Yoga for Urine Infection: मूत्र असंयमिता की समस्या का योग द्वारा करे उपचार

Yoga for Urine Infection: मूत्र असंयमिता की समस्या का योग द्वारा करे उपचार

आज कल की अनहैल्थी लाइफ स्टाइल के चलते कई महिलाओं और पुरुषों को मूत्र संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह समस्या का सामना किसी भी ऐज में करना पड़ सकता है यह अक्सर 25 से 30 साल के लोगो को होती है।

इस समस्या के इलाज हेतु कई लोग इसके लिए पारंपरिक दवाइयों का सहारा लेते है और कुछ लोग लोग घरेलु उपचार करते है। इस समस्या का सामना करना काफी पीड़ादायक होता है।

इस परेशानी का प्रकृतिक तरीको से ही इलाज करना सही होता है। इसके लिए आप योगासनों का अभ्यास कर सकते है। योग इस समस्या में भी काफी फ़ायदेमंद होता है जो इस समस्या का जड़ से इलाज करता है।

इस लेख में आज आप जानेगे मूत्र संबंधित रोगों के इलाज हेतु कौन से योगासन करना चाहिए। इस लेख में बताये जाने वाले सभी योगासनों का अभ्यास नियमित रूप से करने से आपको इस समस्या से जल्द ही राहत मिलेगी। इस लेख में पढ़े Yoga for Urine Infection.

Yoga for Urine Infection: जाने यूरिन इन्फेक्शन से राहत दिलाने वाले योगासनो के बारे

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मूत्र असंयमिता (urinary incontinence) के लिए करे मूल बंध आसन

  • मूत्र असंयमिता इसलिए होती है क्योंकि मांसपेशियाँ यूरिन फ्लो को कंट्रोल नहीं कर पाती है।
  • इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए मूल बंध आसन (Perinal Contraction) के अलावा उत्कटासन करना चाहिए।

उत्कटासन करने की विधि

  • इस आसन को करने के लिए पहले अपने मैट पर सीधे खड़े हो जाए।
  • अब अपने दोनों हाथों को अपने सर के ऊपर से ले जाए। ध्यान रखे की हाथ एकदम सीधे होना चाहिए।
  • अपने दोनों पैरों के बीच में कुछ दूरी बना लें।
  • अपनी पीठ को एकदम सीधा रखे और अपने घुटने से ऊपर की बॉडी को नीचे लाए।
  • ध्यान रखे बॉडी को नीचे की ओर लाते समय घुटने बाहर की ओर ना निकले।
  • इस पूरी क्रिया के दौरान अपना संतुलन बनाये रखे।
  • साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 2 से 3 बार ही साँस लें।
  • इस आसन को शुरुआत में अपनी क्षमता अनुसार ही करे और 90 सेकंड से ज्यादा ना करे।
  • पूरी क्रिया के दौरान अपनी बॉडी में संतुलन बनाये रखे।

उत्कटासन करने के फायदे

  • उत्कटासन आसान का नियमित अभ्यास टखनों, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ की हड्डियों को मजबूत करता है।
  • इस योगासन को करने से कंधे और छाती में खिंचाव आता है।
  • पेट के अंगो को डायाफ्राम, और दिल को काफी उत्तेजित करता है।
  • साथ ही फ्लैट पैरों की परेशानियों को भी दूर करता है।
  • ध्यान शक्ति बढ़ाता है और साथ ही एकाग्रता में मदद करता है।
  • साथ ही बॉडी में संतुलन बनाये रखता है।

यूरिन में जलन (Burning Sensation While Urinating) की समस्या के लिए उष्ट्रासन

  • यूरिन में जलन की समस्या तब उत्पन्न होती है जब महिला युटीआई से ग्रसित हो।
  • इस समस्या में सूर्य नमस्कार (Sun Salutation), अर्धमत्स्येन्द्रासन (Half Queen of the Fish Pose), उष्ट्रासन (Camel Pose) और प्राणायाम (Breathing Yoga) कर सकते है।

