Stem Cell Preservation Benefits: स्टेम सेल थेरेपी से करें बीमारियों का उपचार

Stem Cell Preservation Benefits: स्टेम सेल थेरेपी से करें बीमारियों का उपचार

Stem Cell के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। यह शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसलिए इसके बारे में जानकारी होना भी ज़रूरी है।  

इसके द्वारा ही शरीर में अच्छी कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है। आजकल स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग भी जोरो शोरो से हो रहा है क्योंकि यह बहुत ही असरकारी होती है।

स्टेम सेल की थेरेपी से कई बड़ी से बड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। इसलिए इन्हे स्टोर करने की भी आवश्यकता होती है। ताकि आवश्यकता के समय इसे आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।

चलिए जानते है की आखिर यह स्टेम सेल्स क्या है और यह किस तरह से कार्य करती है साथ ही जानते हैं की यह हमारे लिए यह किस तरह से उपयोगी होती है। इसके लिए पढ़ते है Stem Cell Preservation Benefits के बारे में विस्तार से।

Stem Cell Preservation Benefits: जाने स्टेम सेल्स क्या है और इसके फायदे

स्टेम कोशिका क्या है: What is a Stem Cell

  • स्टेम कोशिका इसे मूल कोशिका भी कहा जाता है ये वो कोशिकाएं होती हैं जिनमे शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता होती है। स्टेम कोशिकाओं की मदद से स्वस्थ्य कोशिकाओं को विकसित करने में मदद मिलती है।
  • विज्ञान की माने तो स्टेम कोशिकाओं की मदद से किसी भी कोशिका को सुधारा जा सकता है। स्टेम कोशिका एक ऐसी कोशिका होती है जिससे सभी कोशिकाओं को निर्मित किया जा सकता है। Stem Cells की मदद से बहुत सारी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
  • Stem Cell थेरेपी का प्रचलन बहुत तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। अगर किसी दुर्घटना में शरीर का कोई अंग क्षतिग्रस्त हो गया हो तो ऐसी स्थिति में स्टेम सेल से स्टेम कोशिकाएं तैयार की जा सकती है और उन्हें क्षतिग्रस्त अंग में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
  • अधिकतर बीमारियों में जब दूसरी थेरेपी जवाब दे जाती है तब भी स्टेम सेल थेरेपी में उम्मीद बची रहती है। स्टेम सेल के कलेक्शन, प्रॉसेसिंग और बैंकिंग का काम करने वाली लाइफसेल का कहना है की लोगों में स्टेम सेल प्रीजर्वेशन को लेकर अवेयरनेस काफी बढती जा रही है। लोग स्टेम सेल तकनीक के प्रति जागरूक होते दिखाई दे रहे है।
  • स्टेम कोशिकाओं को शरीर की अनूठी कोशिकाओं के रूप में माना जाता है। स्टेम सेल थेरेपी एक पूरी तरह सुरक्षित प्रक्रिया होती है। थेरेपी समाप्त होने के बाद कुछ रोगियों में दर्द का अनुभव होता है पर बहुत जल्दी ही ये दर्द खत्म हो जाता है। स्टेम सेल तीन प्रकार के होते है हम इस आर्टिकल में स्टेम सेल के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे। भारत में स्टेम सेल थेरेपी के लिए कितना खर्चा होता है इसके बारे में भी आपको जानकारी देंगे।
  • स्टेम सेल से कई बड़ी से बड़ी बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है चाहे हृदय की कोशिकाएं खराब हो गयी हो या आँख की कार्निया की कोशिकाएं ख़राब हो या फिर शरीर के किसी अन्य अंग की कोशिका को भी स्टेम कोशिका के द्वारा विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
  • कैंसर, डायबीटीज, दिल-धमनी की बीमारियाँ, खून संबंधी बीमारियाँ, मानसिक और किडनी सम्बंधित या अन्य बीमारियों का इलाज भी पूरी तरह सुरक्षित रूप से इसके द्वारा किया जा सकता है। स्टेम सेल की ख़ासियत यह होती है की ये कोशिकाएँ कई कोशिका के विभाजन से गुजरने के बाद भी अपनी मूल रूप में कायम रह सकती है।

क्या हैं इसके फायदे: Stem Cell Preservation Benefits?

