What is Dyslexia: डिस्लेक्सिया की समस्या होने पर कैसे रखें बच्चों का ख्याल

What is Dyslexia: डिस्लेक्सिया की समस्या होने पर कैसे रखें बच्चों का ख्याल

कई लोग डिस्लेक्सिया को एक बीमारी समझते है पर यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक समस्या है जो की बच्चों शुरूआती दौर में हो जाती है। लोगो के बीच इसकी कम जानकारी होने कारण इसे पहचानने और समझने में समय लगता है और लोग इस समस्या को बच्चों के अंदर की मानसिक बीमारी समझ लेते है।

यह समस्या बच्चों के पढ़ने लिखने से रिलेटेड होती है साथ ही यह एक रेयर समस्या है जो करीब 3% बच्चो में ही देखने को मिलती है। इस समस्या को रोका भी जा सकता है बस अगर आपको इसकी पूरी जानकारी हो और आप इस समस्या को अपने बच्चों के अंदर समय रहते समझ ले।

इस समस्या में बच्चों का दिमाग कुछ अक्षरों को समझने में और पहचान पाने में असक्षम होता है और पेरेंट्स इस समस्या को समझने के बजाय बच्चे के पढ़ने में मन नहीं लगने जैसी बातें करते हैं। इस समस्या का इलाज यही है की आप अपने बच्चे को समझे और उसे सही तरीके से पढ़ाए तभी आपका बच्चा आगे बढ़ पायेगा।

इस लेख में हम आपको What is Dyslexia इसके कारण, लक्षण, प्रकार और इसके उपचार बताने जा रहे। जिससे आप भी अगर अपने आसपास किसी बच्चे में यह समस्या देखे तो उसका सही प्रकार से उपचार करवा सके।

What is Dyslexia: जाने समझे डिस्लेक्सिया की समस्या के बारे में

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डिस्लेक्सिया क्या होता है ?

  • जिन बच्चों में डिस्लेक्सिया की समस्या होती है उनकी उम्र जैसे जैसे बढ़ती है वैसे वैसे उनमे इसके लक्षण देखने को मिलने लगते हैं।
  • डिस्लेक्सिया के कारण बच्चे को लिखते और पढ़ते समय समस्या होती है। उसे कोई भी बात आसानी से समझ नहीं आ पाती है।
  • इसके कारण बच्चों को अक्षरों को पढ़ने और पहचानने में प्रॉब्लम आती है।
  • बच्चों का दिमाग अक्षरों को पहचान नहीं पाता और इस वजह से बच्चे सही तरीके से पढ़ भी नहीं पाते
  • जब बच्चों का दिमाग ये नहीं कर पाता है तो बच्चों को समझने में भी काफी परेशानी आती है।

डिस्लेक्सिया के तीन प्रकार होते है

प्राइमरी डिस्लेक्सिया (Primary dyslexia)

  • प्राइमरी डिस्लेक्सिया इस समस्या का एक स्टार्टिंग और समान्य रूप होता है।
  • इसमें अक्सर अक्षरों की पहचान करना, नंबर्स की पहचान करना, मैथ्स के सवाल समझने में, चीज़ो को मापने में, समय समझने में, और अन्य गतिविधियों को समझने में भी दिक्कत आती है।
  • यह समस्या दिमाग के बाँए तरफ पनपती है।
  • क्योंकि हमारे बाँए तरफ का दिमाग ही होता है जो हमे चीज़े को समझने में मदद करता है और पहचानने में हमारी मदद करता है।

सेकण्डरी डिस्लेक्सिया (Secondary dyslexia)

  • सेकण्डरी डिस्लेक्सिया को हम डेवलपमेंटल डिस्लेक्सिया (development dyslexia) भी कहते है साथ ही यह माध्यमिक डिस्लेक्सिया के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह दिमाग के डेवलपमेंट की समस्या के कारण भी होता है।
  • इसमें बच्चों को शब्दों की पहचान करने की समस्या और स्पेलिंग लिखने और समझने की समस्या होती है।
  • इसमें यह अच्छी बात है की यह समस्या उम्र के साथ सुधर जाती है।
  • वैसे अगर किसी बच्चे को यह समस्या हो तो उन्हें साउंड सिस्टम के द्वारा पढ़ाना चाहिए।
  • इस प्रकार में बच्चों को जो भी परेशानी होती है वो उनके बड़े होने तक सुधर सकते है।

