Tetanus in Hindi: लोहे द्वारा चोट लगने से बचे नहीं तो हो सकता है टिटनेस

Tetanus in Hindi: लोहे द्वारा चोट लगने से बचे नहीं तो हो सकता है टिटनेस

टिटनेस एक ऐसी बीमारी है जिसके चलते हमारे शरीर में बैक्टीरिया का संक्रमण फ़ैल जाता है। हिंदी में इस रोग को धनुस्तंभ कहा जाता है। क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया द्वारा इसका खतरा होता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी और गंदगी में पनपता है।

सामान्यत: अगर हमे चोट लग जाती है वो भी अगर खास तौर पर कोई चोट या जख्म किसी ऐसे पदार्थ से हुआ हो जो जंग लगा हुआ हो जैसे किसी कैची, चाकू या फिर कोई कील या कोई भी ऐसा लोहे का पदार्थ जिस पर बहुत समय से जंग लगी हुई हो और उससे आपको चोट लग जाये तो टेटनस का संक्रमण फैलने का खतरा बहुत बढ़ जाता है और इस खतरे से बचने के लिए हमे टेटनस का इंजेक्शन लगाना बहुत ही आवश्यक होता है। चाहे बच्चा हो या व्यस्क या फिर बुजुर्ग किसी को भी टेटनस का इंजेक्शन लगाया जा सकता है।

क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया हर जगह की जमीन, मलबे और पशुमल में होता है साथ ही यह मानव त्वचा में भी पाया जाता है। इसलिए अगर शरीर भी कहीं भी चोट या घाव हो जाता है तो उस ज़ख्म या कट के माध्यम से ये बैक्टीरिया आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर के अपना प्रभाव बताना शुरू कर देता है।

ऐसे ही थोड़ी सी चोट लग जाने पर हमे तुरंत टेटनस का इलाज लेना चाहिए जिससे इसके बैक्टीरिया को खत्म किया जा सके और ये हमारे शरीर को कोई भी नुकसान नही पहुंचा सके। जानते है Tetanus in Hindi विस्तार में।

Tetanus in Hindi: जाने इसके लक्षण, उपचार और बचाव के बारे में

Tetanus-in-Hindi

Tetanus Symptoms:

  • कोई ऐसा घाव या चोट जो बहुत समय से ठीक नही हो रही हो ये टेटनस का एक लक्षण हो सकता है। कई बार हम घर में ही किसी पुरानी लोहे की जंग लगी हुई चीज से टकरा जाते है और हमे चोट आ जाती है पर हम उसे गंभीरता से नही लेते है ऐसे में अगर बहुत दिनों तक आपकी चोट नही भर रही हो तो ये टेटनस के संक्रमण का संकेत होता है।
  • शरीर में बहुत ज्यादा ऐंठन होना औऱ शरीर के विभिन्न अंगो का बहुत ज्यादा दर्द करना टेटनस का संकेत हो सकता है।
  • हर समय दिल की धडकन का तेज़ी से धडकते रहना।
  • बहुत अधिक पसीना आना।
  • पेट की मांसपेशियों का फूल जाना या फिर बहुत ज्यादा कठोर हो जाना इसका संकेत हो सकता है।
  • कुछ भी खाए या पिए उसे निगलने में कठिनाई का अनुभव करना।
  • निरंतर अत्यधिक तीव्र बुखार का बने रहना।
  • गर्दन की मांसपेशियों में ऐठन रहना।
  • शरीर की मांसपेशियों में कठोरता आ जाना।
  • पैरालिसिस या सांस का रुक जाना।

Tetanus Injection/ Tetanus Vaccine:

