Restless Leg Syndrome Symptoms: पैरों में लगातार दर्द होते हैं रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के लक्षण

Restless Leg Syndrome Symptoms: पैरों में लगातार दर्द होते हैं रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के लक्षण

आपने अक्सर देखा होगा कुछ लोगो को हमेशा बैठे-बैठे या लेटे हुए ही अपने पाँव को हिलाते रहने की आदत सी रहती है, हो सकता है ये आदत आप में भी हो। ये रेस्टलेस लेग सिड्रोंम का (Restless Leg Syndrome) संकेत हो सकता है।

Restless Legs की बीमारी में आप जब भी कही बैठे हुए होते है तो अचानक से पैरो में एक सनसनी सी महसूस होने लगती है जिसकी वजह से इंसान अपने पैरो को बिना हिलाए खुद को रोक नही पाता है। इसे रेस्टलेस लेग सिड्रोंम कहा जाता है। ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। महिलाओं और पुरुषों दोनों में रेस्टलेस लेग सिड्रोंम देखने को मिल सकता है।

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम मुख्य रूप से एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। रेस्टलेस लेग सिड्रोंम जैसे की इसके नाम से ही प्रतीत होता है की इस बीमारी में पैर रेस्ट नही कर पाते और हर समय पैरो में एक दबाव, दर्द और कम्पन सा अनुभव होता रहता है।

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम से ग्रसित लोगो को रात में भी ठीक तरह से नींद नही आ पाती है। रात में उन्हें पैरो में अत्यधिक दर्द का अनुभव होता है और वे रात में भी अपने पैरो को हिलाने के लिए विवश हो जाते है जिस वजह से अनिंद्रा की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जानते है Restless Leg Syndrome Symptoms के बारे में विस्तार से।

Restless Leg Syndrome Symptoms: जाने इसके कारण, लक्षण और असरकारी उपचार

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के होने के कारण: Restless Leg Syndrome causes

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के कारण तो बहुत सारे हो सकते है जिनमे से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार है –

  • अगर आपके परिवार में पहले किसी को ये समस्या रही है तो इसके कारण आप में भी इसके लक्षण देखने को मिल सकते है।
  • इसके अतिरिक्त डोपामिन नामक हार्मोन्स के असंतुलित हो जाने के कारण भी रेस्टलेस लेग सिड्रोंम की बीमारी देखने को मिल सकती है।
  • शरीर में जब आयरन तत्व की कमी हो जाती है तो यह भी इस बीमारी का एक मुख्य कारण बन सकता है।
  • एनीमिया के मरीज को भी रेस्टलेस लेग सिड्रोंम का खतरा अधिक हो सकता है।
  • तंत्रिका तंत्र में किसी भी तरह का विकार इस समस्या को उत्पन्न कर सकता है।
  • विटामिन की कमी और गुर्दे की खराबी के कारण भी रेस्टलेस लेग सिड्रोंम का खतरा बढ़ सकता है।
  • अल्कोहल और धुम्रपान का सेवन करने वालो में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
  • गर्भावस्था के समय महिलाओं में आने वाले हार्मोन्स परिवर्तन के कारण भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
  • अत्यधिक तनाव लेना भी इसका कारण बन सकता है।
  • अत्यधिक वजन का बढ़ जाना भी इसका खतरा बढ़ा सकता है।

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के लक्षण: Restless Leg Syndrome Symptoms

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के लक्षण इस प्रकार देखने को मिल सकते है –

  • पैरो में एक सनसनी का महसूस होना इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • पैरो में खिंचाव सा महसूस होना।
  • पैरो का थरथराना।
  • पैरो में दर्द बने रहना इसका संकेत हो सकता है।
  • पैरो में कम्पन महसूस होना इसका संकेत हो सकता है।
  • पैरो में जलन होते रहना भी इसका एक संकेत हो सकता है।
  • बैठने या लेटने पर पैरो में कुछ रेंगने जैसी अनुभूति होना इसका एक लक्षण है।
  • पैरो में अचानक तेज झनझनाहट होना भी इसका संकेत हो सकता है।
  • अनिंद्रा और चिड़चिड़ापन बने रहना इसका संकेत हो सकता है।
  • पैरों की रक्तवाहिनियों में बुलबुले युक्त पानी के भरे होने का अनुभव होना इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • बैठे-बैठे लगातार पैरो को हिलाते रहना भी इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • सोते समय भी पैरो को हिलाते रहना या बार-बार करवट बदलते रहना।

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम का ईलाज: Restless Leg Syndrome Treatment

  • जीवनशैली में परिवर्तन लाकर के रेस्टलेस लेग सिड्रोंम का उपचार किया जा सकता है इसके अतिरिक्त चिकित्सक से सही परामर्श लेकर भी इसका उचित उपचार किया जा सकता है।
  • रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के कोई भी लक्षण नजर आने पर उसे नजरंदाज नही करना चाहिए नही तो ये परेशानी आगे जाकर गंभीर हो सकती है और इसके कारण उच्च रक्तचाप आदि कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है इसलिए इसके लक्षणों को पहचान कर इसका सही उपचार अत्यंत आवश्यक है।
  • इसके उपचार के लिए आयरन युक्त दवा लेना अच्छा होता है। विटामिन बी की दवाइयों का सेवन भी कर सकते है। इससे इस बीमारी में बहुत आराम मिलता है।
  • पार्किन्सन्स रोग की दवाओं के सेवन से भी आराम मिलता है। किसी भी तरह की दवाइयों के सेवन से पहले चिकित्सक से एक बार परामर्श अवश्य ले।

रेस्टलेस लेग सिड्रोंम उपचार: Restless Leg Syndrome Remedies

  • रेस्टलेस लेग सिड्रोंम से राहत पाने के लिए आवश्यक है की अपने भोजन में आयरन को शामिल करे। आयरन युक्त आहार को अपनी डाइट में लेने से इस बीमारी में आराम मिलता है।
  • प्रतिदिन कुछ व्यायाम अवश्य करे। शारीरिक परिश्रम करना बहुत आवश्यक होता है।
  • अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है तो सबसे पहले अपने बढ़ते वजन को नियंत्रण में करने की कोशिश करे।
  • फोलेट और मैग्नीशियम युक्त आहार भी अपनी डाइट में शामिल करे।
  • पैरो की अच्छे से प्रतिदिन मसाज करे।
  • सोने से पहले भी पैरो की अच्छे से मालिश करने से आराम मिलेगा।
  • धुम्रपान और अल्कोहल से बिल्कुल दूर रहे। इससे आप इस बीमारी को और अधिक बढ़ा सकते है।
  • गरम और ठंडी सिंकाई करने से भी बहुत आराम मिलता है।
  • गरम पानी से नहाये और नहाते समय अपने पैरो को कुछ देर गरम पानी में डुबोकर रखे।
  • रात में हल्का भोजन ले जिससे नींद अच्छी आ सके। सोने से पहले चाय या कॉफी का सेवन न करे।
  • कुछ देर पैदल ज़रुर चले। इसके अलावा थोड़ी देर साइकिल भी चला सकते है।
  • बहुत देर तक एक जगह पर बैठे न रहे। पैरो को एक जैसा न रखे। पैरो की थोड़ी एक्सरसाइज करते रहे।
  • फलो और हरी सब्जियों का सेवन करते रहे।
  • कम से कम 8-9 घंटे की नींद अवश्य ले।
  • तनाव से दूर रहे। संगीत और ध्यान आदि का सहारा ले।

इस तरह आप इन बीमारी से बचाव कर सकते है और राहत पा सकते है।

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