उष्ट्रासन करने की विधि

  • इस आसन को करने के लिए अपने घुटनो के बल मैट पर बैठ जाए। चाहे तो वज्रासन में भी बैठ सकते है।
  • इसके बाद अपने दोनों पैरों के बीच में थोड़ी दूरी बना लें।
  • अपनी अपर बॉडी को पीछे की ओर झुकाये। साथ ही सांसो को अंदर की ओर खींचे।
  • ध्यान रखे की पीछे झुकते समय गर्दन को किसी प्रकार का झटका न लगे।
  • अपने दोनों हाथों से अपने पैरों की ऐड़ियो को छुए।
  • शरीर का वजन बांहो, और पैरों पर संपूर्ण तरह से होना चाहिए।
  • इस पूरी क्रिया के दौरान धीरे धीरे साँस ले और धीरे धीरे साँस छोड़े।
  • अपनी क्षमता अनुसार इस पोज़ को बनाए रखे।
  • वापस सामान्य स्थिति में लौटते समय लम्बी और गहरी साँस लें।
  • इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम 5 से 7 बार ज़रूर करे।

उष्ट्रासन करने के फायदे

  • इसका नियमित अभ्यास करने से पेट की चर्बी भी कम की जा सकती है।
  • डायबिटीज के मरीजों के लिए यह एक बहुत ही फ़ायदेमंद आसान होता है।
  • इस को करने से फेफड़ों से संबंधित समस्याएँ दूर होती है।
  • इस का नियमित अभ्यास मन को शांत करता है जिस वजह से क्रोध कम आता है।
  • आँखों की बीमारियों से लड़ने में भी काफी फ़ायदेमंद साबित होता है इस आसन का अभ्यास।
  • कमर दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास करने से काफी लाभ होता है।
  • उष्ट्रासन का अभ्यास गर्दन के दर्द से भी राहत दिलाने में सक्षम होता है।
  • इसी के साथ यह चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने में भी काफी सक्षम होता है।
  • यह महिलाओं की मासिक धर्म की परेशानी में भी मददगार होता है।

बार बार यूरिन के आने (Urinary Frequency) की समस्या में करे मूल बंध आसन

  • इस समस्या के उपचार हेतु योग करना सबसे बेहतर प्राकृतिक इलाज है।
  • इस समस्या के लिए मूल बंध आसन (Perinal Contraction) कर सकते है।

मूल बंध आसन करने की विधि

  • इस योगासन को करने के लिए पहले अपने मैट पर सुखासन में बैठ जाए।
  • इसके बाद अपनी बाँयी एड़ी को गुदाद्वार के आगे रखे और दबाव बनाये।
  • अब दाँये पैर को बाँये पैर की जांघ पर रखे।
  • अब अपने पेट और गुदा को अंदर की ओर खींचे और साँस अंदर खींचते हुए।
  • ध्यान रखे की आपके दोनों घुटने जमीन को स्पर्श करते हो।
  • अपने दोनों हाथों की हथेलियों को घुटनो पर रखे।
  • अपनी क्षमता अनुसार साँस को अंदर खींचने के बाद रोक कर रखे।
  • इसके बाद अपनी सांसो को धीरे धीरे छोड़ दें।
  • ऐसा कम से कम चार से पांच बार करे।
  • Yoga for Urinary Tract Infection के लिए करे ये आसन।

मूल बंध आसन फायदे

  • अगर मूल बंध आसन को नियमित रूप से किया जाए तो कब्ज का रोग जल्द ही दूर हो जायेगा।
  • इस योगासन को करने से यह शरीर में भूख बढ़ाता है।
  • यह योग उन लोगो के लिए भी फ़ायदेमंद होता है जो पाईल्स और हर्निया की समस्या से ग्रसित होते है।
  • इसको नियमित रूप से करने पर शरीर काफी हद तक स्वस्थ रहता है।
  • साथ ही इसमें कई तरह की बीमारियों से दूर रखने की क्षमता होती है।
  • जब कभी थकान महसूस होती है तो इस योगासन को करे इससे थकान तुरंत दूर होगी। यह आसन शरीर की सुस्ती को नष्ट करने में सहायक होता है।

इस ऊपर दिए लेख में आज आपने जाना की मूत्र संबंधित समस्याओं में आपको योगासनों का अभ्यास किस तरह से मदद कर सकता है। साथ ही इस समस्या में आपको कौन से योगआसन करना चाहिए और उन योगआसनो के दूसरे कौन से फायदे होते है।

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