  • टेटनस इंजेक्शन एक वैक्सीन है जो शरीर को संक्रमणकारी कीटाणुओं से मुकाबला करने के लिए उद्दीप्त करता है, जिससे शरीर की इन संक्रमणों से रक्षा होती है।
  • यह टेटनस रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया से संक्रमण को रोकने वाले पदार्थ (एंटीबॉडी) बनाने में शरीर की मदद करता है।
  • हर किसी को 5 साल में एक बार टेटनस का इंजेक्शन लगाना ही चाहिए। इससे अगर आपको अनजाने में भी किसी प्रकार का कोई घाव हो जाता है तो उससे टेटनस के संक्रमण के फैलने के चांस नही रहते है।
  • अगर आप 5 साल में ये इंजेक्शन नही लगवाते है तो कोई भी घाव या चोट होने पर टेटनस इंजेक्शन अवश्य लगवाये। ये अत्यंत आवश्यक वेक्सिन है नही तो आगे चलकर भी आपको टेटनस के संक्रमण के फैलने का खतरा हो सकता है।
  • टेटनस इंजेक्शन आपको हर अस्पताल में लगाये जाते है साथ ही आप किसी भी डॉक्टर या किसी भी क्लिनिक में जाकर टिटनस का इंजेक्शन लगा सकते है।
  • टेटनस इंजेक्शन का वैसे कोई साइड इफ़ेक्ट नही होता है पर कई बार पाया गया है की टिटनस इंजेक्शन लगाने के बाद पेशेंट को थोड़ी देर के लिए कमजोरी का अनुभव होता है साथ ही उबकाई, हाथ-पैर में दर्द, परिधीय न्यूरोपैथी, जोड़ों का दर्द, शरीर दर्द, ऐंठन, चेहरे की सूजन, बुखार, इंजेक्शन स्थल की कोमलता, इंजेक्शन स्थल में दर्द, उल्टी आदि कुछ लक्षण भी देखने को मिल सकते है।
  • टिटनेस का इंजेक्शन लगाने के बाद में परन्तु ये सभी सिर्फ कुछ देर के लिए होते है थोड़ी देर बाद पेशेंट बिलकुल सामान्य अवस्था में आ जाता है। टेटनस का इंजेक्शन जब भी लगवाये तब किसी भी प्रकार के अल्कोहल का सेवन बिलकुल नही करना चाहिए।

Tetanus Treatment:

  • टेटनस से बचने का सबसे उत्तम इलाज़ है डीपीटी का टीका (DPT vaccine) जो टेटनस से इंसान का बचाव करता है।
  • टेटनस का सबसे अच्छा उपचार उसका इंजेक्शन लगवाना ही होता है। आज कल बच्चे को जन्म के समय ही टेटनस के इंजेक्शन लगाये जाते है ये बच्चे के शरीर में संक्रमण के बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते है।
  • गर्भवती महिलाओ को भी टेटनस के इंजेक्शन लगाये जाते है। गर्भवती महिला को गर्भ धारण के नौ महीने के भीतर 2-3 इंजेक्शन टेटनस के लगते है और ये सभी गर्भवती महिलाओ को लगवाना आवश्यक होता है।
  • ये गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को संक्रमण से बचाकर रखता है। जब भी बच्चों को या गर्भवती महिला को टिटनस का इंजेक्शन लगाया गया हो तो इंजेक्शन वाली जगह पर बर्फ का सेंक जरुर करना चाहिए इससे सुजन भी कम होती है साथ ही दर्द में भी आराम मिलता है।
  • कभी भी इंजेक्शन के दर्द को कम करने के लिए किसी भी तरह की कोई पेन रिलीफ दवा का सेवन नही करना चाहिए ये आपके शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
  • अगर बहुत ज्यादा दर्द या परेशानी हो रही हो तो डॉक्टर से परामर्श लेकर उपचार करना चाहिए।

टेटनस से बचाव:

  • जब भी अगर कहीं घाव हो जाये या फिर चोट लग जाये तो सबसे पहले उस जगह को डेटोल से अच्छे से साफ़ करे।
  • उसके बाद उस पर कोई भी एंटीबायोटिक क्रीम लगवाये।
  • साथ ही डॉक्टर से परामर्श लेकर टेटनस का इंजेक्शन जरुर लगवाये।

उपरोक्त जानकारी द्वारा आप टिटनेस से खुद का और अपने परिवार का बचाव आसानी से कर सकते है। साथ ही आपके परिजनों और दोस्तों को भी इसके बारे में जानकारी ज़रुर दे।

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