Types of Contact Lenses: कॉन्टेक्ट लैंस जो होते है कई प्रकार के

Types of Contact Lenses: कॉन्टेक्ट लैंस जो होते है कई प्रकार के

कांटैक्ट लैंस का प्रयोग आजकल बहुत ही प्रचलन में है। लोग आँखों को सुन्दर बनाने के लिए भी इनका उपयोग कर रहे है जिस कारण भी यह फैशन में है। कांटैक्ट लैंस का उपयोग आँखों में किया जाता है। यह आंख की कोर्निया पर रखने वाला एक लेंस होता है।

कांटैक्ट लैंस का उपयोग आँखों की रौशनी के लिए या फिर सौन्दर्य प्रशाधनो के रूप में भी किया जाता है। आँखों में होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए भी कांटैक्ट लैंस उपयोगी होते है।

कांटैक्ट लैंस को लगाने से आंखे सुन्दर दिखती है साथ ही यदि किसी को चश्मा लगा है तो वह कांटैक्ट लैंस को लगा सकता है जिससे उसे चश्मा नहीं लगाना पड़ता है। यह चेहरे की सुंदरता को भी बढ़ाता है।

कांटैक्ट लैंस को करोडो लोग पहनते है । साथ ही इसके कई प्रकार भी होते है। जानते है Types of Contact Lenses के बारे में।

Types of Contact Lenses: जानिए कितने प्रकार से होते है लेंस

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कांटैक्ट लैंसों के प्रकार तो बहुत सारे होते है। जानते है इसके प्रमुख प्रकारो के बारे में। जिनमे से प्रमुख है सुधारक कांटैक्ट लैंस, कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस और चिकित्सकीय कांटैक्ट लैंस।

सुधारक कांटैक्ट लैंस

  • सुधारक कांटैक्ट लैंस का निर्माण दृष्टि में सुधार करने के उदेश्य से बनाया गया है।
  • कांटैक्ट लैंस की मदद से रेटिना पर सही तरह से प्रकाश को केंद्रित किया जाता है।
  • यह उन लोगो के लिए लाभकारी होता है जिनकी आँखों में आंख की लंबाई और अपवर्तन शक्ति में समानता नहीं होती है जिसके कारण अपवर्तन त्रुटि पैदा हो जाती है।
  • कांटैक्ट लैंस के उपयोग से दूरदृष्टिता, दृष्टिता, प्रेसब्योपिया और एस्टिग्मेटिज्म जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस

  • कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस का उपयोग आँखों को आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है।
  • कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस लगाने से आंखे एक अलग प्रकार की दिखने लगती है।
  • कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस को कई कलर में बनाया गया है जो व्यक्ति के चहरे को सूट करे और उसे आकर्षक बना सके।
  • कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस के उपयोग से कई लोगो को कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है जैसे- क्षोभ, आंखों का लाल हो जाना और संक्रमण आदि।
  • आँखों को अंधेपन से बचाने के लिए कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस पहनने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना अच्छा रहता है।
  • कास्मेटिक कांटैक्ट लैंस स्वास्थ्य के लिये जोखिमपूर्ण हो सकते है।

चिकित्सकीय कांटैक्ट लैंस

  • चिकित्सकीय कांटैक्ट लैंस को आंखों के अनावर्तनीय विकारों के उपचार के लिए बनाया जाता है।
  • बैंडेज कांटैक्ट लैंस का भी नर्माण किया गया है जिसका उपयोग शुष्क आंखों, कोर्निया की सूजन, मूरेन्स अल्सर, कोर्नियल एक्टेसिस, न्यूरोट्राफिक केरेटोकंजक्टिवाइटिस आदि रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

कांटैक्ट लैंस को दो मुख्य श्रेणियों में भी बनाया जाता है जैसे- नरम और कठोर गैस पारगम्य