ट्रामा डिस्लेक्सिया (Trauma dyslexia)

  • ट्रामा डिस्लेक्सिया इस समस्या का वो प्रकार से जो बहुत ही गंभीर है।
  • ट्रामा डिस्लेक्सिया ज्यादातर दिमाग पर चोट लगने की वजह से होता है।
  • इसमें बच्चे को हमेशा फ्लू, सर्दी या कान की समस्या हो जाती है, इसी के साथ इस समस्या के होने पर सुनने में तकलीफ हो जाती है।
  • सही तरीके से न सुनने के कारण बच्चे बोलने, स्पेलिंग लिखने और पढ़ने में सफल नहीं हो पाते हैं।
  • ट्रामा डिस्लेक्सिया एक बीमारी है जो दिमाग में भाषा समझने की शक्ति कम कर देती है।

डिस्लेक्सिया की समस्या के लक्षण

छोटे बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षण

  • बच्चे देर से बोलना स्टार्ट करते है।
  • कोई भी नए वर्ड को देर से सीख पाते हैं।
  • बच्चों की नर्सरी क्लास की कविताओं को सिखने में परेशानी आना।
  • कोई भी कविता वाले गेम्स खेलने में परेशानी होना या फिर कविता न बोल पाना।

स्कुल जाने वाले बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षण

  • अपनी उम्र के बच्चे के मुकाबले कम पढ़ और समझ पाना।
  • चीज़े सुनने पर भी समझ नहीं आना या फिर चीज़ो को समझने में कठिनाई आना।
  • कोई भी इंस्ट्रक्शन को जल्दी जल्दी समझने में परेशानी होना।
  • बहुत सी चीज़ो को सीरियल वाइज याद रखने में भी कठिनाई होना।
  • बहुत से वर्ड्स और नंबर्स में डिफरेंस को देखने में परेशानी आना।
  • किसी भी नए वर्ड का उच्चारण करने में असमर्थ होना।
  • कोई नई भाषा सीखने में कठिनाई आना।

बड़े होने पर डिस्लेक्सिया के लक्षण

  • ऊँची आवाज में पढ़ने में परेशानी आना।
  • कोई भी मुखाकृति को समझने में असक्षम होना।
  • कोई भी कहनी को समझने में और उसका सार बताने में कठिनाई होना।
  • यद्दाश्त कमजोर होना, कुछ याद न रख पाना।
  • मैथ्स के सवाल करने में समस्या होना।

डिस्लेक्सिया की समस्या होने के कारण

  • यह समस्या ज्यादातर अनुवांशिक कारण से होती है। इसमें यह पाया गया है की “डीसीडीसी 2” जीन की कमी के कारण ही यह समस्या होती है।
  • कई बच्चों में जन्म के पश्चात हीं डिस्लेक्सिया की समस्या देखने को मिलने लगती है।
  • यह ज्यादातर दिमाग पर चोट लगने की वजह से भी होता है।
  • डिस्लेक्सिया दिमाग में आए किसी स्ट्रोक की वजह से भी हो सकता है।
  • इसके आलावा भी दिमाग में आए कुछ और प्रकार के आघात से भी डिस्लेक्सिया की बीमारी हो सकती है।

डिस्लेक्सिया की बीमारी में अपनाए कुछ ऐसे तरीके

  • बच्चों की इस समस्या को समझने के लिए आपको एक टीम की जरूरत होती है।
  • इस टीम में आप और अपने बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर्स और टीचर का होना ज़रुरी है।
  • आप बच्चे को समझे की वह कितना समझ पता है और उसे कहाँ कहाँ समस्या आ रही है।
  • आप चाहे तो उसकी क्षमता को भी मूल्यांकन करे।
  • आपके डॉक्टर्स भी आपके बच्चे के सामान्य स्वास्थ का और पहचाने की क्षमता के विकास का भी आकलन करेंगे।
  • ये सभी चीज़े आपके बच्चे को समझने और उसके उपचार में मदद करती है।

ऊपर दिए लेख में आप ने समझा और जाना की डिस्लेक्सिया किस तरह की बीमारी है और इसके कारण क्या होते है तथा इसके लक्षण क्या क्या है।

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