स्टेम सेल को स्टोर करके रखने से कई सारे फायदे मिल सकते है।

  • आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके स्टेम सेल को स्टेम सेल बैंक में एकत्र किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • जिस तरह ब्लड बैंक होते है उसी आधार पर स्टेम सेल बैंक का भी गठन किया गया है जहाँ पर आसानी से स्टेम सेल को एकत्र किया जा सकता है।
  • स्टेम सेल की एक विशेषता यह भी है की अगर आपने इसे स्टेम सेल बैंक में एकत्र करके रखा हुआ है तो आपके वंश के किसी भी सदस्य को आवश्यकता पड़ने पर आपके द्वारा रखी गयी स्टेम सेल का इस्तेमाल उसके लिए किया जा सकता है।
  • स्टेम सेल एक रिजेनरेटिव मेडिसिन है जिसकी मदद से बड़े-बड़े रोगों का उपचार भी संभव है।

Stem Cell Preservation Cost

  • स्टेम सेल्स को 21 सालों तक प्रीजर्व करने के लिए करीब 20 हजार रुपये फीस ली जा रही है शुरू में बेबी की मां के नाम से रजिस्ट्रेशन होता है और 21 सालों के बाद अगर कोई चाहे तो इस सर्विस को रिन्यू किया जा सकता है इसके बाद हर साल 3500 रुपये लिए जाते है।
  • रिन्यू बेबी के नाम पर होता है अगर कोई रिन्यू न कराना चाहे तो स्टेम सेल को खत्म कर दिया जाता है। अगर कोई चाहें तो इसे डोनेट भी किया जा सकता है।

स्टेम सेल तीन प्रकार के होते है:

  • इनके प्रकारों में भ्रूण स्टेम सेल (एंब्रियोनिक स्टेम सेल्स), वयस्क स्टेम सेल (एडल्ट स्टेम सेल) व कार्ड स्टेम सेल शामिल हैं।
  • भ्रूण स्टेम सेल यानी (एचइएचसी) ह्यूमन एंब्रियोनिक स्टेम सेल्स जिसमे डीएनए को भी शामिल कर लिया जाता है फिर लैब में स्टेम सेल लाइन तकनीक से इंजेक्शन तैयार किए जाते है इसे बीमारी के अनुसार या रेडी टू यूज भी तैयार किया जा सकता है।
  • इसे मरीज के ज़रूरतों के अनुसार बनाया जा सकता है। इसमे मरीज के डीएनए से क्रांसमैचिंग नहीं करनी पड़ती है।
  • ह्यूमन एंब्रियोनिक स्टेम सेल्स यानी एच ई एस सी को अलग करने के लिए कृत्रिम परिवेश में अंडे और शुक्राणु का निषेचन यानी इनविट्रोफर्टिलाइजेशन करवाया जाता है।
  • इस प्रकार अनेक भ्रूण यानी एंब्रिया जेनरेट हो जाते है इससे कई लाइलाज बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

स्टेम सेल के मुख्य स्त्रोत की अगर बात की जाये तो गर्भ नाल से प्राप्त रक्त, एम्नियोटिक तरल, कृत्रिम निषेचन से प्राप्त भ्रूण, वयस्कों का मस्तिष्क, अस्थि मज्जा (बोन मैरो), किडनी, परिधीय रक्त, रक्त वाहिकाएँ, कंकाल पेशियाँ और लीवर पहले कृत्रिम रूप से बनाए गए भ्रूण या ब्लास्टोसिस्ट की कोशिकाओं को निकालकर, उनका संवर्धन करके स्टेम सेल बनाई जाती थी तथा उनका उपयोग अनुसंधान और उपचार में किया जाता था।

आप चिकित्सक से परामर्श लेकर स्टेम सेल के बारे में और जानकारी ले सकते है। अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षा की दृष्टि से देखते हुए आप भी स्टेम सेल तकनीक को ज़रूर अपनाये और इसे अपने बच्चों के लिए सुरक्षित करके रखे। इस पद्धति से कितने ही लोगो को आज के समय में जीवनदान मिल रहा है। आपके इस कदम से आप भी अपने बच्चों को एक स्वस्थ्य जिंदगी दे सकते है।

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