हमे अपने शरीर को स्वस्थ रखना है तो इसे बीमारियों से बचा कर रखना होगा। आज हम काली खांसी नामक बीमारी के उपचार जानेंगे। काली खांसी को कुक्कुर खांसी के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे व्हूपिंग कफ (Whooping Cough) कहा जाता है। यह संक्रमण के कारण होने वाली खांसी होती है। काली खांसी विशेष रूप से बच्चों में देखने को मिलती है ऐसा नही है की वयस्कों को ये खांसी नही होती। आज कल बड़ो में भी इसका संक्रमण देखने को मिल जाता है।
Kali Khansi बोर्डेटेला पर्टुसिस नमक बैक्टीरिया के द्वारा फैलती है। यह खांसी मुख्य रूप से श्वसन क्रिया को प्रभावित करती है। सर्दियों में काली खांसी होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। काली खांसी शिशुओ में भी बहुत होती है जिसकी वजह से कई बार बच्चों की मृत्यु तक हो जाती है।
शुरू में काली खांसी सामान्य खांसी की तरह ही लगती है। काली खांसी के लक्षणों को पहचान कर अगर इसका उचित इलाज किया जाये तो इसका उपचार कर के आसानी से ठीक किया जा सकता है।
बच्चों को काली खांसी होने पर उन्हें साँस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। काली खांसी संक्रमण से फैलती है। अगर ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया जाये जिसे पहले से ये रोग हो तो दूसरे को भी इस खांसी के होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जानते है Kali Khansi Ka Ilaj के बारे में।
Kali Khansi Ka Ilaj: जाने काली खांसी की समस्या क्या होती है, इसके लक्षण और उपचार
क्या है काली खांसी: What is Whooping Cough
- काली खांसी के वायरस वायु के माध्यम से एक इंसान से दूसरे तक पहुंच जाते है जिससे स्वस्थ्य व्यक्ति को भी काली खांसी हो जाती है।
- काली खांसी के रोगी को छूने और उसके साथ बैठने से भी इसका संक्रमण दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है।
- इसलिए जिसे भी काली खांसी हो उसे स्वस्थ्य व्यक्ति व बच्चों से दूर रखना ही अच्छा होता है जब तक की काली खांसी पूरी तरह ठीक न हो जाये।
- काली खांसी होने पर कई बार खांसते खांसते उलटी भी आ जाती है।
- काली खांसी शुरुआत में नाक और गले को पूरी तरह प्रभावित करती है।
काली खांसी के लक्षण: Whooping Cough Symptoms
- काली खांसी होने पर अत्यंत जोर जोर से खांसी आती है। खांसी के कारण सीने में कई बार जलन होने का अनुभव भी होता है। खांसी के साथ बुखार व सर्दी भी हो सकती है। खांसी होने पर घबराहट का अनुभव होता है।
- खांसने पर कभी कभी कुत्ते के भोंकने वाली आवाज आती है। खांसने की वजह से गले की नसे भी फूलने लग जाती है। शुरुआत में नाक से पानी आने लगता है और लगातार छींके आती है। खांसी के साथ उलटी भी हो सकती है। काली खांसी रात में अधिक असर दिखाती है।
- काली खांसी में बहुत ज्यादा और खुश्क खांसी होती है। इसमें बहुत सारा श्लेम निकलता है।
- काली खांसी में थोड़ी थोड़ी देर में खांसी आती रहती है जिससे रोगी का खांस कर कर के बहुत बुरा हाल हो जाता है।
- काली खांसी के कारण मुंह के चारो और नीली त्वचा नजर आने लगती है।
अगर समय पर काली खांसी के लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज नही किया जाये तो ये रोग आगे चलकर और अधिक बढ़ सकता है जिसके कारण इससे लड़ना और भी मुश्किल हो जाता है।
काली खांसी का इलाज: Whooping Cough Treatment
- बच्चों को काली खांसी के बचाव के लिए जन्म के बाद ही टिका लगाया जाता है जिससे उन्हें काली खांसी के संक्रमण से बचने में मदद मिलती है।
- जिन बच्चों को ये टिका नही लगा होता है उन्हें काली खांसी के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
- काली खांसी होने पर घरेलू इलाज को आजमाया जाये तो इससे भी इस खांसी में आराम पाया जा सकता है।
- इसके साथ ही चिकिस्तक से परामर्श भी आवश्यक होता है। काली खांसी के लक्षण नजर आने पर बिना देर किए इसका उचित इलाज आवश्यक है।
तुलसी: तुलसी के पत्ते और काली मिर्च समान मात्रा लेकर पीस लें इसकी छोटी छोटी गोलियाँ बना लें और एक-एक गोली चार बार लें। इससे काली खांसी की समस्या ठीक हो जाती है।
मूली: मूली का 50 ml रस और गन्ने का रस मिलाकर दिन में 2 बार पिलाये। इससे काली खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।
हल्दी: हल्दी की 3-4 गांठों को तोड़कर तवे पर भूनें और इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लें। इससे काली खांसी जल्द ही खत्म हो जाती है।
टिका: अगर बच्चों को काली खांसी हुई है तो चिकित्सक से परामर्श लेकर उसे वेक्सिन (टिका) लगवा सकते है।
P.T की खुराक: बच्चों को काली खांसी के उपचार के लिए P.T की खुराक पिलाई जाती है। चिकित्सक से सलाह लेकर बच्चों को इसे पिलाना अच्छा रहता है।
अमरुद के पत्ते: अमरुद के पतों को जलाकर इसकी राख बना ले। अब इस राख का सेवन चौथाई चम्मच की मात्रा में लेकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करे। ये काली खांसी को खत्म करने का अच्छा उपाय है।
आंवले का पाउडर: एक चम्मच आंवले के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है। काली खांसी का कफ निकालने के लिए देसी घी में सेंधा नमक मिलाकर यदि रोगी के सीने पर मालिश की जाये तो इससे कफ जल्दी बाहर निकल जाता है और काली खांसी में बहुत आराम मिलता है।
लहसुन: काली खांसी को खत्म करने के लिए लहसुन की 5-6 कलियों को छीलकर बारीक काट लें और उन्हें पानी में डालकर उबाल लें और फिर इस पानी से भाप लें। प्रतिदिन इसे करने से काली खांसी जल्दी ही खत्म हो जाती है। लहसुन किसी भी तरह की सर्दी और खांसी को खत्म करने के लिए सबसे अच्छा उपाय होता है। बच्चों की काली खांसी खत्म करने के लिए तीन-चार बादाम रात में पानी में भिगाकर रख दें और सुबह बादाम के छिलके उतार लें। इसे एक कली लहसुन और थोड़ी सी मिश्री के साथ पीस लें। तैयार पेस्ट की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर बच्चे को खिलाएं। इससे काली खांसी में जल्दी ही राहत मिलने लग जाती है।
नारियल तेल: नारियल तेल की 4 ग्राम मात्रा को प्रतिदिन 4 बार लिया जाये तो इससे काली खांसी जड़ से खत्म हो जाती है।
एन्टीबायोटिक्स: इरिथ्रोमाइसिन या एम्पीसिलिन एन्टीबायोटिक्स को 7-8 दिनों तक चिकित्सक की परामर्श पर निरंतर लिया जाये तो इससे काली खांसी जल्दी ही ठीक हो जाती है।
तो ये थे कुछ उपयोगी उपचार जिसका इस्तेमाल कर के आप काली खांसी की समस्या से जल्द ही आराम प्राप्त कर सकते हैं।