेहद दर्दनाक हो सकती है।
- सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक संक्रमण होने का जोखिम रहता है इसलिए इससे बचने के लिए पेशेंट्स को दवाये और एंटीबायोटिक्स दी जाती है।