नरम कांटेक्ट लेंस

  • नरम कांटेक्ट लेंस लचीले और नरम प्लास्टिक से निर्मित होते है।
  • यह कॉन्टेक्ट लेंस कॉर्निया से ऑक्सीजन को गुजरने में मदद करते है।
  • इस प्रकार के कांटेक्ट लेंस को लगाना कठिन नहीं होता है यह आसानी से लग जाते है और यह कठोर गैस पारगम्य लेंस से ज्यादा आरामदायक भी रहते है।
  • सिलिकॉन-हाइड्रोजेल्स को नए नरम लेंस की सामग्री में उपयोग किया गया है।

कठोर गैस पारगम्य (आरजीपी) कांटेक्ट लेंस

  • कठोर गैस पारगम्य कांटेक्ट लेंस लम्बे समय तक चलते है जिसके कारण इनका खर्च कम होता है।
  • साथ ही यह कचरा जमा भी नहीं करते है। इसके पहनने से दृष्टि स्पष्ट हो जाती है।
  • यह लेंस नरम कॉन्टैक्ट लेंस की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ होते है। इस तरह के लेंसों को आसानी से संभाला जा सकता है और इनके टूटने का खतरा भी नहीं रहता है।

कॉन्टैक्ट लेंस को पहनने की अवधि

  • जो कॉन्टैक्ट लेंस प्रतिदिन प्रयोग किये जाते है उन्हें रात को सोने से पहले ही निकाल दिया जाता है।
  • और जिन कॉन्टैक्ट लेंस को अधिक समय तक के लिए उपयोग किया जाता है उसे लगातार रात भर भी पहना जा सकता है। इन्हे 6 या अधिक रातों के लिये भी पहन सकते है।
  • आज कल नए वस्तुओं का उपयोग करके भी कॉन्टेक्ट लेंस बनाये जा रहे है। जैसे लेंस में सिलिकोन हाइड्रोजेल का उपयोग करके, उन्हें 30 रातों तक पहना जा सकता है।
  • इस प्रकार के लेंसों को कंटिन्युअस वियर कहते है।
  • आपको बता दे की एक निश्चित समय अंतराल के बाद एक्सटेंडेड वियर लैंसों को उपयोग में नहीं लिया जाता है उन्हें फेंक दिया जाता है।

कॉन्टैक्ट लेंस से होने वाली जटिलताएं

  • कांटैक्ट लैंसों का ज्यादा उपयोग करने से जटिलताएं उत्पन्न हो जाती है। खासकर रात भर लगाए जाने वाले लेंस से।
  • कांटैक्ट लैंस के उपयोग से नेत्रश्लेष्मा, आँखों का लाल होना, कोर्निया की विभिन्न पर्तों का बनना आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

कॉन्टैक्ट लेंस को लगाते समय की सावधानियां

  • कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करने से पहले अपने हांथो को किसी अच्छे साबुन से धो लेना चाहिए। ताकि कोई भी विषैले जीवाणु आँखों को प्रभावित ना कर सके।
  • प्रत्येक कॉन्टेक्ट लेंस के लगाने और निकालने की तकनीक अलग अलग होती है। इसलिए इसे लगाने और निकालने से पहले किसी विशेषज्ञ से इसकी उपयोग विधि जरूर जान ले।
  • लेंसों को साफ करने के लिए सॉल्यूशन दिया जाता है ताकि आप लेंस को उस सॉल्यूशन से साफ कर सके। आपको इसका ही इस्तेमाल करना चाहिए किसी अलग पानी से लेंस को साफ नहीं करना चाहिए।
  • लेंस को लगाने के बाद यदि आँखों में कोई जलन या फिर कोई अन्य समस्या उत्पन्न होती है तो उसे न लगाए और डॉक्टर से संपर्क करे।
  • लेंस को साफ रखने के साथ साथ लेंस को रखने वाले केस को भी साफ रखना आवश्यक होता है।
  • आँखों की समस्या से बचने के लिए लेंस को सोने से पहले निकाल देना चाहिए। यदि आपको नींद आ रही है तो पहले लेंस को निकाल दे इसमें आलस नहीं करनी चाहिए।
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